उत्तराखंड
उत्तराखंड में बदलाव की हवा चल रही है : मोदी
देहरादून | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उत्तराखंड में चार धाम राजमार्ग परियोजना की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने इस परियोजना को राज्य में 2013 में अचानक आई बाढ़ के पीड़ितों को समर्पित किया। मोदी ने आधारशिला रखने के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि 12,000 करोड़ रुपये की इस परियोजना से केवल चारों तीर्थस्थलों गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा ही सुगम नहीं होगी, बल्कि इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।
मोदी ने कहा, “यह चार धाम परियोजना उत्तराखंड बाढ़ के दौरान जान गंवाने वालों के प्रति एक श्रद्धांजलि है।”केदारनाथ घाटी में जून 2013 में अचानक आई बाढ़ में तीर्थयात्रियों सहित 5,000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।उन्होंने कहा, “इससे पहले यात्रियों को भूस्खलनों के कारण फंसे रहने की चिंता करनी पड़ती थी और वे अनिश्चितताओं को लेकर चिंतित रहते थे। लेकिन, इस परियोजना के साथ ये सभी अनिश्चितताएं समाप्त हो जाएंगी और तीर्थयात्रियों के मन की सभी चिंताएं मिट जाएंगी।”
परियोजना के तहत 900 किलोमीटर से अधिक लंबी सड़कें बनेंगी।मोदी ने कहा, “इस परियोजना से लोगों को रोजगार मिलेगा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।”मोदी ने कहा कि परियोजना की लागत 12,000 करोड़ रुपये है, जिसमें से 3,000 करोड़ रुपये पहले ही स्वीकृत किए जा चुके हैं।परियोजना के तहत पूरे राज्य में बाईपास, सुरंग, पुल और फ्लाईओवर का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा आपातकालीन स्थिति के लिए हेलीपेड भी बनाया जाएगा।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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