प्रादेशिक
केरल में परंपरागत तरीके से मनाया गया गुड फ्राइडे
तिरुवनंतपुरम| केरल के गिरजाघरों में शुक्रवार को परंपरागत तरीके से गुड फ्राइडे मनाया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गिरजाघरों में जुटे। गुड फ्राइडे के दिन ईसा मसीह (जीसस क्राइस्ट) ने इस संसार में रहने वाले लोगों के गुनाहों के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था, जिसके उपलक्ष्य में गुड फ्राइडे मनाते हैं। इस दौरान ईसाई लोग प्रार्थनाएं करते हैं और शोक मनाते हैं। गुड फ्राइडे की प्रार्थना ईसाई धर्म की अन्य सभी प्रार्थनाओं से लंबी होती है। कुछ गिरजाघरों में गुड फ्राइडे की प्रार्थनाएं सुबह साढ़े आठ बजे से शुरू हो जाती हैं और दोपहर एक बजे समाप्त होती हैं, वहीं ऑर्थोडॉक्स और जेकोबाइट गिरजाघरों में दो बजे के बाद समाप्त होती हैं।
गिरजाघरों में आज के दिन के लिए तय धार्मिक कार्यक्रमों में ‘वे ऑफ द क्रॉस’ सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसके तहत ईसा मसीह की माउंट कैल्वरी तक 14 पड़ावों से गुजरने वाली यात्रा का मंचन किया जाता है। इस दौरान श्रद्धालु स्तुति गान करते हुए हर एक पड़ाव पर जाते हैं। इस अवसर पर ईसा मसीह के साथ हुए विश्वासघात, उनकी गिरफ्तारी, मुकदमे व उन्हें सूली पर चढ़ाए जाने की कहानियां सुनाई जाती हैं। इसके बाद दूसरा महत्वपूर्ण अनुष्ठान चोरुका (सिरका और कड़वी लौकी के रस से बना काढ़ा) पीना है। सभी गिरजाघरों में इसका आयोजन होता है। इस प्रथागत पेय को सभी को पीना होता है।
जब गुड फ्राइडे की प्रार्थना अपने अंतिम चरण में होती है तब पादरी प्रार्थना में शामिल होने आए सभी लोगों के मुंह में एक चम्मच चोरुका डालते जाते हैं। इस पेय पदार्थ का पीना उस घटना का संकेत है जब ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। उस दौरान वहां मौजूद कुछ लोगों ने एक कपड़े को इस सस्ती वाइन में डुबो इसे एक छड़ी पर लपेटकर उन्हें पिलाने की कोशिश की थी। एक और महत्वपूर्ण परम्परा प्रार्थना के बाद कांजी पीने की है। यह भाप में पकाया पानी वाला चावल होता है, जिसे दाल व अचार के साथ परोसा जाता है। इसके सेवन को पुण्य का काम माना जाता है। केरल की 3.3 करोड़ की आबादी में 23 फीसदी आबादी ईसाई समुदाय की है।
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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