Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

गुजरात चुनाव में फिर चला मोदी ब्रांड, जीत के ये रहे 4 कारण

Published

on

Loading

नई दिल्ली। भारतीय राजनीति में मोदी का कद लगातार बढ़ रहा है। देश में मोदी लहर अब भी कम नहीं हुई है। कांग्रेस लगातार भाजपा को हराने का दावा करती हो लेकिन हाल के दिनों में उसके सारे दांवे खोखले साबित हुए है। ताजा उदारहण गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणाम को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। इस परिणाम से साबित हुआ कि देश की जनता अब भी मोदी के साथ है। दूसरी ओर कांग्रेस को नई राह दिखाने वाले राहुल गांधी अब भी मोदी के सामने कमजोर साबित हो रहे हैं।

कांग्रेस का अध्यक्ष पद सम्भालने वाले राहुल गांधी ने गुजरात का रण जीतने के लिए कड़ी मेहनत की थी लेकिन शुरुआती रुक्षानों में थोड़ी कांग्र्रेस को बढ़त मिली थी लेकिन बाद में पूरी लहर भाजपा की ओर चली गई। हालांकि गुजरात और हिमाचल दोनों जगह भाजपा ने मैदान मार लिया है। गुजरात चुनाव में मिली जीत से एक बात तो साफ हो गई है कि देश में अब भी मोदी को लेकर लोगों में क्रेज देखा जा सकता है। हालांकि गुजरात के परिणाम को देखकर लगा कि कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी। कांग्रेस की हार के मुख्य चार कारण हो सकते हैं।

मणिशंकर अय्यर : कांग्रेस ऐसे गुजरात में अच्छा प्रदर्शन कर सकती थी लेकिन आखिरी दौर में मणिशंकर अय्यर ने मोदी पर तीखा हमला करते हुए उनको नीच आदमी बता डाला था। इसके बाद तो भाजपा ने कांग्रेस को लपेट लिया और लगातार वार-वार पर करना शुरू कर दिया। मोदी ने अंतिम दौर में कई रैलियों में इस बात को जोरदार तरीके से उठाया और कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया। मोदी ने हर रैली में अपने ऊपर लगाये गए इल्जाम को अपने अंदाज में जवाब दिया। दूसरी ओर कांग्रेस इससे आगे निकल नहीं पाई और अय्यर का बयान उसके लिए घातक साबित हुआ। मोदी ने हर वो बात उठानी शुरू कर दी थी जिन्हें लेकर उन्हें लेकर व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाया गया था। दूसरी ओर कांग्रेस केवल नोटबंदी और जीएसटी के चक्कर में रह गई।

पाटीदार नेताओं की भूमिका : गुजरात चुनाव में अगर सबसे ज्यादा चर्चा किसी की हुई तो वह पाटीदार नेताओं को लेकर। गुजरात का रण जीतने के लिए पाटीदार नेताओं की भूमिका सबसे अहम मानी जा रही थी लेकिन पाटीदारों पर वहां की जनता का विश्वास कम दिखा। राजनीति के जानकारों की मानें तो पाटीदारों के साथ कांग्रेस ने समझौता किया लेकिन काफी देर बाद। चुनाव के ऐन वक्त पर पाटीदारों के साथ हाथ मिलाना जनता को रास नहीं आया और शायद जनता भी पाटीदार नेताओं को उतना समर्थन नहीं दे पाई जितनी उसने उम्मीद लगा रखी थी।

मोदी की धुंआधार रैलियां : गुजरात चुनाव में राहुल गांधी लगातार अपनी पैठ जमाने के लिए कड़ी मेहनत करते नजर आये। उन्होंने कई बड़ी रैलिया की और जनता के बीच भी गए लेकिन जनता ने उनकों समर्थन नहीं दिया। दरअसल सारा समीकरण तभी बदल गया जब चुनावी दंगल में पीएम मोदी ने धुंआधार रैलियां करनी शुरू कर दी। राहुल की सारी उम्मीदों पर मोदी ने अपनी रैलियों के सहारे पानी फेर दिया। हालांकि इस चुनाव में विकास के मुद्दो से अलग हटकर व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति का दौर शुरू हो गया, विकास का मुद्दा गायब था दूसरे मुद्दों जैसे पाक को बीच लाया गया। हालांकि शुरुआती रैलियों में राहुल ने विकास का मुद्दा उठाया लेकिन बाद में वह भी इस मुद्दे से भटक गए।

कुछ नेताओं ज्यादा भरोसा: कांग्र्रेस इस चुनाव में कुछ नेताओं के सहारे अपनी कश्ती को आगे बढ़ाना चाहती थी। हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी के सहारे कांग्रेस गुजरात जीतना चाहती थी लेकिन जनता उसे नकार दिया।

नेशनल

गैस चेंबर बनी दिल्ली, AQI 500 तक पहुंचा

Published

on

Loading

नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर स्थिति में है। अगर श्रेणी के आधार पर बात करें तो दिल्ली में प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है। कल जहां एक्यूआई 470 था तो वहीं आज एक्यूआई 494 पहुंच चुका है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक्यूआई के आंकड़ें आ चुके हैं। अलीपुर में 500, आनंद विहार में 500, बवाना में 500 के स्तर पर एक्यूआई बना हुआ है।

कहां-कितना है एक्यूआई

अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो अलीपुर में 500, बवाना में 500, आनंद विहार में 500, डीटीयू में 496, द्वारका सेक्टर 8 में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 500, लोधी रोड में 493, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 499, मंदिर मार्ग में 500, मुंडका में 500 और नजफगढ़ में 491 एक्यूआई पहुंच चुका है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में दिल्ली में ग्रेप 4 को लागू कर दिया गया है। इस कारण दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन माध्यम से अब क्लासेस चलाए जाएंगे।

Continue Reading

Trending