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प्रादेशिक

गौरी हत्याकांड के खिलाफ सामाजिक संगठनों ने किया प्रदर्शन

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लखनऊ। गौरी श्रीवास्तव की नृशंस हत्या और सूबे की राजधानी में आए दिन महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों, अन्याय और हिंसा के विरुद्ध गुरुवार को हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा स्थल पर एक शोक और शांति सभा का आयोजन किया गया। सभा में गौरी के परिजनों को भी शामिल होना था लेकिन पुलिस ने उन्हें सभा समाप्त होने तक एसएसपी ऑफिस में रोके रखा। जिसके कारण वे सभा में नहीं पहुंच सके। इसके बावजूद विभिन्न सामाजिक संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने शोकसभा में शिरकत कर इस घटना के प्रति आक्रोश जताया।

इस सभा में मृतक गौरी श्रीवास्तव की पिता शिशिर श्रीवास्तव, माता, बुआ सहित परिवार के अन्य परिजनों को शामिल होना था लेकिन पुलिस ने एसएसपी ऑफिस में सभा सभा समाप्त होने तक उन्हें बैठाए रखा। जिसके कारण परिजन सभा में शामिल नहीं हो सके। वहीं शोकसभा में सामाजिक संगठन “वीरांगना” ने उपस्थित लोगों से अपील की कि संवेदनशील समाज का हिस्सा होने के नाते इस जनांदोलन के साथ जुड़कर इसे आगे बढ़ाने में अपना सहयोग दें। सभा के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर, प्रमिल द्विवेदी, अरविंदर कोहली, बलबीर सिंह मान, मीना द्विवेदी, रचना त्रिपाठी, रात्रा और आराधना सिंह समेत अन्य लोगों ने अपनी संवेदनाएं प्रकट करते हुए हत्याकांड पर रोष जताया।

उत्तराखंड

उत्तराखंड सरकार ने भू-कानून के उल्लंघन पर अपनाया सख्त रुख

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देहरादून। उत्तराखंड में बाहरी राज्यों के लोगों द्वारा कृषि भूमि खरीदने और उसका गैर-कानूनी उपयोग करने के मामलों में राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाया है. प्रदेश के विभिन्न जिलों में भू-कानून के उल्लंघन के 430 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. इन मामलों में जिला प्रशासन की ओर से नोटिस जारी कर कार्रवाई तेज कर दी गई है. सबसे अधिक मामले देहरादून, नैनीताल और चमोली जिलों में दर्ज हुए हैं, जहां बाहरी लोगों ने जमीन खरीदकर कृषि भूमि का व्यावसायिक उपयोग किया है.

भू-कानून के उल्लंघन के सबसे अधिक 196 मामले देहरादून जिले में सामने आए हैं. पछवादून से लेकर मसूरी, रानीपोखरी, मालदेवता, शिमला बाईपास, भोगपुर और सहस्त्रधारा क्षेत्रों में बाहरी लोगों ने बड़े पैमाने पर कृषि भूमि खरीदी. इन जमीनों का उपयोग कृषि के बजाय होटलों, रिजॉर्ट्स और अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया गया. जिला प्रशासन ने इन मामलों में एसडीएम कोर्ट में केस दर्ज कर दिए हैं और संबंधित लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं.

समाज और पर्यावरण पर असर

बाहरी लोगों द्वारा कृषि भूमि का व्यावसायिक उपयोग न केवल भू-कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह स्थानीय समाज और पर्यावरण के लिए भी चिंता का विषय है. पहाड़ी क्षेत्रों में रिजॉर्ट्स और होटलों के निर्माण से प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है. इसके अलावा, स्थानीय निवासियों की आजीविका और पारंपरिक खेती पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.राज्य सरकार की यह कार्रवाई न केवल भू-कानून को सख्ती से लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.

 

 

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