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काला धन से जुड़े हर किसी पर गिरेगी गाज

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नई दिल्ली | भारतीयों द्वारा विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने, इस बुराई पर लगाम लगाने और भविष्य में इस तरह के गोरखधंधे को रोकने के लिए प्रस्तावित नए विधेयक के तहत सिर्फ काला धन जमा करने वालों पर ही कार्रवाई नहीं होगी, बल्कि इसमें संलिप्त बैंकों, चार्टर्ड अकाउंटेंट, निदेशकों और कर्मचारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने प्रस्तावित नए कानून की बारीकियों को समझाते हुए कहा है, “काले धन के मोर्चे पर सख्त कार्रवाई करने की सरकार की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए काले धन की समस्या को जड़ से मिटाने के लिए एक अभूतपूर्व और बहुआयामी पहल की गई है।”

केद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा लोकसभा में पेश किए गए अघोषित विदेशी आय एवं संपत्तियों पर कराधान विधेयक, 2015 के बारे में वित्त मंत्रालय ने कहा है, “सरकार को विश्वास है कि यह नया कानून एक सशक्त निवारक की तरह काम करेगा और भारतीयों द्वारा विदेशों में जमा काले धन पर लगाम लगाने में सक्षम होगा।” वित्त मंत्रालय ने कहा है, “किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा गलत रिटर्न दाखिल करने, खातों की गलत जानकारी देने या बयान दर्ज कराने या घोषणा करने के लिए उकसाना इस अधिनियम के तहत दंडनीय होगा। इसके लिए छह महीने से लेकर सात साल तक के सश्रम कारावास की सजा का प्रावधान होगा।”

वित्त मंत्रालय ने कहा है, “भारतीयों की विदेशी आय और संपत्तियों से संबंधित जानकारियों को छिपाने और नकली दस्तावेज जमा करने के लिए यह प्रावधान बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर भी लागू होता है।” इस विधेयक में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि इसके तहत व्यक्ति या फिर कंपनी, दोनों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। विधेयक के मुताबिक, यदि कोई कंपनी अपराध करती है तो कंपनी कारोबार के तत्कालीन प्रभारी हर व्यक्ति को दोषी ठहराया जाएगा। इसमें कंपनी का प्रबंध निदेशक, निदेशक, सचिव या वह कोई भी अधिकारी शामिल हो सकता है, जिसकी अपराध में सहमति हो, साठंगांठ हो या उसने इस मामले को नजरअंदाज किया हो।

जेटली ने इस तरह के मामलों में जवाबदेही के बारे में कहा है कि किसी विदेशी आय के संबंध में कर से बचने की सायास कोशिश के लिए जुर्माने के साथ तीन से 10 साल तक के सश्रम कारावास की सजा होगी। इस विधेयक में भुगतान योग्य राशि की वसूली करने के तरीके भी शामिल किए गए हैं।
विधेयक से जुड़े अनुच्छेदों पर एक टिप्पणी में कहा गया है, “किसी वित्त वर्ष के दौरान यदि किसी कंपनी से बकाये की वसूली नहीं की जा सकती, तो उस वित्त वर्ष के दौरान कंपनी के प्रबंधक पद पर रहा व्यक्ति उस वित्त वर्ष के लिए कंपनी से संबंधित बकाया राशि के भुगतान के लिए संयुक्त रूप से और व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह होगा।”

मंत्रालय ने कहा है, “यह राशि कर्मचारियों की देय राशि और कर्ज के भुगतान के बाद कंपनी के पास बची बाकी संपत्तियों पर लागू होगी।” वित्त मंत्रालय ने कहा है कि अपराधी के देनदार को कर दायित्व पूरा करने लायक राशि का ही भुगतान करने को कहा जा सकता है। इस राशि का भुगतान न कर पाने की स्थिति में देनदार को डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाएगा।

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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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