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कांग्रेस की ‘बी’ टीम है आप : मनोज तिवारी

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नई दिल्ली, 5 नवंबर (आईएएनएस)| भातीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली का प्रशासनिक प्रमुख तय करने के मामले में आम आदमी पार्टी द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में अपनी ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम को अपना प्रतिनिधि बनाने को लेकर आप पर निशाना साधते हुए उसे कांग्रेस की ‘बी’ टीम बताया है।

दिल्ली भाजपा के प्रमुख मनोज तिवारी ने यहां मीडियाकर्मियों को बताया, चाहे चिदंबरम का दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को बचाने की खबरें हों या निर्वाचन आयोग से संपत्ति या अन्य बातें छिपाने की खबरें हों, हमें अब कुछ भी हैरान नहीं करता।

तिवारी ने आरोप लगाया, हमने शुरू से कहा है कि आम आदमी पार्टी (आप) कांग्रेस की ‘बी’ टीम है और अब चिदंबरम के केजरीवाल सरकार का वकील बनना स्वीकार करने की खबरें साफ करती हैं कि कांग्रेस ने खुले तौर पर अपनी ‘बी’ टीम को बचाने का फैसला कर लिया है।

उन्होंने कहा कि जल्द ही अजय माकन के नेतृत्व वाली दिल्ली कांग्रेस का आप में विलय होते नजर आ सकता है।

तिवारी की यह टिप्पणी चिंदबरम द्वारा उस न्यायिक टीम में शामिल होने के बाद आई है जो दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर बहस करेगी जिसमें कहा गया है कि उपराज्यपाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) का प्रशासनिक प्रमुख होता है।

सर्वोच्च न्यायालय में चिदंबरम द्वारा आप सरकार का प्रतिनिधित्व करने की घोषणा आप सरकार के स्थायी सलाहकार राहुल मेहरा ने सोमवार को की थी।

गृह मंत्रालय द्वारा मई 2016 में एक अधिसूचना को पारित करने के बाद आप और केंद्र सरकार आमने-सामने आ गए, जिसके तहत सार्वजनिक आदेश, पुलिस और सेवाओं जैसे मामलों में दिल्ली के तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग को अप्रत्याशित अधिकार दिए गए थे।

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नेशनल

हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक, कांग्रेस को भारी पड़ी गुटबाजी

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सुबह 8 बजे जब EVM खुलीं तो काँग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश हाई था .. जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती गई कार्यकर्ताओं का जोश नाच गाने और लड्डू बांटने में तब्दील हो गया.. लेकिन ये क्या अचानक से वक्त बदल गया हालात बदल गए और देखते देखते जज़्बात ठंडे पड़ गए .. हरियाणा में जो काँग्रेस रुझानों में पूर्ण बहुमत में दिख रही थी वो अर्श से फर्श पर आ गई और जो बीजेपी फर्श पर पड़ी थी वो अर्श पर पहुँच गई. अब जोश वही था लेकिन हालात और जज़्बात अपनी जगह बदल चुके थे.. अब ढोल की गूंज बीजेपी ऑफिस पहुँच चुकी थी और लड्डू बीजेपी कार्यकर्ताओं का मुंह मीठा कर रहे थे .लोकसभा चुनाव की तरह हरियाणा के नतीजों ने भी चुनावी पंडितों को मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर दिया.. सारे  पोल धाराशाई हो गए.. बीजेपी का कमल पूरे बहुमत के साथ खिल गया.. काँग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड के जिस कमरे में कौन बनेगा हरियाणा का मुख्यमंत्री पर चर्चा हो रही थी वहाँ का माहौल गमगीन हो गया और इस बात पर चर्चा होने लगी इस हार का बलि का बकरा कौन बनेगा.. 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को बीजेपी की रणनीति ने प्रो इनकंबेंसी में बदल कर तीसरी बार सत्ता में वापसी कर ली. जान लेते हैं वो कौन सी वजहें थीं जिसने हरियाणा में कांग्रेस की नैया डुबाने का काम किया है.

गुटबाजी कांग्रेस को भारी पड़ी

हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी की होती रही. कुमारी शैलजा और हुड्डा के साथ एक खेमा रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी था. ऊपर के नेताओं के बीच की इस खींचतान ने संगठन को नुकसान पहुंचाने का काम किया और कार्यकर्ताओं के अंदर भी असमंजस की स्थिति बनी रही. तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान प्रदेश में खेमेबाजी पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा और पार्टी जीती हुई लड़ाई हार गई।

एंटी इनकंबेंसी को भुनाने में रही नाकामयाब

काँग्रेस अपनी अंदरूनी खींचतान से ही नहीं उबर पाई जिससे चुनाव प्रचार के दौरान काँग्रेस बीजेपी की गलतियों को भुनाने में नाकामयाब रही . हालांकि कांग्रेस के पास 10 साल की एंटी इनकंबेंसी,  मुख्यमंत्री बदलने जैसे मुद्दे थे. पहलवानों का प्रदर्शन और अग्निवीर योजना से लेकर किसान आंदोलन जैसे बड़े मुद्दों को प्रचार के दौरान ठीक से हवा नहीं दी जा सकी. लिहाजा पार्टी का पूरा ध्यान खेमेबाजी पर लगाम लगाने में ही रहा और इसका बीजेपी ने पूरा फायदा उठाया.

केजरीवाल की बेल ने बिगाड़ा खेल

चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल जेल से बाहर आए तो गठबंधन के लिहाज से काफी देर हो चुकी थी .. केजरीवाल खुलकर हरियाणा के चुनावी मैदान में उतार चुके थे लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ अगर काँग्रेस का गठबंधन होता तो शायद तस्वीर अलग होती.

टिकट बंटवारे में दिखी गुटबाजी

टिकट बंटवारे में गुटबाजी और भाई भतीजाबाद को अलग रखकर सिर्फ विनिंग उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती, तो भी नतीजे उलट सकते थे. आम आदमी पार्टी को भले ही किसी सीट पर जीत न मिली हो, लेकिन करीबी मुकाबले वाली सीटों पर उसने कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है…

एस एन द्विवेदी के साथ शिखा मेहरोत्रा की रिपोर्ट

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