उत्तराखंड
चीनी मिलों व नहरों के पानी से पैदा होगी 250 मेगावाट बिजली
देहरादून। राज्य में बिजली की कमी को पूरा करने के लिए उत्तराखंड सरकार बिजली की बढ़त्तरी के लिए खास कदम उठाने जा रही है। चीनी मिलों व नहरों से बिजली पैदा करने को मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 250 मेगावाट का लक्ष्य अधिकारियों को दिया। कहा कि वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों से अधिक से अधिक बिजली पैदा करने की आवश्यकता है। सीएम ने देश की अद्र्धन्यायायिक संस्थाओं पर राज्य के सपने को तोडऩे का गहन आरोप भी लगाया।
यूजेवीएनएल मुख्यालय में पिटकुल व यूपीसीएल की ओर से 15 करोड़ का लाभांश सरकार को दिए जाने के अवसर पर सीएम ने कहा कि राज्य के बिजली निगम अब कमाऊपूत बनते जा रहे हैं। सीएम सहीं तक लही रुके उन्होंने आगे कहा कि अब सभी निगमों को मुनाफा कमाने को अपनी आदत में शामिल नही करना होगा।
सीएम ने कहा कि चीनी मिलों से भी 100 मेगावाट बिजली पैदा की जाए। फिलहाल शुरुआत यूजेवी एनएल व उत्तराखंड शुगर्स के बीच दो बगास आधारित परियोजनाएं शुरू होने जा रही हैं। नादेही से 16मेगावाट, बाजपुर से 22 मेगावाट बिजली पैदा होगी। सीएम ने सोलर ऊर्जा से जल्द 200 मेगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य पूरा करने के निर्देश दिए। साथ ही यह भी कहा कि प्रदेश का विकास तभी संभव होगा जब सभी लोग अपना हाथ प्रदेश की तरक्की के लिए आगे बढ़ाएंगे। सरकार हमेसा से जनता के साथ है और रहेगी।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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