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प्रादेशिक

उप्र : विधान परिषद में भी होगा सपा का बहुमत

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान परिषद से जनवरी में 36 सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, इसमें सर्वाधिक 34 सदस्य बसपा के हैं। विधान परिषद में मौजूदा समय में 45 सदस्यों की संख्या वाली बसपा का बहुमत है, लेकिन अब सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) को बहुमत मिल जाने का संयोग बन रहा है।

15 जनवरी, 2016 में स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र के जिन 36 सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, उसमें 34 बसपा के, जबकि सत्तारूढ़ सपा और कांग्रेस के एक-एक सदस्य का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। विधान परिषद में सपा का बहुमत होने के बाद उसके लटके विधेयक आसानी से पास होंगे।

इसके अलावा सपा के पास मनोनयन के पांच सदस्यों के पद भी रिक्त हैं। यह पांचों सदस्य तो प्रत्यक्ष रूप से सत्ता पक्ष के ही होंगे, यह अलग बात है कि राज्यपाल ने मनोनयन की सूची कई बार वापस कर चुके हैं। स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र चुनाव में अभी तक सत्ता पक्ष का ही उम्मीदवार जीतता रहा है। ऐसे में बसपा का बहुमत परिषद से भी समाप्त हो जाएगा। विधानसभा से स्वीकृत होने के बाद परिषद में लकटने वाले विधेयकों को भी संख्या बल के आधार पर आसानी से पास कराया जा सकेगा।

विधान परिषद के सभापति व बसपा नेता गणेश शंकर पांडेय समेत जिन 36 सदस्यों का कार्यकाल आगामी 15 जनवरी को समाप्त हो रहा है उनमें बसपा के नेता प्रतिपक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी की पत्नी हुस्ना सिद्दीकी, माफिया डान बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह, बाहुबलियों में श्याम नारायण सिंह उर्फ विनीत सिंह, संजीव द्विवेदी उर्फ रामू द्विवेदी, मनोज कुमार सिंह उर्फ गुड्डू सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के परिवारी रविशंकर सिंह पप्पू, बृजेश पाठक के रिश्तेदार अरविंद कुमार त्रिपाठी उर्फ गुड्डू तो कांग्रेस के बाहुबली दिनेश प्रताप सिंह व प्रदेश सरकार में मंत्री राजा भैया के करीबी रिश्तेदार अक्षय प्रताप सिंह का नाम प्रमुख है।

इसके अलावा बसपा के आरएस कुशवाहा, कुंवर जयेश प्रसाद, डॉ. स्वदेश कुमार उर्फ वीरू सुमन, सविता सिंह, अब्दुल हन्नान आदि का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है।

15 जनवरी के बाद और स्थानीय निकाय से भरी जाने वाली इन सीटों पर चुनाव होने तक बसपा सदस्यों की संख्या घटकर 11 हो जाएगी। वहीं मौजूदा समय में सत्तारूढ़ दल सपा के 29 सदस्य परिषद में हैं। उच्च सदन में बहुमत नहीं होने की वजह से कई विधेयक पारित नहीं हो सके हैं। राज्य में चल रहे पंचायत चुनाव के कारण स्थानीय निकायों से चुने जाने वाले विधान परिषद सदस्यों के चुनाव में देरी होने की संभावना जताई जा रही है।

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IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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