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प्रादेशिक

उप्र : भूकंप पीड़ित बच्चों की मदद करेगा पुनर्वास विश्वविद्यालय

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लखनऊ | उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप में विकलांग हुए बच्चों की मदद के लिए आगे आया है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ नीशिथ राय ने कहा कि नेपाल में ऐसे बच्चे जो भूकंप की वजह से विकलांग हुए हैं, उन्हें विश्वविद्यालय अपने यहां नि:शुल्क शिक्षा, भोजन और रहने की व्यवस्था मुहैया कराएगा। कुलपति ने बातचीत में कहा कि इसके अलावा भी मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय की तरफ से कई कदम उठाए जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन भूकंप में विकलांग हुए छात्रों के लिए सभी पाठ्यक्रमों में 5 प्रतिशत की छूट देगा, साथ ही यदि कोई विकलांग बच्चा इस विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करना चाहेगा तो उसकी भरपूर मदद की जाएगी। राय ने बताया कि डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय देश का इकलौता ऐसा विश्वविद्यालय है, जो पुनर्वास के लिए भी काम करता है। इसी को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया गया है कि विश्वविद्यालय का एक प्रतिनिधिमंडल नेपाल के भूकंप प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगा और अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।

उन्होंने बताया, “इस प्रतिनिधिमंडल में शिक्षक और छात्र शामिल होंगे। यह प्रतिनिधिमंडल काठमांडू व पोखरा जाकर प्रभावितों से मिलकर वहां के हालात की जानकारी लेगा। प्रतिनिधिमंडल भेजने का मुख्य उद्देश्य भूकंप के बाद वहां जो परिस्थतियां पैदा हुई हैं, उनकी जानकारी एकत्र करना है, ताकि भविष्य में इस तरह की चुनौतियों से अच्छी तरह निपटा जा सके।” राय ने बताया कि विश्वविद्यालय में कार्यालय अधीक्षक से ऊपर जितने भी फैकल्टी मेम्बर हैं, वे अपने एक दिन का वेतन भूकंप पीड़ितों के लिए देंगे। यह राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराई जाएगी। इसके अलावा विश्वविद्यालय की ओर से भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए राहत सामग्री भी नेपाल भेजी जाएगी। इसमें खाद्यान्न सामग्री और कपड़े शामिल होंगे।

राय ने कहा, “भूकंप के दौरान जो प्राकृतिक आपदा आई है, उससे वहां विनाशकारी स्थिति पैदा हो गई है, इसलिए मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए हमारा दायित्व बनता है कि प्रभावित लोगों की हर संभव मदद करें।”  उन्होंने कहा कि भूकंप के बाद नेपाल में बहुत से बच्चे विकलांग हुए हैं और उनकी मदद करने का यही सही समय है। राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय की शुरुआत ही इसी उद्देश्य को लेकर की गई थी कि समाज के नि:शक्त और विकलांग बच्चों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए इस विश्वविद्यालय की तरफ से जो बन पड़ेगा, किया जाएगा।

IANS News

वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

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