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कश्मीर में मनवाधिकार उल्लंघन की जांच हो : संयुक्त राष्ट्र

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जेनेवा/नई दिल्ली 14 जून (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को जारी अपनी पहली रिपोर्ट में कहा कि भारत और पाकिस्तान के सुरक्षा बलों ने वर्ष 2016 से जम्मू और कश्मीर में दोनों तरफ से ‘अत्यधिक’ हिंसात्मक कार्रवाई की है, जिसमें भारी तादाद में नागरिकों की मौत हुई और अनेक लोग घायल हुए।

भारत ने इस इस रिपोर्ट को ‘भ्रामक, पक्षपातपूर्ण व प्रायोजित’ बताते हुए पूरी तरह से खारिज कर दिया। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी तरह की इस पहली रिपोर्ट में इस क्षेत्र में कथित हिंसा की अंतर्राष्ट्रीय जांच की मांग की है।

यह 49 पन्नों की रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘भारत और पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर के हिस्सों में मानवाधिकार स्थिति पर जारी की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ मानवधिकार का उल्लंघन हुआ है और हिंसा हुई है।

संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार उच्चायुक्त जैद राद अल हुसैन ने कहा, भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का राजनीतिक आयाम काफी समय से अहम रहा है लेकिन समय के साथ अंत होने वाला विवाद नहीं है। इस विवाद ने लाखों लोगों को मौलिक मानवाधिकार से महरूम कर दिया है और आज भी लोग पीड़ा झेल रहे हैं।

जैद ने कहा, इसलिए मैं संयुक्त राष्ट्र मानवधिकार परिषद को जांच आयोग गठित करने का आग्रह करता हूं जो कश्मीर में मानवाधिकार हनन की समग्र स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय जांच करेगा।

यह रिपोर्ट मुख्यत: जम्मू एवं कश्मीर में जुलाई 2016 से अप्रैल 2018 के बीच कथित गंभीर हिंसा पर केंद्रित है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दौरान सुरक्षाबलों के हाथों लगभग 145 नागरिक मारे गए और सशस्त्र समूहों ने 20 नागरिकों की हत्या की।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, भारत रिपोर्ट को खारिज करता है। यह भ्रामक, पक्षपातपूर्ण व प्रायोजित है। हमारा सवाल ऐसी रिपोर्ट प्रकाशित करने की मंशा को लेकर है।

कुमार ने कहा, इसमें बहुधा बगैर जांच-परख के प्राप्त सूचनाओं का चयनित संकलन है। यह बिल्कुल पूर्वाग्रहपूर्ण है और इसमें झूठी कहानी गढ़ी गई है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि आतंकवाद मानवाधिकार के उल्लंघन की सबसे खराब स्थिति है फिर भी रिपोर्ट के लेखकों ने पाकिस्तान से पैदा हुई सीमापार आतंकवाद को नजरंदाज कर दिया है।

उन्होंने कहा, सीमापार आतंक और उसे प्रोत्साहन देने का मकसद जम्मू-कश्मीर के लोगों का दमन करके उनके राजनीतिक व सामाजिक संरचना को भंग करना और भारत की अखंडता को कमजोर करना है।

उन्होंने कहा, यह घबराहट की बात है कि रिपोर्ट तैयार करने वालों ने अंतर्राष्ट्रीय व संयुक्त राष्ट्र द्वारा निषिद्ध आतंकी संस्थाओं को सशस्त्र समूह और आतंकियों को नेता के रूप में व्याख्यायित किया है। यह संयुक्त राष्ट्र की अगुवाइ्र में आतंकवाद पर शून्य सहनशीलता की सर्वसम्मति को कमजोर करता है।

कुमार ने कहा कि रिपोर्ट में भारत की संप्रभुता और प्रादेशिक एकता का उल्लंघन किया गया है। उन्होंने कहा कि संपूर्ण जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।

उन्होंने कहा, पाकिस्तान ने हमला करके भारतीय राज्य का एक हिस्सा अवैध तरीके से बलपूर्वक हथिया लिया है। हमने बार-बार पाकिस्तान को उसके द्वारा अधिकृत क्षेत्र को खाली करने को कहा है।

कुमार ने कहा, रिपोर्ट में भारतीय क्षेत्र का गलत विवरण हानिकर, भ्रामक और अस्वीकार्य है। आजाद जम्मू-कश्मीर और गिलगिट-बाल्टिस्तान का कोई अस्तित्व नहीं है।

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण है और इसमें जानबूझकर भारत के संविधान में जम्मू-कश्मीर समेत देश के हरेक नागरिक को मौलिक अधिकार और स्वतंत्रता की गारंटी दिए जाने को नजरंदाज किया गया है।

रिपोर्ट में 2016 में प्रदर्शनकारियों पर प्रयोग किए गए पैलेट फायरिंग शॉट गन का भी जिक्र किया गया है, जिसे ‘सबसे खतरनाक हथियार’ बताया गया है।

जैद ने भारतीय सुरक्षा बलों से अत्यधिक संयम बरतने और भविष्य में प्रदर्शनकारियों से निपटने के दौरान अंतर्राष्ट्रीय मानक का पालन करने का आग्रह किया है।

जैद ने कहा, यह जरूरी है कि भारतीय अधिकारी कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग करने के उदाहरणों की पुनरावृत्ति पर तत्काल कार्रवाई करे और जरूरी कदम उठाए।

वहीं रिपोर्ट में पाकिस्तान के लिए कहा गया है, विशेषज्ञ मानते हैं कि इसकी सेना नियंत्रण रेखा के पार सशस्त्र समूहों के अभियानों को समर्थन देती है। इसमें कहा गया है कि ‘पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर’ में उल्लंघन की वारदातें ‘स्ट्रक्चरल’ तरीके से होती हैं।

रिपोर्ट मे पाकिस्तान से शांतिपूर्ण राजनीतिक और सिविल क्रियाकलापों में लिप्त लोगों के खिलाफ आतंकवाद निरोधी कानून का दुरुपयोग समाप्त करने का आग्रह किया गया है।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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