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प्रादेशिक

खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय : भ्रामक, झूठे दावे

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री के पद पर नरेंद्र मोदी के एक साल पूरा होने के बाद खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने जो उपलब्धियों का ब्योरा जारी किया, वह जांच करने पर भ्रामक और विसंगति भरा पाया गया है।

हमने अपने निष्कर्ष ई-मेल से मंत्रालय को भेजे, जिस पर कोई जवाब नहीं आया है।

1. शीत भंडार : 138 को मंजूरी, लेकिन अन्य वर्षो की तुलना में यह कम।

दावा : शीत भंडार श्रंखला योजना के तहत 138 परियोजनाओं को मंजूरी।

जांच से पता चला : यह सही है कि 2014-15 में 138 निवेश प्रस्ताव मिले और सरकार उन्हें मंजूरी दी। 2011-12 के बाद से मौजूद सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, हालांकि 2014-15 में गत चार साल में सबसे कम मंजूरी दी गई।

2. खाद्य प्रसंस्करण राष्ट्रीय मिशन (एनएमईपी) के तहत परियोजनाओं को मंजूरी : दावे से 1,078 कम।

दावा : राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों ने 2014-15 में एनएमईपी के तहत 1,286 परियोजनाओं को मंजूरी दी।

जांच से पता चला : आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मंजूर की गई परियोजनाओं की संख्या 208 है न कि 1,286।

3. मेगा फूड पार्क : 17 को मंजूरी। पिछली सरकार ने हालांकि 40 को मंजूरी दी थी।

दावा : 2014-15 मं 17 मेगा फूड पार्क को मंजूरी दी गई।

जांच से पता चला : यह सही है कि 2014-15 में 17 परियोजनाओं को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई, लेकिन 11वीं पंचवर्षीय योजना अवधि (2007-12) और 12वीं योजना अवधि के प्रथम दो साल (फरवरी 2014 तक) में मंत्रालय ने 40 मेगा फूड परियोजनाओं को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी।

अभी तक (40 में से) सिर्फ 21 को ही आखिरी मंजूरी मिली है। इनमें से भी सिर्फ चार ही जमीन पर उतर पाई।

इसलिए मंजूर की गई परियोजनाओं और जमीन पर उतरने वाली परियोजनाओं का अनुपात काफी कम है।

(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। ये लेखक के निजी विचार हैं)

 

उत्तर प्रदेश

महाकुंभ में हर आपात स्थिति से निपटने की तैयारी

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प्रयागराज | महाकुंभ 2025 के वृहद आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार हर आपात स्थिति से निपटने की तैयारी कर रही है। दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम में परिंदा भी पर न मार सके, इसके लिहाज से स्वास्थ्य कर्मियों के साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कई टीमें मिलकर काम कर रही हैं। महाकुंभ से पहले केमिकल, बायलॉजिकल, रेडिएशनल और न्यूक्लियर प्रॉब्लम से निपटने के लिए भी टीम को तैयार कर लिए जाने की योजना है। इसके लिए बाकायदा कर्मचारियों को हर आपदा से निपटने की विधिवत ट्रेनिंग दी जाएगी। यही नहीं योगी सरकार के निर्देश पर श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट के लिए भी प्रयागराज के अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपग्रेड करने में लगे हैं।

श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट की भी व्यवस्था

संयुक्त निदेशक (चिकित्सा स्वास्थ्य) प्रयागराज वीके मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर महाकुंभ के दौरान स्वास्थ्य विभाग सभी इंतजाम पुख्ता करने में जुटा है। इसके तहत कर्मचारियों को महाकुंभ में हर आपात स्थिति से निपटने की ट्रेनिंग दी जाएगी। महाकुंभ में देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट के लिए टीबी सप्रू और स्वरूपरानी अस्पताल को तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम के साथ स्वास्थ्य कर्मियों के मिलकर काम करने की योजना बनाई गई है। सनातन धर्म के सबसे बड़े आयोजन के दौरान हर एक श्रद्धालु को केमिकल, बायलॉजिकल, रेडिएशनल और न्यूक्लियर संबंधी हर प्रॉब्लम से सुरक्षित रखने के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।

अनुभवी चिकित्सकों की ही तैनाती

महाकुंभ के दौरान देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की देखरेख के लिए 291 एमबीबीएस व स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती रहेगी। इसके अलावा 90 आयुर्वेदिक और यूनानी विशेषज्ञ भी इस अभियान में सहयोग के लिए मौजूद रहेंगे। साथ ही 182 स्टॉफ नर्स इन चिकित्सकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जरूरतमंदों के स्वास्थ्य की देखभाल करेंगी। इस प्रक्रिया में ज्यादातर अनुभवी चिकित्सकों को ही महाकुंभ के दौरान तैनाती दी जा रही है।

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