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प्रादेशिक

गैस हादसे ने अमीरी से ला दिया फकीरी के हाल में

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भोपाल| भोपाल के शाहजहांबाद इलाके में शांति बाई का कभी बर्फ का बड़ा कारखाना हुआ करता था, जो 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार देता था, लेकिन 31 साल पहले काल बनकर आई 1984 की दो दिसंबर की रात ने खुशहाल जीवन को गमजदा बना दिया और रोजगार देने वाले परिवार को दूसरों से रोजगार मांगने को मजबूर कर दिया है।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दो दिसंबर, 1984 की रात काल बनकर आई थी, जब यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी गैस मिथाईल आइसो सायनाइड ने देखते ही देखते हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया। इतना ही नहीं जहरीली गैस के प्रभाव के चलते आज भी मौत का सिलसिला जारी है।

80 बरस की शांति बाई का चेहरा झुर्रियों में बदल चुका है, मगर गैस से मिले जख्म अब भी कम नहीं हुए हैं। वर्तमान में ईदगाह इलाके में अपने बेटे और बेटियों के साथ रहती हैं। परिवार का हर सदस्य अब भी जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है। बीमारियों ने हर किसी को बुरी तरह घेर रखा है।

वह बताती हैं कि उनके पति कृष्ण चंद का शाहजहांबाद क्षेत्र में बर्फ कारखाना था। इससे करीब 100 परिवारों की रोजी-रोटी चलती थी, लेकिन गैस रिसाव से हुई बीमारी ने कृष्ण चंद को काम के काबिल नहीं बचने दिया। इससे बर्फ कारखाना ठीक से नहीं चला और बीमारी के इलाज के लिए कारखाना तक बिक गया।

शांति बाई बताती हैं कि उनके साथ उनकी बहन और उसके बच्चे भी रहा करते थे। सभी खुशहाल थे। बहन विधवा हो चुकी थी। उसके बावजूद खुश थी, क्योंकि समस्याएं नहीं थी। लेकिन एक रात में आई आपदा ने सभी को मुसीबत में डाल दिया। अब तो परिवार चलाने और लोगों के इलाज के लिए दूसरों की मदद लेनी पड़ती है, सरकार ने 25 हजार रुपये का जो मुआवजा दिया है, वह नाकाफी है।

पुतलीघर इलाके में रहने वाली रईसा बी गैस हादसे की रात को याद कर दुखी और आक्रोशित हो जाती हैं, क्योंकि उस रात को मिले जख्म अब भी हरे हैं। उन्होंने गैस से मिली बीमारी में अपने पति को खोया है, तो बच्चे इस बीमारी से जूझ रहे हैं। उस मनहूस रात को याद कर वह आज भी डर जाती हैं।

ईसलामपुरा में रहने वाले वसीम अहमद की आंखों की रोशनी पर गैस ने असर डाला है। उन्होंने बताया कि जब गैस रिसी थी तब वह अपने डेकोरेशन की दुकान पर थे। तब ऐसा लगा जैसे किसी ने पूरे वातावरण में मिर्ची फैला दी है। उसी वक्त उनकी आंखों की रोशनी प्रभावित हुई।

वसीम अहमद बताते हैं कि वर्तमान में उनकी आंखों की रोशनी लगातार कमजोर पड़ती जा रही है और उन्हें देखने में परेशानी महसूस होने लगी है।

हादसे के समय गुलफाम महज नौ साल के थे। लेकिन उस समय मिली बीमारी अब भी उनका पीछा किए जा रही है। उनके गले में हमेशा खराश रहती है और खांसी आती है, पर उन्हें इलाज नहीं मिल पा रहा है।

भोपाल में यूनियन कार्बाइड के करीब से लेकर दूर तक की बस्तियों में हजारों परिवार हैं, जिनकी हंसती-खेलती जिंदगी को जहरीली गैस ने बर्बाद कर दिया। हर तरफ बीमार लोगों और अपनी खुशियां गंवा चुके लोगों की बड़ी तादाद है।

अन्य राज्य

हेयर ड्रायर चालू करते ही ब्लास्ट, महिला का दोनों हाथ बुरी तरह घायल

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बागलकोट। कर्नाटक के बागलकोट जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां एक हेयर ड्रायर के धमाके में एक महिला के हाथों की हथेलियां और उंगलियां बुरी तरह से घायल हो गईं। यह हादसा इल्कल शहर में हुआ, जहां मृतक सैनिक की पत्नी ने अपने पड़ोसी का कूरियर पार्सल लिया था। जब महिला ने हेयर ड्रायर को चालू किया, तो वह धमाके से फट गया और महिला की दोनों हाथों की गंभीर चोटें आईं। महिला को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों को मजबूरी में उसके हाथ काटने पड़े।

हेयर ड्रायर में धमका, महिला की उड़ी उंगलियां

बता दें कि इस घटना के बाद महिला को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना 15 नवंबर की है, जिसकी जानकारी बुधवार को सामने आई। पुलिस सूत्रों ने कहा कि घायल महिला की पहचान 37 वर्षीय बसवराजेश्वरी यरनाल के रूप में हुई है, जो पूर्व सैन्यकर्मी पापन्ना यरनाल की पत्नी थी। जिनकी 2017 में जम्मू और कश्मीर में मौत हो गई थी। जांच अधिकारियों के मुताबिक, विस्फोट बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण हुआ था। हेयर ड्रायर जैसे उपकरणों का उपयोग करने के लिए 2 वॉट के विद्युत कनेक्शन की आवश्यकता होती है। जिस स्विच में हेयर ड्रायर को डाला गया, तो उसकी क्षमता इतनी अधिक नहीं थी, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई। विस्फोट की आवाज सुनकर कुछ पड़ोसी दौड़े और उन्होंने बसवराजेश्वरी की हथेलियां और उंगलियां कटी हुई पाईं। उन्हें तुरंत पास के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया। हालांकि शशिकला ने दावा किया कि उन्होंने ऑनलाइन कोई उत्पाद नहीं मंगवाया था

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