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खुदकुशी करने से रोकने में मदद करेगा फेसबुक

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सिडनी | अग्रणी सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक अगले कुछ महीने में खुदकुशी की ओर झुक रहे अपने उपयोगकर्ता की मदद के लिए एक टूल शुरू करेगा। फेसबुक के एक अधिकारी ने इसकी घोषणा की। अमेरिका में पहले ही शुरू किए जा चुके इस टूल की मानसिक चिकित्सकों ने काफी सराहना की और अब इसे आस्ट्रेलिया में शुरू किया जा रहा है।

समाचार पत्र ‘ब्रिस्बेन टाइम्स’ में शुक्रवार को प्रकाशित रपट के अनुसार, यह टूल अपने उपयोगकर्ताओं को चिंताजनक पोस्ट के बारे में रिपोर्ट करता है। इसके बाद उन चिंताजनक पोस्ट्स की फेसबुक समीक्षा करता है और पोस्ट प्रसारित करने वाले उपयोगकर्ता को सलाह देता है, मदद मुहैया कराता है और यह भी बताता कि उन्हें कहां से पेशेवर मदद लेनी चाहिए। फेसबुक आस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड की अध्यक्ष मिया गार्लिक ने कहा कि फेसबुक ‘यंग एंड वेल रिसर्च सेंटर’ के साथ खुदकुशी पर लगाम लगाने वाले बिल्कुल स्थानीय प्रारूप के टूल पर काम कर रही है।

उन्होंने बताया, “इस टूल को लेकर काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है और आस्ट्रेलिया में हम इस टूल को अगले कुछ महीनों में शुरू करने जा रहे हैं।” फेसबुक ने इसके अलावा पिछले सप्ताह क्वींसलैंड में छात्रों एवं शिक्षकों के साथ एक कार्यशाला का आयोजन कर गुंडागर्दी से निपटने के लिए भी एक अभियान शुरू किया। फेसबुक का ऑफलाइन इस तरह का पहला प्रयास है।

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फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

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नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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