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बिजनेस

सभी एटीएम विड्रॉल पर नहीं सिर्फ एक तरीके से चार्ज वसूलेगा एसबीआई

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मुंबई/तिरुवनंतपुरम। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने स्पष्ट किया है कि 1 जून से एटीएम से की जाने वाली सभी किस्म की निकासी पर शुल्क नहीं लगेगा, बल्कि केवल मोबाइल वॉलेट से की जाने वाली निकासी पर ही 25 रुपये प्रति निकासी प्रभार लगेगा। बैंक ने एक बयान में कहा, “25 रुपये प्रति लेन-देन शुल्क केवल मोबाइल वॉलेट ऐप एसबीआई बडी से की जानेवाली एटीएम निकासी पर लगेगा। यह केवल एसबीआई ग्राहकों पर लागू होगा।”

यह स्पष्टीकरण एसबीआई की उस अधिसूचना के बाद आया है जिसमें संकेत मिला कि एटीएम से पैसे निकालने के लिए 25 रुपये शुल्क लिया जाएगा, हालांकि बाद में दूसरी अधिसूचना जारी कर इस गलती को दूर कर लिया गया।

बैंक ने कहा कि एटीएम से मुफ्त निकासी की संख्या में कोई बदलाव नहीं किया गया है। एसबीआई के जनधन खाता धारक एक महीने में चार बार मुफ्त निकासी का लाभ उठा सकते हैं।

सामान्य बचत बैंक खाताधारकों को महानगरों में आठ नि:शुल्क एटीएम लेनदेन (एसबीआई एटीएम से पांच और अन्य बैंक एटीएम से तीन) और गैर महानगरों में 10 नि:शुल्क लेनदेन (एसबीआई एटीएम से पांच और अन्य बैंक एटीएम से पांच) जारी रहेगा।

इससे पहले केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने गुरुवार को एसबीआई पर अपने नुकसान की पूर्ति के लिए आम जनता से शुल्क वसूलने का आरोप लगाया था।

केरल विधानसभा में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए इसाक ने कहा कि इस ‘पागलपन’ भरे कदम का एकमात्र कारण यही है कि एसबीआई का बहुत सारा धन गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (बड़े कर्जदारों के पास फंसी रकम) के रूप में फंसा है जो बढक़र 1.67 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। इसी रकम की भरपाई के लिए बैंक ने यह शुल्क लगाया है।

इसाक ने कहा, “यह पागलपन और लापरवाही की हद है। एसबीआई के फंसे हुए कर्जो की सूची जानना दिलचस्प होगा। किसी को आश्चर्य नहीं होगा कि उसके बकाएदारों में ज्यादातर कॉरपोरेट कंपनियां हैं। अब अगर एसबीआई के मुनाफे पर नजर डालें और उसके डूब रहे कर्जो पर नजर डालें तो उसका मुनाफा घटकर काफी कम हो जाता है। इसलिए एसबीआई अपने घाटे को पाटने के लिए एटीएम से निकासी पर शुल्क लगा रही है। यह कुछ ऐसा है जिसे करने की निजी क्षेत्र के बैंक तो सोच भी नहीं सकते।”

बैंक की पहले जारी अधिसूचना के तहत ग्राहक द्वारा हर बार एटीएम से नकदी निकालने पर 25 रुपये का शुल्क तथा 5,000 रुपये से अधिक पुराने और कटे-फटे नोट बदलने पर भी शुल्क लगने की बात कही गई थी।

माकपा के लोकसभा सदस्य एम.बी. राजेश ने कहा, “यह अपमानजनक है और केंद्र सरकार लोगों को धोखा दे रही है। जब से नोटबंदी लागू की गई है, तभी से केंद्र सरकार लोगों को सता रही है। इसे संसद के अंदर और संसद के बाहर जोरदार तरीके से उठाया जाएगा।”

बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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