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IANS News

‘कन्हाई कला’ को नई पीढ़ी से जोड़ रहे गोविंद

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नई दिल्ली, 21 अप्रैल (आईएएनएस)| चित्रकला के क्षेत्र में अलग पहचान बना चुके वृंदावन के जाने-माने चित्रकार गोविंद कन्हाई अपने परिवार द्वारा प्रचारित ‘कन्हाई कला’ की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। उनकी कोशिश कन्हाई कला को सिर्फ संजोकर रखना नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को इससे जोड़ना भी है। उनकी प्रसिद्ध कलाकृतियां अमिताभ बच्चन और अनिल अंबानी जैसी नामचीन हस्तियों के घरों की दीवारों पर भी देखी जा सकती हैं।

गोविंद कन्हाई अपनी कलाकृतियों के जरिए वृंदावन में कृष्ण की जिंदगी के अलग-अलग स्वरूपों और पलों को सहेजने की कोशिश कर रहे हैं। गोविंद जिस गोल्ड पेंटिंग्स के संरक्षण की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं, उसे उनके पिता कन्हाई चित्रकार ने उस दौर में प्रचलित किया था, जब वह विलुप्त होने के कगार पर थी।

गोविंद (53) ने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा, मैंने अपना व्यावसायिक सफर 18 साल की उम्र में प्राचीन गोल्ड पेंटिंग्स से शुरू किया था। इस कला को मैंने अपने गुरु एवं पिता कन्हाई चित्रकार के संरक्षण में सीखा था। हाल के दिनों में मैं कंटम्परेरी पेंटिंग्स की ओर भी बढ़ रहा हूं, जिससे युवा पीढ़ी जुड़ रही है। इस चित्रकला की खासियत है कि इस कला में इंक या फॉयल के रूप में गोल्ड का उपयोग किया जाता है। कई बार इसमें कीमती पत्थरों का भी प्रयोग होता है।

गोविंद कहते हैं, मुझे इस काम में धकेला नहीं गया है, बल्कि मेरे परिवार ने मुझे पेंटिंग्स के उभरे हुए हिस्से में गोल्ड एम्बॉस्ड करने की जिम्मेदारी सौंपी थी, क्योंकि मैं इस काम में अच्छा था। मैं रोजना सुबह पेंटिंग्स करता था और बाद में कॉलेज जाता था। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें मैंने विशेषज्ञता हासिल कर ली। यह अत्यंत विशिष्ट क्षेत्र है और गोल्ड एम्बॉसिंग को पेंटिंग्स का सबसे आकर्षक फीचर माना जाता है। आगे भी इसमें मेरी दिलचस्पी बनी रही और इसके बाद मैंने गोल्ड एम्बॉसिंग के क्षेत्र में दक्षता हासिल की।

गोविंद कन्हाई ने सूफीवाद पर अद्भुत श्रृंखला तैयार की है। उन्होंने तुर्की के कवि रूमी के विचारों को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कई 3डी पेंटिंग भी बनाई है। वह किसी भी पेंटिंग को शुरू करने से पहले आध्यात्मिक साहित्य पढ़ते हैं। कलाकार कहते हैं, इससे मुझे काम करने की प्रेरणा मिलती है। मसलन, पेंटिंग शुरू करने से पहले मेरे पास कहने के लिए कोई न कोई कहानी होनी जरूरी है।

कलाकृतियों, खासतौर पर कन्हाई गोल्ड पेटिंग्स के टिकाऊपन के बारे में पूछने पर गोविंद कहते हैं, कन्हाई गोल्ड पेंटिंग्स का जीवनकाल कम से कम 100 वर्षो का या इससे ज्यादा भी हो सकता है। यह दरअसल पेंटिंग के रखरखाव और देखभाल पर निर्भर करता है। गोल्ड पेंटिंग्स को आज भी कई लोग पसंद करते हैं, लेकिन आज की युवा पीढ़ी कंटेम्परेरी कलाकृतियों को ज्यादा महत्व देती है।

वर्ष 2015 में यश भारती पुरस्कार से नवाजे गए गोविंद कहते हैं, यह लोगों की जीवनशैली से जुड़ी है और यह देखने में कीमती नजर आती है। हर पेंटिंग एक कहानी कहती है। उन पेंटिंग्स में हम मुख्य रूप से भगवान राम, कृष्ण और शिव पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

वह कहते हैं, कई नामचीन हस्तियों के घर और उनके दफ्तर कन्हाई पेंटिंग्स से सजे हुए हैं, जिसमें अमिताभ बच्चन, अनिल अंबानी, यश बिरला, कुमार मंगलम बिड़ला, अमर सिंह, सुब्रत रॉय शामिल हैं.. यहां तक कि दिवंगत राजीव गांधी ने हमें पंडित जवाहरलाल नेहरू का पोटेर्र्ट बनाने का काम भी सौंपा था।

गोविंद कहते हैं, कला कभी नहीं मरती और यह हमेशा संरक्षित रहती है। कलाकृतियां लोगों को और उनकी सोच को प्रेरित करती रहेंगी। प्राचीन या कंटेम्परेरी पेंटिंग्स की मांग हमेशा बनी रहेगी, यह लोगों की निजी पसंद पर निर्भर करता है।

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टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया

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 दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।

  वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।

यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।

फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।

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