आध्यात्म
क्यों शुभ होता है दिवाली पर्व पर छिपकली का दिखना, जानें यहां
दिवाली के त्योहार को आने में अब महज कुछ ही दिन शेष बचे है। जैसा की हम सभी जानते है कि इस दिन गणेश भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है व इसके साथ ही बच्चे पटाखे भी छुड़ाते हैं। मान्यता है कि दिवाली के समय कुछ ऐसे संकेत भी मिलते हैं, जिससे पता चलता है कि मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भक्त पर है।
क्या आप जानते है वो संकेत क्या है। अगर नहीं तो आइये बताते है आपको की ऐसी कौनसी चीजें है जो अगर आपको दिवाली के दिन दिखाई पड़ती है तो आप के लिए चिंता का विषय नहीं बल्कि शुभचिंतक का संदेश हो सकती है।
छिपकली का दिखना-
वैसे तो अक्सर लोग छिपकलियों से डरा करते है खासतौर से लडकियां लड़कियों को अगर छिपकली दिख भर जाए तो वो उसे भागाए बगैर मानती नहीं लेकिन अब आपको न सिर्फ थोड़ा सतर्क होना पड़ेगा बल्कि आपको छिपकली को भगाने से पहले सौ बार सोचना भी पड़ेगा क्योंकि दिवाली पर छिपकली का दिखना काफी शुभ माना गया है।
हालांकि, ऐसे तो छिपकली दिवार पर आसानी से दिख जाती है लेकिन यदि व्यक्ति को दीवाली के त्योहार पर छिपकली दीवार पर रेंगती हुई दिखाई देती है तो पता चलता है कि लक्ष्मी जी की कृपा आने वाली है। मान्यताओं के अनुसार, छिपकली के दिखने से पैसों की तंगी दूर होती है और ज्यादा से ज्यादा पैसा आता है।
छछूंदर का दिखना-
कई लोगों को शिकायत होती है कि उनके घर में छछूंदरों ने परेशान कर रखा है। लेकिन दिवाली के पर्व पर छछूंदर का दिखना काफी शुभ माना गया है। कहा जाता है कि यदि रात में छछूंदर दिख जाए तो आर्थिक फायदा होता है।
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आज है गोवर्धन पूजा, जानें पूजन विधि व शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है। यानी दिवाली अगले दिन ये पर्व मनाया जाता है। इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है और यह 2 नवंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट पर खत्म होगी। इस तरह से गोवर्धन पूजा का सही दिन 2 नवंबर ही माना गया है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं।
गोवर्धन पूजा मुहूर्त
इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 23 मिनट से शाम 5 बजकर 35 मिनट तक है। इस समय पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा के दिन सुबह काल जल्दी उठकर स्नानादि करें। फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।
इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें। भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें। इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।
गोवर्धन पूजा का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के द्वारा ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी और गोवर्धन पर्वत तो अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रज वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी। गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है।
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