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अन्तर्राष्ट्रीय

उत्तर कोरिया पर 50 साल बाद जहाज जब्ती का मुकदमा

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वाशिंगटन, 6 फरवरी (आईएएनएस)| अमेरिकी जासूसी जहाज यूएसएस प्यूब्लो के बचे हुए लोग उत्तर कोरिया के खिलाफ मुकदमा दायर करने जा रहे हैं। यह मुकदमा कोरिया प्रायद्वीप पर इस जहाज को जब्त कर और उसके चालक दल को 11 महीने तक बंधक बनाकर प्रताड़ित किए जाने के 50 साल बाद दायर किया जा रहा है। चालक दल के 100 से ज्यादा सदस्य और उनके रिश्तेदार मुकदमे में शामिल हुए। मुकदमा इस माह संघीय अदालत में विदेशी स्वायत्त प्रतिरक्षा अधिनियम के तहत दायर किया गया है, जो पीड़ितों को एक देश द्वारा यातना, बंधक बनाने, व्यक्तिगत चोट या मृत्यु के लिए आतंकवाद के खिलाफ मामला दायर करने की अनुमति देता है।

अभियोगी के वकील ने सोमवार रात सीएनएन को दिए बयान में कहा, 50 साल से ज्यादा समय से पहले यूएसएस प्यूबलो के चालक दल के खिलाफ किए गए इस तरह के अकथनीय कार्य और उसके बाद से उनके और उनके परिवारों पर पड़े इसके असर के लिए हमारे मुवक्किल उत्तर कोरिया से जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।

सीएनएन की खबर के मुताबिक, प्यूबलो को उत्तर कोरिया ने उस वक्त जब्त कर लिया था, जब जहाज 23 जनवरी 1968 को कोरिया प्रायद्वीप के तट पर अंतर्राष्ट्रीय जल सीमा में था।

चालक दल के 83 सदस्यों को उत्तर कोरिया के वोनसान बंदरगाह के लिए निर्वासित कर दिया गया था और बाद में उन्हें प्योंगयांग के समीप हिरासत केंद्र में भेज दिया गया था।

वह 11 महीने तक वहां रहे जब तक अमेरिका ने उत्तर कोरिया से लिखित माफी मसौदे पर हस्ताक्षर नहीं किए। इसके बाद अंतत: उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच असैन्य क्षेत्र में पुरुषों को रिहा कर दिया गया।

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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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