अन्तर्राष्ट्रीय
ओमीक्रॉन को हराने के लिए जर्मनी में लगेंगी वैक्सीन की चौथी डोज़, सरकार ने की घोसणा
ओमिक्रॉन (Omicron) के बढ़ते खतरे के बीच इजरायल के बाद अब जर्मनी (Israel & Germany) ने भी चौथे कोविड बूस्टर डोज (Fourth Booster Dose) को रोलआउट करने की घोषणा की है। इस बीच ब्रिटेन (Britain) भी चौथी खुराक पर विचार कर रहा है, क्योंकि कोरोना के मामले वहां एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं। जर्मन स्वास्थ्य मंत्री कार्ल लॉटरबैक ने बुधवार को बताया कि कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन से निपटने के लिए वैक्सीन की चौथी खुराक की जरूरत होगी।
लाखों डोज का दिया ऑर्डर
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मनी ने ओमिक्रॉन (Omicron) को ध्यान में रखकर बनाई गई विशेष वैक्सीन खरीदने के लिए निर्माता कंपनी को लाखों नई डोज का ऑर्डर दिया है। हालांकि, डिलीवरी अप्रैल या मई से पहले होने की उम्मीद नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री लॉटरबैक ने कहा कि वर्तमान में मॉडर्ना की कोविड वैक्सीन का उपयोग बूस्टर अभियान में किया जाता है और जर्मनी ने नए नोवावैक्स जैब की 40 लाख खुराक और नए वालनेवा शॉट की 1.1 करोड़ खुराक का भी ऑर्डर दिया है, जो मार्केटिंग अथॉरिटी की प्रतीक्षा कर रहा है।
जनवरी के मध्य में बिगड़ेंगे हाल
डीडब्ल्यू डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, जर्मनी के रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट (आरकेआई) के रोग नियंत्रण प्रमुख के अनुसार, जनवरी के मध्य तक ओमिक्रॉन वेरिएंट वायरस का सबसे प्रमुख वेरिएंट होगा। लोथर वीलर ने चेतावनी देते हुए कहा है कि संक्रमण की लहर जर्मनी में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को प्रभावित कर सकती है। बर्लिन में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान वीलर ने कहा, ‘पिछले कुछ दिनों में मामलों की संख्या में कमी जरूर आई है, लेकिन दुर्भाग्य से, यह सहजता का संकेत नहीं है।’
क्रिसमस कहीं चिंगारी न बन जाए
लोथर वीलर ने कहा कि हमें अभी भी बहुत अधिक मामलों की संख्या को कम करने की आवश्यकता है। क्रिसमस वह चिंगारी नहीं होनी चाहिए, जो ओमिक्रॉन की आग को जला दे। गौरतलब है कि जर्मनी में बुधवार को 45,659 नए कोरोनोवायरस मामले दर्ज किए गए, जो एक सप्ताह पहले की तुलना में 5,642 कम है। जबकि संक्रमण की वजह से मरने वालों की संख्या 510 दर्ज की गई है। जर्मनी और इजरायल की अगुवाई के बाद, टीकाकरण मामलों पर यूके की संयुक्त समिति (जेसीवीआई) भी बूस्टर के दूसरे सेट के रोलआउट पर विचार कर रही है।
नए साल में होगी उपलब्ध
जेसीवीआई के विशेषज्ञ अतिरिक्त खुराक को लेकर काम में जुट गए हैं। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को पहले से ही चौथी बूस्टर डोज की जरूरत महसूस हो रही है और इसके अलावा बुजुर्गों और अन्य कमजोर समूहों तक भी इसे बढ़ाया जा सकता है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चौथी डोज तीसरी खुराक के चार महीने बाद आने की संभावना है। अगर इसे हरी झंडी मिलती है, तो ये नए साल में उपलब्ध हो सकती है। जेसीवीआई के डिप्टी चेयरमैन प्रोफेसर एंथनी हार्डेन ने कहा कि हमें और डेटा देखने की जरूरत है। हमारी परिस्थिति इजरायल से अलग है और हमें अस्पताल में भर्ती होने के खिलाफ प्रतिरक्षा और टीके की प्रभावशीलता पर अधिक डेटा देखने की जरूरत है। ब्रिटेन में बुधवार को पहली बार 100,000 से अधिक नए दैनिक COVID मामले सामने आए थे।
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इस देश में नहीं मिलेगा किसी को मृत्युदंड, जानें क्या है वजह
नई दिल्ली। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपराधियों को मौत की सजा देने को लेकर बहस का दौर जारी है। एक ओर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मृत्युदंड की सजा को जोरदार तरीके से आगे बढ़ाने की बात कही है। तो वहीं, अब एक ऐसा देश सामने आया है जिसने अपने यहां मौत की सजा के प्रावधान को खत्म ही कर दिया है। यानी कि अब इस देश में किसी भी शख्स को मृत्युदंड नहीं मिलेगा। आपको बता दें किमौत की सजा खत्म करने वाले इस देश का नाम जिम्बाब्वे है।
कानून को राष्ट्रपति से मिली मंजूरी
अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे में मृत्युदंड की सजा के प्रावधान को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति एमर्सन मनंगाग्वा ने इस सप्ताह मृत्युदंड को खत्म करने के कानून के प्रावधान को मंजूरी दे दी है। जिम्बाब्वे में आखिरी बार किसी कैदी को लगभग दो दशक पहले मौत की सजा दी गई थी। इस कारण से ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा था कि जिम्बाब्वे मौत की सजा खत्म करने का कदम उठा सकता है।कभी
राष्ट्रपति एमर्सन को भी सुनाई गई थी मौत की सजा
आपको एक खास बात बता दें कि जिम्बाब्वे के वर्तमान राष्ट्रपति एमर्सन मनांगाग्वा को भी कभी फांसी की सजा सुनाई गई थी। जिम्बाब्वे के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान साल 1960 के दशक में उन्हें ये सजा दी गई थी। एमर्सन मनांगाग्वा का जन्म साल 1942 में हुआ था। उन्होंने उपनिवेशवाद के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया था जिस कारण उन्हें दस साल जेल में भी रहना पड़ा था। वर्तमान में वह 2017 से जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत हैं।
जिम्बाब्वे में ऐसे कितने कैदी हैं?
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1960 के दशक में मनंगाग्वा को भी फांसी की सजा सुनाई गई थी। जिम्बाब्वे में करीब 60 कैदी ऐसे हैं, जिन्हें मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। हालांकि, अब इस नए कानून के आने के बाद सभी की सजा को माफ कर दिया जाएगा। बता दें कि जिम्बाब्वे में अंतिम बार किसी को साल 2005 में मौत की सजा दी गई थी।
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