ऑफ़बीट
कचरे का पहाड़ रखने को नई दिल्ली जितना बड़ा कूड़ाघर लगेगा
नई दिल्ली। देश में इस समय लगभग सारा कचरा बिना पर्याप्त शोधन के यूं ही फेंका या बहाया जा रहा है। अगर यही हाल रहा तो 2050 तक देश से निकलने वाला कचरा इतना अधिक होगा कि उसे ठिकाने लगाने के लिए नई दिल्ली के क्षेत्रफल के आकार का कूड़ाघर चाहिए होगा। देश के अग्रणी उद्योग मंडल, एसोचैम ने एक अध्ययन के हवाले से रविवार को यह बात कही।
एसोचैम और अकाउंटिंग कंपनी ‘पीडब्ल्यूसी’ के संयुक्त अध्ययन के अनुसार, “भारत में चूंकि इस समय अधिकांश कचरा बिना शोधन के फेंका/बहाया जा रहा है, लिहाजा 2050 तक पूरे देश के कचरे के निष्पादन के लिए 88 वर्ग किलोमीटर भूमि की जरूरत होगी, जो नई दिल्ली महानगर परिषद के प्रशासनिक क्षेत्र के बराबर है।”
अध्ययन में कहा गया है, “और अंतत: इतनी बड़ी भूमि अगले 50 वर्षो तक किसी अन्य काम के लायक नहीं रह जाएगी, जब तक कि इसे अन्य कार्यो के लायक न बना लिया जाए।”
अनुमान के मुताबिक, 2050 तक भारत की आधी आबादी शहरी इलाकों में रहने लगेगी, परिणामस्वरूप हर साल पांच फीसदी कचरा बढ़ता जाएगा।
इस अनुमान के मुताबिक, 2021 तक देशभर में हर वर्ष निकलने वाला कुल कचरा 10.1 करोड़ टन, 2031 तक 16.4 करोड़ टन और 2050 तक 43.6 करोड़ टन हो जाएगा।
अध्ययन के अनुसार, देशभर से निकलने वाले कुल कचरे का 80 फीसदी हिस्सा 10 से 50 लाख तक की आबादी वाले प्रथम श्रेणी के महानगरों से निकलेगा।
अध्ययन में अनुमान के आधार पर कहा गया है कि देश के मध्यम श्रेणी के शहरों में इस समय प्रति दिन प्रति व्यक्ति 300 से 400 ग्राम कचरा निकलता है, जबकि बड़े शहरों के लिए यह मात्रा 400 से 600 ग्राम है।
अध्ययन में देश में कचरा प्रबंधन को प्रभावित करने वाले कारकों के रूप में अनुपयुक्त योजना, जटिल सांस्थानिक संरचना, कचरा प्रबंधन के लिए क्षमता की कमी और नगर निकायों को मिलने वाली सीमित धनराशि को रेखांकित किया गया है।
ऑफ़बीट
मध्य प्रदेश के शहडोल में अनोखे बच्चों ने लिया जन्म, देखकर उड़े लोगों के होश
शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां ऐसे बच्चों ने जन्म लिया है, जिनके 2 शरीर हैं लेकिन दिल एक ही है। बच्चों के जन्म के बाद से लोग हैरान भी हैं और इस बात की चिंता जता रहे हैं कि आने वाले समय में ये बच्चे कैसे सर्वाइव करेंगे।
क्या है पूरा मामला?
एमपी के शहडोल मेडिकल कालेज में 2 जिस्म लेकिन एक दिल वाले बच्चे पैदा हुए हैं। इन्हें जन्म देने वाली मां समेत परिवार के लोग परेशान हैं कि आने वाले समय में इन बच्चों का क्या भविष्य होगा। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा कि शरीर से एक दूसरे से जुड़े इन बच्चों का वह कैसे पालन-पोषण करेंगे।
परिजनों को बच्चों के स्वास्थ्य की भी चिंता है। बच्चों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा इन्हें रीवा या जबलपुर भेजने की तैयारी की जा रही है, जिससे इनका उचित उपचार हो सके। ऐसे बच्चों को सीमंस ट्विन्स भी कहा जाता है।
जानकारी के अनुसार, अनूपपुर जिले के कोतमा निवासी वर्षा जोगी और पति रवि जोगी को ये संतान हुई है। प्रेग्नेंसी के दर्द के बाद परिजनों द्वारा महिला को मेडिकल कालेज लाया गया था। शाम करीब 6 बजे प्रसूता का सीजर किया गया, जिसमें एक ऐसे जुडवा बच्चों ने जन्म लिया, जिनके जिस्म दो अलग अलग थे लेकिन दिल एक ही है, जो जुड़ा हुआ है।
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