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ग्रामीण इलाकों में सैनेटरी नैपकिन के प्रति जागरूकता अभी भी कम : पैडमैन

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नई दिल्ली, 25 मई (आईएएनएस)| युवा महिलाओं से जब उसने सैनिटरी पैड के बारे में सवाल पूछना शुरू किया तो कुछ ने उसे पागल सोचा और कुछ ने समाज को बिगाड़ने वाला।

लेकिन अरुणाचलम मुरुगनाथम ने यह सब अपनी पत्नी के लिए सस्ते सैनिटरी नैपकिन बनाने की अपनी तलाश के लिए किया, जिसने आखिरकार विश्व भर में ग्रामीण महिलाओं के माहवारी स्वास्थ्य में क्रांतिकारी परिवर्तन ला खड़ा किया।

तमिलनाडु के कोयंबटूर के रहने वाले मुरुगनाथम का कहना है कि अपने मिशन को पूरा करने के लिए अभी और लंबा सफर तय करना बाकी है ताकि माहवारी स्वच्छता सभी को किफायती और सुलभ रूप में हासिल हो सके।

मुरुगनाथम ने ई-मेल के माध्यम से दिए साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, यह सब मेरी पत्नी शांति के साथ शुरू हुआ और विश्व भर में फैल गया, जिसने एक क्रांति को जन्म दिया। मुझे खुशी है कि मेरा मिशन लोगों तक पहुंचा।

उन्होंने कहा, लोग वास्तव में बदल गए हैं। सैनेटरी स्वच्छता के बारे में अब अधिक लोग खुलकर बातें किया करते हैं। 20 साल पहले लोग इसके बारे में बात करने से भी डरते थे। आज वह भ्रम टूट गया है। लेकिन भारत केवल मेट्रो शहरों से नहीं बना। हमारे देश में छह लाख गांव हैं और जागरूकता का स्तर बहुत कम है। सभी के लिए माहवारी स्वच्छता किफायती और सुलभ बनाने के हमारे मिशन को अभी बहुत लंबा रास्ता तय करना है।

मुरुगनाथम का मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति पैडमैन बन सकता है।

उन्होंने कहा, और इसलिए मुझे लगता है कि ज्यादा से ज्यादा पैडमैन बनाना मेरी जिम्मेदारी है।

मुरुगनाथम ने प्रसिद्धि और प्रशंसा पाने के लिए अपने इस सफर की शुरुआत नहीं की थी बल्कि वह चाहते थे कि उनकी पत्नी को उस महीने के दौरान रूई, राख और कपड़े के टुकड़े जैसे गंदे तरीकों का न अपनाना पड़े।

स्कूल छोड़ने वाले मुरुगनाथम ने करीब करीब अपना परिवार, अपना पैसा और समाज में इज्जत खो दी थी। लोगों ने उन्हें नजरअंदाज करना शुरू कर दिया, वह अपने पड़ोस के लोगों के तानों का विषय बन गए और कुछ ने सोचा कि वह यौन रोग से ग्रस्त हैं। और तो और उनकी पत्नी ने भी किफायती सैनेटरी नैपकिन बनाने की उनकी सनक के कारण उन्हें छोड़ दिया था।

अपने कांटों भरे सफर को याद करते हुए उन्होंने कहा, अपनी पत्नी को स्वच्छ उत्पाद मुहैया कराने की मेरी लालसा ने मुझे अपना काम जारी रखने की हिम्मत दी। मैं एक इंजीनियरिंग फर्म के लिए भी काम करता था और मैं इस बात को जानता था कि मैं 9999 बार विफल हो सकता हूं। मैं जानता था कि अगर मैं ब्लेड का कोण बदल दूं तो कल मैं सफल हो सकता हूं।

अपने इस प्रयास में सबसे मुश्किल काम के बारे में उन्होंने कहा, सबसे मुश्किल काम लोगों के विचारों में बदलाव लाना था। कोई व्यक्ति गरीबी से नहीं मरता, बल्कि यह अज्ञानता के कारण होता है। दशकों पुराने भ्रम को तोड़ना और महिलाओं व लड़कियों को पैड का प्रयोग करते देखना एक मुश्किल काम था।

वर्तमान में वह कोयंबटूर में महिलाओं को सैनेटरी पैड की आपूर्ति करने के लिए एक कंपनी चला रहे हैं और कई देशों में अपने कम लागत वाले स्वच्छता उत्पादों के लिए प्रौद्योगिकी प्रदान कर रहे हैं। टाइम मैगजीन ने 2014 में उन्हें 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में स्थान दिया था। साथ ही 2016 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

उनकी कहानी को अभिनेता अक्षय कुमार ने फिल्म ‘पैडमैन’ के माध्यम से एक अलग ढंग से पर्दे पर अपनी स्टार पॉवर के साथ पेश किया।

फिल्म मे माहवारी स्वच्छता पर देश भर में खुली बहस छेड़ दी थी।

उन्होंने कहा, यह पहली दफा था जब कोई सुपरस्टार माहवारी स्वच्छता पर फिल्म करने के लिए आगे आया। उन्होंने इस कारण को माना और जिस तरीके से फिल्म बनाई गई वह सबने देखा भी। उन्होंने कहा कि अक्षय जी के स्टारडम ने जागरूकता बढ़ाने में मदद की और इस संवाद को अगले स्तर पर ले गए।

उन्होंने मेरे मिशन में अधिक शक्ति जोड़ दी।

मुरुगनाथम ने कहा, मैं अधिक पैडमैन बनाना चाहता हूं जो समाज पर प्रभाव डाल सकें। फिल्म ने इस दिशा में प्रभावी रूप से योगदान दिया है और मैं इसके लिए ट्विंकल, अक्षय जी, बाल्की सर और पूरी टीम का धन्यवाद देना चाहूंगा।

साधारण जिंदगी जीने में विश्वास रखने वाले मुरुगनाथम अपनी लालसा के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए नए व्यवसायिक हितों का प्रयोग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, हमने जमीनी स्तर और डिजिटली महावारी स्वच्छता पर जागरूकता फैलाने के मकसद से स्टैंडबायहर की पहल शुरू की है। हमने कुछ दिमाग वाले लोगों की मदद से स्कूली छात्रों और ग्रामीणों के बीच जागरूकता फैलाई है।

मुरुगनाथम ने कहा, हमने महिला पुलिसकर्मियों, स्कूली लड़कियों और ग्रामीण महिलाओं को भी पैड वितरित किए हैं। जागरूकता फैलाने के लिए हम विभिन्न अनूठी धारणाएं बना रहे हैं। पैडमैन चुनौती उसमें से एक है। महावारी स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हम एक बहुभाषी गाना भी निकालने वाले हैं।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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