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उत्तराखंड

23 जांबाजों ने रचा इतिहास, पार किया ‘ट्रेल पास’

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Uttarakhandनई टिहरी। पहाड़ों को नापने के जूनून से लबरेज 23 सदस्यीय दल ने इतिहास रच दिया है। पहली बार 23 सदस्यीय पर्वतारोही दल ने 5312 मीटर ऊंचे ट्रेल पास (पिंडारी ग्लेशियर) को पार कर रिकॉर्ड कायम किया है। 1830 से अब तक ट्रेल पास को पार करने के लिए 88 दल जा चुके हैं। लेकिन, सिर्फ 13 दल ही इसे पार कर पाए। यह 14वां दल सबसे बड़ा दल था, जिसने ट्रेल पास को पार किया।

हिमालयन ट्रैकर्स एंड माउंटनियर्स के अध्यक्ष शिव सिंह नेगी की अगुआई में गत 26 सितंबर को नई टिहरी से 23 सदस्यीय पर्वतारोही दल ट्रेल पास के लिए रवाना हुआ। दल को पर्यटन मंत्री दिनेश धनै ने हरी झंडी दिखाई। दल में 12 सदस्य शिव सिंह नेगी, सुरेंद्र सिंह राणा, सुनील खंडूड़ी, उमराव सिंह पंवार, कुलदीप थपलियाल, अनुराग पंत, संजय प्रकाश सेमवाल, अंशुल डोभाल, राजेंद्र सिंह रावत, रवि कंडियाल, प्रदीप कुमार व प्रमोद काला नई टिहरी के थे।

दल नायक शिव सिंह नेगी ने बताया कि दल ने 27 सितंबर को बागेश्वर से अभियान की शुरुआत की और जीरो प्वाइंट पिंडारी ग्लेशियर में बेस कैंप बनाया। इस दौरान रास्ते में बर्फीले तूफान में दल फंसा। नतीजा एक किमी की दूरी आठ घंटे में तय की जा सकी। बताया कि गत सात अक्टूबर को दल ने ट्रेल पास पार किया। नेगी ने बताया कि वर्ष 1830 से अब तक ट्रेल पास को पार करने के लिए 88 दल जा चुके हैं। लेकिन, सिर्फ 13 दल ही इसे पार कर पाए। यह 14वां दल सबसे बड़ा दल था, जिसने ट्रेल पास को पार किया।

बुधवार शाम नई टिहरी लौटने पर पर्यटन मंत्री दिनेश धनै ने दल के सभी सदस्यों का स्वागत किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस अभियान से टिहरी को नई पहचान मिलेगी।

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उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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