साइंस
औद्योगिक देशों में पुरुष भी बांझपन के जिम्मेदार
लंदन। औद्योगिक देशों में घटती जन्मदर का एक बड़ा कारण पुरुषों के कमजोर शुक्राणु भी हैं। एक नए शोध से इस बात का खुलासा हुआ है। खास बात है कि इसके लिए केवल सामाजिक-आर्थिक कारकों और महिलाओं की उम्र को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। पुरुष का प्रजनन स्वास्थ्य और पर्यावरण इसके लिए सामान्य रूप से जिम्मेदार हैं।
कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के बयान के मुताबिक, फिनलैंड, अमेरिका, डेनमार्क के शोधार्थियों ने प्रजनन संबंधी कारकों का अध्ययन किया। जिसमें उन्होंने पाया कि कमजोर शुक्राणु बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है। वैज्ञानिकों ने पाया कि औसत पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर सामान्य से कम देखा गया। इस अध्ययन के प्रथम लेखक प्रोफेसर नील्स ई. स्केकबेक के अनुसार, “शोध के दौरान 20 से 25 वर्ष की आयु के पुरुषों में कमजोर वीर्य की जानकारी हैरान करने वाला रही। औसत पुरुषों के 90 प्रतिशत शुक्राणु असामान्य हैं। हालांकि बहुत सारे शुक्राणुओं में कुछ शुक्राणुओं के कमजोर होने से प्रजनन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।”
स्केकबेक बताते हैं, इससे प्रतीत होता है कि औद्योगिकीकृत देशों में यह चरम पर है जहां कमजोर वीर्य इतने बड़े पैमाने पर मिल रहे हैं जिससे लग रहा है कि गर्भावस्था की गिरती दरों की यह बड़ी वजहों में से है। शोधार्थियों के अनुसार, पुरुष प्रजनन समस्याओं के कई कारण होते हैं। भ्रूण के विकास के दौरान टेस्टिस का क्षतिग्रस्त हो जाना और कुछ अनुवांशिक परिवर्तनों की वजह से भी पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है।
शोधार्थी बताते हैं, “हाल में हुए इस अध्ययन से पता चला है कि पुरुषों की समस्या के पीछे पार्यावरण जोखिम भी जिम्मेदार हैं क्योंकि आज की जीवनशैली में आधुनिकता, तकनीक और प्रदूषण ने अपनी मजबूत जगह बना ली है जिसकी गिरफ्त से निकलना आसान नहीं है।” इस शोध में वैज्ञानिकों ने बताया, “प्रजनन में आयु भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। हालांकि हमने अपने विश्लेषण में यह भी पाया है कि डेनमार्क में 1901 में महिलाओं की बच्चे को जन्म देने की औसत उम्र वर्तमान की औसत आयु के समान ही है। इसलिए बच्चे के जन्म में देरी ही केवल मौजूदा स्थितियों के लिए जिम्मेदार नहीं हो सकती।”
स्केकबेक का कहना था, “इस समय युवा जिस जोखिम से गुजर रहे हैं, वह केवल उन्हीं तक सीमित नहीं है। इससे उनकी संतानों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।” शोधार्थियों का कहना है कि प्रजनन दर की गिरावट को समझने और नियंत्रण के लिए प्रजनन चिकित्सा में अभी अधिक शोध की जरूरत है। यह अध्ययन ‘अमेरिकन जर्नल साइकोलॉजिकल रिव्यूस’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
Success Story
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी पैसेंजर वैन पर आतंकी हमला, 50 की मौत
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी एक पैसेंजर वैन पर हुए आतंकी हमले में 50 करीब लोगों की मौत हो गई। ये घटना खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले की है। पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर लगे अफगानिस्तान के साथ पाराचिनार जिले में अक्सर हिंसा का अनुभव होता रहता है। इसके सुन्नी और शिया मुस्लिम समुदाय जमीन और सत्ता पर काबिज हैं।
इस क्षेत्र के शिया अल्पसंख्यक हैं, उन्हें 241 मिलियन की आबादी वाला मुख्य रूप से सुन्नी मुस्लिम राष्ट्र भी कहा जाता है। स्थानीय पुलिस अधिकारी अजमत अली का इस मामले में बयान सामने आया है, उन्होंने बताया कि कुछ गाड़ियां एक काफिले में पाराचिनार शहर से खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर की ओर जा रही थी।
इस दौरान बीच रास्ते में काफिले पर हमला हो गया। प्रांतीय मंत्री आफताब आलम ने कहा है कि अधिकारी हमले में शामिल लोगों का पता लगाने के लिए जांच कर रहे हैं। साथ ही गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने गोलीबारी को आतंकवादी हमला बताया। वहीं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने हमले की निंदा की और कहा कि निर्दोष नागरिकों की हत्या के पीछे के लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
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