Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

उप्र : वैकल्पिक उर्जा स्रोत से कार्बन उत्सर्जन कम करेगा रेलवे

Published

on

Loading

लखनऊ, 6 अप्रैल (आईएएनएस)| वैकल्पिक उर्जा स्रोत के बेहतर इस्तेमाल को लेकर अब भारतीय रेलवे ने भी कदम बढ़ा दिए हैं। रेलवे के अधिकारियों का दावा है कि पूर्वोत्तर रेलवे सोलर प्लांट के साथ ही एलईडी लाइटस के जरिए करोड़ों रूपये बचाने और कार्बन उत्सर्जन कम करने का पूरा खाका तैयार कर चुका है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रेलवे इसके जरिए खुद के लिए बिजली पैदा करने के साथ ही दूसरों को भी बिजली मुहैया कराएगा। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, सोलर प्लांट से इस वित्तीय वर्ष लगभग 33 लाख यूनिट बिजली की बचत करने का लक्ष्य है।

अधिकारी ने बताया कि पूर्वोत्तर रेलवे के लगभग 400 स्टेशनों पर एलईडी लाइटस लगा दी गई हैं। इससे करीब 33 लाख यूनिट बिजली की बचत होगी। इससे रेलवे को सलाना लगभग ढाई करोड़ रूपये से अधिक की बचत होगी।

पूवरेत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव के मुताबिक एनईआर में केवल एलईडी लाइटस लगने से ही एक वर्ष में 28 लाख किलोग्राम कार्बन का उत्सर्जन कम होगा। यह रेलवे की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। क्योंकि दुनिया कार्बन के अधिक उत्सर्जन से परेशान है। लेकिन एनईआर अकेले इतने बड़े पैमाने पर कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में कामयाब होगा।

उन्होंने बताया कि रेलवे खुद के लिए बिजली बनाने के साथ ही बडे स्टेशनों की छतों का इस्तेमाल सोलर पावर प्लांट के रूप में करने का खका तैयार कर चुका है। स्टेशनों की छतों पर ग्रिड कनेक्टेड सोलर पावर प्लांट लगेंगे और इससे पैदा होने वाली बिजली स्टेशनों के लिए काम आएगी।

रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक ग्रिड से कनेक्ट होने की वजह से अतिरिक्त बिजली का इस्तेमाल अन्य क्षेत्रों में की जाएगी। इसके बदले रेलवे को राजस्व भी मिलेगा। पूर्वांचल के सबसे बड़े स्टेशनों में से एक गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर ग्रिड कनेक्टेड सोलर प्लांट जल्द ही लगने की संभावना है।

एनईआर के अंतर्गत आने वाले लखनऊ जंक्शन सहित कई अन्य स्टेशनों पर सोलर प्लांट लगाने का खाका तैयार हो चुका है।

गौरतलब है कि अभी तक एनईआर में 1,880 केडब्लयूपी क्षमता का ग्रिड कनेक्टेड सोलर पावर प्लांट वाराणसी के इज्जतनगर में लगाया जा चुका है।

Continue Reading

मुख्य समाचार

महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात

Published

on

Loading

महाकुम्भनगर|  महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात किया गया है। हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की क्षमता वाले इस हाई सिक्योरिटी टीथर्ड ड्रोन की नजर से किसी का भी बच पाना नामुमकिन है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए यह अत्याधुनिक उपकरण महाकुम्भनगर में लगाया गया है। महाकुम्भनगर के एसएसपी ने इसकी निगरानी के लिए एक एक्सपर्ट टीम तैनात कर दी है।

हर गतिविधि होगी कैप्चर

महाकुम्भनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने इसे सेकेंडों में अलर्ट मोड में आ जाने वाला नायाब उपकरण बताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि इस बार के महाकुम्भ को अविस्मरणीय बनाया जाए, जिसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को हाईटेक किया जा रहा है। इस टीथर्ड ड्रोन में हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की अद्भुत क्षमता है। डेटा ट्रांसमिशन के लिए यह बेहद सुरक्षित है और ऊंचाई से महाकुम्भनगर की हर छोटी-बड़ी गतिविधियां कैप्चर करने में इसे महारत हासिल है।

महाकुम्भ पुलिस की तीसरी आंख से बच पाना नामुमकिन

महाकुम्भनगर की पुलिस के लिए टीथर्ड ड्रोन तीसरी आंख का काम कर रहा है। इससे बच पाना किसी के लिए भी नामुमकिन है। इसके जरिए संगम तट के अलावा अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले घाटों और प्रमुख स्थलों पर पैनी नजर रखी जा रही है। इसके अलावा मंदिरों और अन्य प्रमुख स्थलों पर नजर रखने के लिए हाई रिजॉल्यूशन कैमरे से लैस इस उपकरण को तैनात कर दिया गया है, जो पलक झपकते ही श्रद्धालुओं से संबंधित अलर्ट अफसरों को जारी कर रहे हैं।

एआई लाइसेंस युक्त कैमरे के साथ पुलिस अफसर मुस्तैद

महाकुम्भ के दौरान पुलिस पूरे मेला क्षेत्र में 2750 से अधिक सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। इसमें आधे से ज्यादा एआई लाइसेंस युक्त कैमरे भी शामिल हैं। एसएसपी महाकुम्भनगर राजेश द्विवेदी के अनुसार, इस बार महाकुम्भनगर में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। ऐसे में सीएम योगी की मंशा के अनुरूप सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद बनाए रखने और किसी तरह की कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए हर अधिकारी मुस्तैदी से कार्य कर रहा है।

ये है टीथर्ड ड्रोन

महाकुम्भनगर की महत्ता को ध्यान में रखते हुए इस बार टीथर्ड ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये एक विशेष प्रकार के कैमरे होते हैं। इन कैमरों को एक बड़े बलून के सहारे रस्सी से बांधकर एक निश्चित ऊंचाई पर तैनात किया जाता है। महाकुम्भनगर में इन्हें ऊंचे टॉवर्स पर इंस्टॉल किया जा रहा है। यहीं से ये पूरे मेला क्षेत्र में नजर रख रहे हैं। इन्हें बार-बार उतारना भी नहीं पड़ेगा और ये पूरे मेला क्षेत्र पर अपनी पैनी नजर से निगरानी कर सकने में सक्षम हैं।

बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम

टीथर्ड ड्रोन की मदद से कंट्रोल रूम को मेला क्षेत्र की हर एक महत्वपूर्ण फुटेज प्राप्त हो सकेगी। इसके माध्यम से अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले स्थानों को चिह्नित कर वहां तत्काल पुलिस का प्रबंध किया जा सकता है। वहीं किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पर भी नजर रखी जा सकती है। हाई रिजॉल्यूशन के कारण ये कैमरे बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम हैं।

Continue Reading

Trending