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बिजनेस

एलईडी बल्ब से 2 साल में 13,400 करोड़ रुपये की बचत

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नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस)| पिछले दो साल में एलईडी बल्ब के प्रयोग बढ़ने से 33 अरब यूनिट बिजली बचाने में सफलता हासिल हुई है, जिससे 13,400 करोड़ रुपये की बचत हुई। इसी तरह 6,700 मेगावाट का लोड कम हुआ है और कार्बन उर्त्सजन में दो करोड़ 71 लाख फुटप्रिंट की कमी दर्ज की गई है, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बल मिला।

एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) के प्रबंध निदेशक सौरभ कुमार ने चुनिंदा पत्रकारों के समूह से बात करते हुए कहा, देश में 30 करोड़ लोग अब भी बिजली सुविधा से दूर हैं। भारत के विकास की कहानी में 70 प्रतिशत निर्माण कार्य बाकी है, ऐसे में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने की जरूरत है। जिससे राष्ट्रीय संसाधन की बचत हो सके। ऐसे में ऊर्जा बचत का महत्व बढ़ता जाएगा।

कुमार ने कहा, वर्ष 2019 तक 20 हजार मेगावाट बिजली बचाने का लक्ष्य है। देश के कई राज्यों में शहरी निकायों में स्ट्रीट लाइट से 50 फीसदी की बिजली बचत की जा रही है।

उन्होंने कहा कि ऊर्जा संरक्षण के लिए एलईडी बल्ब को बढ़ावा देते हुए मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड एवं बिहार राज्य में पोस्ट आफिस के जरिए भी एलईडी बल्ब बेचे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उजाला योजना के तहत 9 वाट का बल्ब 70 रुपये में मिल रहा है और तीन साल की वारंटी है। यानी तीन साल के भीतर खराब हो जाए तो इसे बदल सकते हैं।

कुमार ने कहा कि एलईडी बाजार का विकास दर 100 फीसदी से भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि अभी भी 77 करोड़ साधारण बल्ब उपयोग में है जिसे 2019 तक एलईडी बल्ब से बदलने का लक्ष्य है।

उल्लेखनीय है कि उजाला योजना ने पिछले तीन वर्षो के दौरान थोक खरीद के माध्यम से बाजार कीमत पर असर डालते हुए न केवल एलईडी बल्बों की लागत में 88 प्रतिशत तक की कमी की, बल्कि इसके विनिर्माण को भी बढ़ावा दिया। ऊर्जा और खर्च में बचत से कहीं बढ़कर, एलईडी बल्ब ने बेहतर रोशनी तथा उन्नत जीवन के माहौल के द्वारा लोगों के जीवन में व्यापक बदलाव लाया है। यह पहल केवल भारतीय बाजारांे तक ही सीमित नहीं है।

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बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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