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उप्र : आतंकी घटनाओं से निपटने को स्वॉट टीमों को प्रशिक्षण देगी एटीएस
लखनऊ, 20 अगस्त (आईएएनएस/आईपीएन)। उत्तर प्रदेश एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (उप्र एटीएस) खतरनाक आपरेशंस को कुशलता से अंजाम देने, अपराध और आतंकवाद की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण के लिए जिलों के स्वॉट टीमों को और अधिक व्यवसायिक दक्षता का प्रशिक्षण देगी।
ताकि वे गंभीर परिस्थितयों में अपराधियों का मुकाबला विशेषज्ञतापूर्ण तरीके से कर सकें। (16:26)
यह प्रशिक्षण 21 अगस्त से 23 सितंबर तक राजधानी लखनऊ के अमौसी स्थित प्रशिक्षण केंद्र स्पॉट (एसपीओटी) पर आयोजित किया जा रहा है। पांच सप्ताह के इस प्रशिक्षण में आगरा तथा वाराणसी जिलों की स्वॉट टीमें भाग लेंगी।
एटीएस के आईजी असीम अरुण ने रविवार को बताया, उप्र पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह द्वारा प्रशिक्षण के पहले चरण में आगरा एवं वाराणसी की स्वॉट टीमों को चयनित किया गया है। दोनों जनपदों से 1-1 पुलिस उपाधीक्षक के नेतृत्व में स्वॉट टीमें सहभागिता करेंगी। इस प्रशिक्षण में दोनों जनपदों से कुल 41 पुलिसकर्मी हिस्सा लेंगे।
उन्होंने बताया कि इस ट्रेनिंग का लाभ होगा कि खतरनाक आपरेशंस एवं अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई करते समय स्वाट टीमें बेहतर कार्य कर सकेंगी।
आईजी एटीएस ने बताया कि मूल प्रशिक्षण चार सप्ताह का होगा। वहीं पांचवे सप्ताह में परीक्षा होगी।
उन्होंने बताया, पांच चरणों में प्रशिक्षण आयोजित कर जोनल मुख्यालय के जिलों के स्वॉट टीमों को दक्ष किया जाएगा। ट्रेनिंग के मुख्य रूप से चार अंग होंगे। इनमें बेसिक पुलिस टैक्टिक्स, स्पेशल पुलिस टैक्टिक्स, फायर ऑर्स टैक्टिक्स के साथ ही फिजिकल ट्रेनिंग शामिल हैं।
आईजी एटीएस ने बताया, प्रशिक्षण के प्रथम सत्र के समापन के बाद पुन: दूसरे जोनल मुख्यालय के जिलों को नामित कर प्रशिक्षण कराया जाएगा। इन ट्रेनिंग में टीमों को रेड के तरीके, रूम इंट्री, तलाशी के तरीके, अभियुक्तों की गिरफ्तारी और हथकड़ी लगाने के तरीके सहित कई प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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DRDO ने हाइपरसोनिक मिसाइल का किया सफल परीक्षण, 1500 किमी से अधिक दूरी तक ले जा सकती है पेलोड
डीआरडीओ ने 16 नवंबर 2024 को ओडिशा के तट से दूर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से अपनी लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफलतापूर्वक उड़ान का परीक्षण किया है। इस हाइपरसोनिक मिसाइल को भारतीय सशस्त्र बलों की सभी सेवाओं के लिए 1500 किमी से अधिक दूरी तक विभिन्न पेलोड ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है।
मिसाइल को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स, हैदराबाद की प्रयोगशालाओं के साथ-साथ DRDO ने स्वदेशी रूप से बनाया है। मिसाइल को कई डोमेन में तैनात अलग-अलग रेंज सिस्टम के जरिए ट्रैक किया गया। डाउन-रेंज शिप स्टेशनों से मिले डेटा ने उच्च सटीकता के साथ सफल टर्मिनल युद्धाभ्यास और प्रभाव की पुष्टि की है।
हाइपरसोनिक मिसाइल कैसे काम करती है?
हाइपरसोनिक मिसाइल ऊपरी वायुमंडल में ध्वनि की गति से 5 गुना से ज्यादा गति (6100 किलोमीटर प्रतिघंटा या उससे ज्यादा) से दूरी तय करती हैं। इसी खूबी की वजह से इन मिसाइलों को आसानी से मार गिराया नहीं जा सकता है, जिससे ये दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त करने में सफल होती हैं। कई देश ऐसी मिसाइलें बनाने के लिए जुटे हुए हैं। फिलहाल अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के पास ही हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं। उत्तर कोरिया के पास भी हाइपरसोनिक मिसाइल होने का दावा होता रहा है, लेकिन पुख्ता सबूत के साथ पुष्टि नहीं की गई। अभी भारत ने हाइपरसोनिक मिसाइल का टेस्ट करके अपनी काबिलियत और ताकत दिखा दी है।
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