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राज्यसभा में संशोधनों के साथ खान, खनिज बिल पास

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नई दिल्ली | खान और खनिज विकास से संबंधित बिल शुक्रवार को राज्यसभा में विपक्ष के विरोध के बावजूद पास हो गया। विपक्षी पार्टियां, खासकर कांग्रेस और वाम दल इस बिल को दोबारा प्रवर समिति के पास भेजने की मांग कर रही थी। बिल के पक्ष में 117 सदस्यों ने और विपक्ष में 69 सदस्यों ने मतदान किया।

इस्पात और खनन मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रवर समिति की सिफारिश पर बिल में कई संशोधन भी पेश किया। बिल के संशोधित रूप पर अब लोकसभा में विचार किया जाएगा। बिल पर राष्ट्रपति का हस्ताक्षर हो जाने के बाद यह खान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) संशोधन अध्यादेश-2015 की जगह लेगा। अध्यादेश 12 जनवरी, 2015 को लाया गया था। मूल बिल 18 मार्च को लोकसभा में पारित हो चुका था। लोकसभा अब संशोधित विधेयक पर चर्चा करेगा। विपक्ष के विरोध के कारण बिल गुरुवार को सदन में पारित नहीं कराया जा सका था। विपक्ष का कहना था कि खनिज संपदा संपन्न राज्यों से विधेयक बनाने में सलाह नहीं ली गई। विपक्ष की मांग थी कि प्रवर समिति इस पर दोबारा विचार करे। प्रवर समिति ने 18 मार्च को बिना संशोधन बिल सदन में लौटा दिया था।

प्रवर समिति ने हालांकि ऐसे कई मुद्दे सुझाए थे, जिस पर सरकार विचार कर सकती है। उन मुद्दों में शामिल हैं पर्यावरण पर खनन का प्रभाव, अवैध खनन, खदान को ढकने में वैज्ञानिकता का अभाव, भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास तथा उम्मीद से अधिक लाभ का स्थानीय और जनजाति कल्याण में उपयोग। मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि नए कानून से राज्यों की नीलामी में भूमिका बढ़ जाएगी और समस्त आय उनके पास जाएगी। उन्होंने कहा, “खनन का सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में दो फीसदी योगदान है, लेकिन यह काफी संकट में है। यह सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता क्षेत्र है। इसमें सुधार करने से हमारे युवाओं को रोजगार मिलेगा।”

उन्होंने कहा कि प्रणाली में पारदर्शिता लाने की जरूरत थी, क्योंकि उदाहरणस्वरूप लौह अयस्क उत्पादन 2009-10 के 21.8 करोड़ टन से घटकर 2013-14 के 15.2 करोड़ टन रह गया था। विधेयक के प्रस्ताव के मुताबिक, कोयला ब्लॉक खनन पट्टे के नवीनीकरण की जरूरत नहीं होगी, जैसा कि 1957 के मूल कानून में व्यवस्था थी। बिल में 50 साल के लिए लाइसेंस दिए जाने का प्रस्ताव है, जबकि मूल कानून में 30 साल के लाइसेंस की व्यवस्था थी। सरकार ने खनन के लिए 199 खदानों की पहचान की है। विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक, जिस जिले में खनन होगा, वहां जिला खनिज फाउंडेशन स्थापित किया जाएगा, जहां प्रभावितों की शिकायत सुनी जाएगी।

क्षेत्रीय और अखिल भारतीय योजना निर्मा के लिए केंद्र सरकार एक अन्य निकाय ‘राष्ट्रीय खनिज उत्खनन ट्रस्ट’ स्थापित करेगी। बीजू जनता दल (बीजद) के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने बिल का विरोध किया और कहा कि यह राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप करता है। विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा में इसकी प्रस्तुति का भी विरोध किया था। शुक्रवार को हालांकि तृणमूल कांग्रेस, बीजू जनता दल और समाजवादी पार्टियों ने इसका समर्थन किया। बिल के मुताबिक, इसके दायरे में बॉक्साइट, लौह अयस्क, लाइमस्टोन और मैंगनीज अयस्क खनन भी आ जाएगा, जो अभी सूचीबद्ध खनिज कहलाता है।

नए कानून के तहत राज्य सरकार केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ सूचीबद्ध और अन्य खनिजों के लिए खनन पट्टा देगी, जबकि केंद्र बोली लगाने वालों के चुनाव के लिए शर्त और नीलामी की प्रक्रिया तय करेगी। केंद्र सरकार कुछ खदानों को किसी विशेष उद्देश्य के लिए भी आरक्षित कर सकती है। नए कानून के तहत अतिरिक्त पट्टा देने की जगह केंद्र सरकार के पास खनन के लिए अनुमत क्षेत्र का विस्तार करने का अधिकार होगा।

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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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