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कंपनियों में माताओं के लिए स्तनपान की सुविधा नहीं : सर्वेक्षण

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नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)| देश के 50 प्रतिशत से अधिक कामकाजी महिलाओं का मानना है कि उनके कार्यालयों में उन्हें अपने बच्चों को स्तनपान करवाने की उचित सुविधा उपलब्ध नहीं है। यह बात विश्व स्तनपान सप्ताह के उपलक्ष्य में ब्रेस्टफीडिंग पम्प्स एवं नर्सिग एसेसरीज की अग्रणी निर्माता मेडेला इंडिया द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण से मिली है। यह सर्वेक्षण दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरू, हैदराबाद और चेन्नई आदि बड़े शहरों में किया गया।

सर्वेक्षण के परिणाम से पता चला है कि 78 प्रतिशत भारतीय माताओं ने प्रसव के बाद पहले 6 महीनों के लिए अपने शिशुओं का स्तनपान करने की योजना बनाई थी। इनमें से 54 प्रतिशत को मां बनने के बाद अपने कैरियर की आकांक्षा दबानी पड़ी।

विश्व स्तनपान सप्ताह (1-7 अगस्त) का लक्ष्य स्थायी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने और माता को स्तनपान देने के लिए प्रोत्साहित करना है।

मेडेला इंडिया की प्रबंध निदेशक एमिली मॉलर्ड ने बताया, आज माताओं का एक बड़ा हिस्सा मातृत्व की जिमेदारियों और एक पेशेवर के रूप में अपनी जिम्मेदारियों के बीच जकड़ा महसूस कर रहा है। इसलिए, घरों और काम के बीच माताओं को एक तरह से डबल-श्फ्टि (दो कार्यअवधि) के तौर पर काम करने में मदद के लिए कॉर्पोरेट्स की भूमिका तेजी से महत्वपूर्ण हो रही है। ऐसे में कई नए प्रयास जैसे कि अलग से फीडिंग रूम स्थापित करने से न सिर्फ नई माताओं को अपने शिशुओं की देखभाल करने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे उनकी नौकरी छोड़ने की दर में भी कमी आएगी।

उन्होंने कहा, लैक्टेशन कंसल्टेंट्स के माध्यम से काम के समय को सुविधाजनक घंटों में बांटने या घर से काम करने के विकल्प मुहैया कराने से काम के बोझ को बांटने से नई माताओं को भावनात्मक और मानसिक सहायता मिल सकती है। इससे माताओं के लिए अपने काम पर वापिस आना काफी सहज और आसान होगा और इससे न सिर्फ उनको फायदा होगा, बल्कि उनके संगठन को भी संपूर्ण तौर पर लाभ होगा।

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नेशनल

दिल्ली के आसमान में छाई धुंध, AQI 400 के पार, लोगों को सांस लेने में हो रही मुश्किल

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नई दिल्ली। नवंबर का महीना आधा बीत चुकी है, बावजूद इसके इस बार दिल्ली में सिर्फ सुबह और शाम को ही ठंड का अहसास हो रहा है। सुबह-शाम की के समय पड़ रही सर्दी में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब हो गया है, जिससे लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है। हवा की गुणवत्ता को सुधार करने के लिए दिल्ली में ग्रेप-3 लागू किया गया है, लेकिन इससे भी दिल्ली की हवा में कोई खास फर्क नजर नहीं आ रहा है और ये लगातार जहरीली होती जा रही है।

इस बीच रविवार को दिल्ली में वायु का गुणवत्ता सूचकांक 400 के पास निकल गया। इस दौरान राजधानी के दस से ज्यादा इलाकों में हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर दर्ज की गई। बता दें कि दिल्ली में फिलहाल GRAP-3 लागू हैं, बावजूद इसके राष्ट्रीय राजधानी की हवा साफ नहीं हो रही. ऐसे में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए किए जा रहे उपाय बेकार नजर आ रहे हैं।

दिल्ली के इन इलाकों में एक्यूआई 400 पार

रविवार सुबह दिल्ली-एनसीआर में एक बार फिर से धुंध छाई नजर आई. इस दौरान द्वारका-सेक्टर 8 और दिल्ली डीपीसीसी द्वारका में एक्यूआई 443 दर्ज किया गया। जबकि एनएसआईटी द्वारका में वायु गुणवत्ता सूचकांक 406 रहा। वहीं पश्चिमी दिल्ली में AQI 426 और डीपीसीसी पश्चिमी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 406 पहुंच गया. वहीं शादीपुर में ये 457, शिवाजी पार्क में 448 और भीम नगर के साथ मुंडका इलाके में वायु गुणवत्ता सूचकांक सबसे ज्यादा 465 दर्ज किया गया।

उधर दिल्ली दुग्ध योजना कॉलोनी में एक्यूआई 430, आरके पुरम में 435, श्री अरबिंदो मार्ग में 436, आया नगर में 423 तो लोधी रोड में वायु की गुणवत्ता 378 दर्ज की गई. जबकि नजफगढ़ एक्यूआई 399, वजीरपुर 463, चांदनी चौक 368 दर्ज किया गया. वहीं गोकलपुरी 375, अशोक विहार 449, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में एक्यूआई 366, रोहिणी 449 और आईटीओ में 410 दर्ज किया गया. जो बेहद खराब श्रेणी में बना हुआ है।

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