खेल-कूद
एमसीजी में ‘नीले समंदर’ के तूफान ने बढ़ाया भारतीय गेंदबाजों का हौसला
नई दिल्ली| विश्व के सर्वकालिक महान तेज गेंदबाजों में गिने जाने वाले डेल स्टेन ने 147.3 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकी तो उमेश यादव ने 147.00 की रफ्तार से उसका जवाब दिया। आमतौर पर अपने में सिमटे रहने वाले और आलोचना झेलते रहने वाले भारतीय गेंदबाजों ने रविवार को मेलबर्न क्रिकेट मैदान (एमसीजी) में उठे नीले ‘इंसानी’ समंदर के हौसले से प्रेरित होकर टीम को जीत तक पहुंचाया।
बीते तीन-चार सालों में ऐसा बहुत कम हुआ है, जब भारत ने बल्लेबाजों और गेंदबाजों के सम्मिलित प्रयासों की बदौलत मैच जीता हो। 2011 विश्व कप में भी भारतीय गेंदबाजी कमजोर थी और बल्लेबाज ही मुख्य तौर पर टीम की खिताबी जीत के नायक बने थे।
इस बार भी यही कहानी है। सब मानते हैं कि भारत को अगर विश्व कप जीतना है तो उसके बल्लेबाजों को खुलकर खेलना होगा। गेंदबाजों को कोई नहीं गिनता लेकिन रविवार के बाद गेंदबाजों को भी जीत में अहम भागीदार माना जाने लगा है। कारण यह है कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारतीय गेंदबाजों ने अपना दिल खोल दिया। दम फूल गया लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा।
इसके पीछे सबसे बड़ी वजह रही, एमसीजी में जुटी 70 हजार से अधिक प्रशंसकों की भीड़, जिसमें अधिकांश संख्या भारतीयों की थी। विदेशों में रहने वाले भारतीय, विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोग, क्रिकेट का लुत्फ लेने ऑस्ट्रेलिया पहुंचे लोग, आस-पास के देशों में रहने वाले भारतीय और भारतीय मूूल के लोग। ये सभी टीम को जीत दिलाने के लिए रविवार को एमसीजी में थे।
एमसीजी यानी आज की तारीख में विश्व का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम। इतना बड़ा कि अपने आप में दो वानखेड़े स्टेडियम समा ले। इतना बड़ा कि इसमें ईडन गार्डन्स से डेढ़ गुना लोग समा जाएं। एमसीजी की खासियत यह है कि यह आकार में जितना बड़ा है, उससे कहीं बड़ी यहां की क्रिकेट संस्कृति है और इसी कारण यहां वे लोग भी खुद को प्रेरित महसूस करते हैं, जो लगातार आलोचना के तीर से घायल होते रहे हैं।
भारतीय गेंदबाज इनमें से ही एक हैं। पाकिस्तान के खिलाफ प्रेरणादायी प्रदर्शन करने के बाद मोहम्मद समी ने एक बार फिर अपना दिल खोल दिया। मोहित शर्मा और उमेश यादव ने लय बरकरार रखने के लिए अपना दमखम लगा दिया और रविचंद्रन अश्विन ने चतुराई का परिचय देते हुए तीन विकेट झटककर टीम की जीत में अहम भूमिका अदा की।
उमेश ने दिखाया कि वह रफ्तार के मामले में किसी से कम नहीं। हां, गेंदों की दिशा और लंबाई के मामले में वह पीछे हैं, लेकिन वक्त के साथ यह कला भी वह सीख जाएंगे। उनकी तेज गेंदों ने दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों को खूब परेशान किया और इसी कारण यह टीम भारत के 308 रनों के लक्ष्य के आस-पास भी नहीं फटक सकी।
एमसीजी में आधिकारिक दर्शक संख्या 70 हजार से ऊपर रही। इसकी क्षमता 90 हजार के करीब है। भारत में अगर ऑस्ट्रेलिया-दक्षिण अफ्रीका मैच देश के सबसे बड़े स्टेडियम ईडन गार्डन्स में भी हो तो अधिक से अधिक 25-30 हजार लोग जुटते लेकिन एमसीजी में गैर मेजबान टीमों का मैच होते हुए भी इतने लोगों का जुटना क्रिकेट की जीत कही जा सकती है।
खेल-कूद
IND VS AUS: पर्थ में टूटा ऑस्ट्रेलिया का घमंड, भारत ने 295 रनों से दी मात
पर्थ। भारतीय क्रिकेट टीम ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट मैच में मेजबान ऑस्ट्रेलिया को धूल चटाते हुए नया कीर्तिमान रच दिया है। टीम इंडिया ने पर्थ में 16 साल बाद पहला टेस्ट मैच जीता है। इससे पहले भारत ने साल 2008 में कुंबले की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को हराया था। हालांकि यह मैच पर्थ के ऑप्टस स्टेडियम में खेला गया। पहली पारी में 150 रन बनाने वाली टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में सिर्फ 104 रनों पर ढेर कर दिया था। इसके बाद टीम इंडिया ने अपनी दूसरी पारी 487/6 रन के स्कोर पर घोषित करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने 534 रनों का विशाल लक्ष्य रखा।
इस पहाड़ जैसे लक्ष्य का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया की टीम दूसरी पारी में सिर्फ 238 रनों के स्कोर पर ढेर हो गई। इस तरह टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में 295 रनों से हराकर बड़ा इतिहास रच दिया। ध्यान देने वाली बात यह है कि टीम इंडिया में न तो रोहित शर्मा थे, न ही शुभमन गिल, न ही रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन और न ही मोहम्मद शमी थे। इसके बावजूद टीम इंडिया ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
पर्थ टेस्ट की दूसरी पारी में यशस्वी जायसवाल ने 161 रन और विराट कोहली ने नाबाद शतकीय पारी खेली। दूसरी पारी में केेल राहुल ने भी 77 रनों की अहम पारी खेली। पहली पारी में टीम इंडिया 150 रनों पर सिमट गई थी पर भारतीय गेंदबाजों ने कमाल का कमबैक करते हुए पूरी ऑस्ट्रेलिया टीम को घुटनों पर ला दिया। ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में 104 रन ही बना पाई। दूसरी पारी में टीम इंडिया ने कमाल का कमबैक करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने 6 विकेट के नुकसान पर 487 रन बनाकर पारी घोषित कर दी। जिससे ऑस्ट्रेलिया को 534 रनो का टारगेट मिला। लेकिन चौथे दिन भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 295 रनों से हरा दिया।
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