Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

किन्नर जोइता मंडल ने ‘न्यायाधीश’ बनने तक लड़ी लंबी लड़ाई

Published

on

Loading

इंदौर, 15 जनवरी (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल की 30 वर्षीय जोइता मंडल की पहचान आज देश की पहली ‘किन्नर’ ( ट्रांसजेंडर) न्यायाधीश के तौर पर है। जोइता का जीवन में हार न मानने का जज्बा दिखाता है कि वह अपने संघर्ष से सबक लेकर समाज को एक नई सीख दे रही हैं। वह वृद्धाश्रम के संचालन के साथ रेड लाइट इलाके में रह रहे परिवारों की जिंदगियां बदलने में लगी हैं।

उनके इस सेवा और समर्पण भाव को देखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने उनका सम्मान करते हुए उन्हें लोक अदालत का न्यायाधीश नामांकित किया है। वे देश की पहली ‘किन्नर’ न्यायाधीश हैं।

मध्य प्रदेश की व्यावसायिक नगरी में ट्रेडेक्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आईं जोइता ने आईएएनएस से कई मुद्दों पर और खासकर किन्नर समाज तथा रेड लाइट इलाके में रहने वाले परिवारों की समस्याओं पर खुलकर चर्चा की। साथ ही अपने जिंदगी के उन पलों को भी साझा किया, जब उन्होंने कई रातें रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर गुजारी थी।

जोइता ने अपने बीते दिनों को याद करते हुए कहा, वे भी अपने को आम लड़की की तरह समझती थीं, बचपन इसी तरह बीता, जब उम्र 18 वर्ष के करीब थी, तब उनका भी मन दुर्गा पूजा के वक्त सजने संवरने का हुआ, वे ब्यूटी पार्लर जा पहुंचीं, लौटकर आई तो घर के लोग नाराज हुए, वे उसे लड़का मानते थे, उस वक्त उन्हें इतना पीटा गया कि वे चार दिन तक बिस्तर से नहीं उठ सकीं और इलाज के लिए चिकित्सक के पास भी नहीं ले जाया गया।

उन्होंने कहा, जब कॉलेज जाती थी तो सभी उनका मजाक उड़ाया करते थे, इसके चलते पढ़ाई छोड़ दी। वर्ष 2009 में उन्होंने घर छोड़ने का फैसला कर लिया, कहां जाएंगी कुछ भी तय नहीं था, इतना ही नहीं एक रुपये भी पास में नहीं था। दिनाजपुर पहुंची तो होटल में रुकने नहीं दिया गया, बस अड्डे और रेलवे स्टेशन पर रातें गुजारीं। होटल वाला खाना तक नहीं खिलाता, वह पैसे देकर कहता है कि हमें दुआ देकर चले जाओ।

जोइता बताती हैं कि दिनाजपुर में हर तरफ से मिली उपेक्षा के बाद उन्होंने किन्नरों के डेरे में जाने का फैसला किया और फिर वही सब करने लगीं जो आम किन्नर करते हैं, बच्चे के पैदा होने पर बधाई गाना, शादी में बहू को बधाई देने जाना। नाचने गाने का दौर शुरू हो गया। उसके बाद भी पढ़ाई जारी रखी।

उम्र और हालात बदलने का जिक्र करते हुए जोइता ने बताया, वर्ष 2010 में दिनाजपुर में एक संस्था बनाई जो किन्नरों के हक के लिए काम करती है। इसके बाद बुजुर्गो के लिए वृद्धाश्रम स्थापित किया। रेड लाइट इलाके में रहने वाली महिलाओं, उनके बच्चों के राशन कार्ड, आधार कार्ड बनवाए और पढ़ाई के लिए प्रेरित किया।

जोइता 14 अप्रैल 2014 को सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले का जिक्र करते हुए कहती है, उस फैसले ने किन्नर समाज के जीवन में नई रोशनी लाई है। इस फैसले में उन्हें भी समाज का अंग मानते हुए महिला, पुरुष के साथ तीसरा जेंडर माना गया। इस फैसले ने लड़ने के लिए और ताकत दी। यह फैसला हमारे लिए किसी धार्मिक ग्रंथ से कम नहीं था। उसे दिल में समा लिया।

जोइता ने अपने अभियान को जारी रखा, एक तरफ सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें ताकत दी तो आठ जुलाई 2017 का दिन उनके लिए ऐतिहासिक साबित हुआ, जब राज्य सरकार ने उन्हें लोक अदालत का न्यायधीश नियुक्त कर दिया।

जोइता कहती हैं कि उसने हालात से हारना नहीं सीखा, वह हर मुसीबत को अपने लिए सफलता का नया मार्ग मानती हैं। आज उन्हें इस बात का कतई मलाल नहीं है कि वे किन्नर हैं। जहां लोग उनका उपहास उड़ाते थे, आज उसी इलाके से जब वे सफेद कार से निकलतीं हैं तो गर्व महसूस करती हैं।

Continue Reading

नेशनल

लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर श्रद्धा वॉकर का हत्यारा आफताब पूनावाला

Published

on

Loading

नई दिल्ली । लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है. सूत्रों के मुताबिक, मीडिया में चल रही खबरों का संज्ञान लेते हुए तिहाड़ जेल प्रशासन, आफताब पूनावाला की सुरक्षा को लेकर अलर्ट हो गया है क्योंकि उसे लॉरेंश बिश्नोई गैंग से खतरे की बात सामने आई है. तिहाड़ जेल के अंदर जेल नंबर 4 में आफताब पूनावाला को रखा गया है. आफताब, श्रद्धा वॉल्कर हत्याकांड का आरोपी है. दिल्ली के छतरपुर इलाके में आफताब ने श्रद्धा की हत्या करके उसके शरीर को कई टुकड़ों में बांट दिया था.

तिहाड़ जेल से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, मुंबई पुलिस से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है लेकिन प्रशासन ने मीडिया में आई खबरों का संज्ञान लिया है. मुंबई पुलिस के मुताबिक, आफताब पूनावाला लारेंस बिश्नोई गैंग के शूटरों के निशाने पर है.

क्या है मामला ?

पुलिस की जांच में सामने आया था कि 18 मई 2022 की शाम करीब 6:30 से 7:00 बजे के बीच श्रद्धा विकास वॉल्कर की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में आरोपी आफताब और पीड़िता के बीच रिलेशनशिप की टाइम लाइन अहम रही. मई 2019 से मार्च 2022 के दौरान मुंबई में आरोपी और पीड़िता की मुलाकात हुई और प्रेम संबंध बन गए थे. दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में रहने लगे थे और खुद को शादीशुदा जोड़े के तौर पर दिखाते थे. उन्होंने 3 जगहों पर एक के बाद एक किराए का मकान लिया था, जहां वे रहते थे. दोनों 2 जगहों पर साथ काम कर चुके थे.

Continue Reading

Trending