उत्तराखंड
उत्तराखंड में मतदान ने पकड़ा जोर
देहरादून | उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को मतदान जारी है, राज्य के 70 में से 69 सीटों पर हो रहा मतदान शुरुआत में धीमा रहा, लेकिन दोपहर बाद इसमें तेजी आई। राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच सीधा मुकाबला है।
निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी के मुताबिक, अपराह्न दो बजे तक 13 जिलों में औसत 48 फीसदी मतदान दर्ज किया गया।
राज्य के गठन के बाद यह चौथा विधानसभा चुनाव है, जहां 75 लाख मतदाता 628 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे।
कुछ जगहों पर खराब मौसम के बावजूद पुरुष व महिला मतदाता मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
कोटद्वार में अधिकतम (51 फीसदी) मतदान की खबर है, जहां से पूर्व कांग्रेसी और अब भाजपा नेता बने हरक सिंह रावत मैदान में हैं। उन्होंने पिछले साल कांग्रेस से बगावत किया था।
हरिद्वार में तेज मतदान की खबर है, जहां की ग्रामीण सीट से मुख्यमंत्री हरीश रावत चुनाव मैदान में हैं।
कर्णप्रयाग में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उम्मीदवार की मौत के कारण वहां चुनाव निलंबित कर दिया गया था। वहां नौ मार्च को मतदान होगा।
अधिकारियों के मुताबिक, 11 मार्च की सुबह तक डाक मतपत्र प्राप्त किए जाएंगे और उसी दिन उत्तराखंड सहित पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव की मतगणना होगी।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और भुवन सिंह खंडूरी शुरुआती घंटों में मतदान करने वाले प्रमुख नेताओं में शामिल रहे।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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