IANS News
चीन में 22 तो भारत में 19 करोड़ के पास बैंक खाता नहीं
नई दिल्ली, 22 अप्रैल (आईएएनएस)| दुनिया तेजी से डिजिटल होती जा रही है। एक जमाना था, जब हर काम नकदी से होता था, लेकिन अब क्रेडिट और डेबिट कार्ड चलता है। सरकार भी ‘डिजिटल इंडिया’ को जोर-शोर से प्रमोट करती है और कैशलेस लेन-देन को बढ़ावा दे रही है। ऐसे में यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि आज के जमाने में कोई व्यक्ति ऐसा भी होगा, जिसका कोई बैंक खाता नहीं है।
मगर सच्चाई यह है कि दुनिया की एक बड़ी आबादी बैंकिंग सेवाओं से महरूम है और ऐसे वंचित लोगों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी भारत में है।
विश्व बैंक की गुरुवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के करीब 19 करोड़ वयस्कों का कोई बैंक खाता नहीं है, जबकि यह चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। हालांकि देश में खाताधारकों की संख्या वर्ष 2011 में35 फीसदी से बढ़कर 2017 में 80 फीसदी हो चुकी है।
विश्व बैंक द्वारा जारी ‘वैश्विक फाइंडेक्स रिपोर्ट’ में कहा गया है, हालांकि भारत में वित्तीय समावेशन में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और खाताधारकों की संख्या जो 2011 में 35 फीसदी थी वह 2014 में बढ़कर 53 फीसदी हो गई और अब 2017 में बढ़कर 80 फीसदी हो गई है। लेकिन देश की 80 फीसदी आबादी द्वारा बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने के बावजूद बहुत बड़ी आबादी है, जो बैंकिंग सेवाओं से वंचित है और यह हाल केवल अपने देश का नहीं है, बल्कि चीन में ऐसे लोगों की संख्या कहीं ज्यादा है, जिनके पास बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।
विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में 22.5 करोड़ वयस्क बैंकिंग सेवाओं से वंचित है, जबकि भारत में यह आंकड़ा 19 करोड़ का है। इसके बाद पाकिस्तान में 10 करोड़ और इंडोनेशिया में 9.5 करोड़ वंचित आबादी है।
विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है, इन चार अर्थव्यवस्थाओं के साथ तीन अन्य देश नाइजीरिया, मैक्सिको और बांग्लादेश को मिलाने पर बैंकिंग सेवाओं से वंचित दुनिया की आधी आबादी बनती है।
विश्व बैंक का कहना है कि दुनियाभर में कुल 1.7 अरब वयस्क बैंकिंग सेवाओं से वंचित हैं और उनका किसी बैंक या वित्तीय संस्था में कोई खाता नहीं है। दुनिया की उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में विरले ही कोई वयस्क मिलेगा, जिसके पास बैंक में खाता न हो। इसलिए बैंकिंग सेवाओं से विहीन आबादी ज्यादातर विकासशील देशों- जैसे चीन, भारत, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मैक्सिको, नाइजीरिया और पाकिस्तान में पाई जाती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील देशों में बैंकिंग सेवाओं के मामले में भी लिंगभेद दिखता है। वैश्विक स्तर पर 72 फीसदी पुरुषों और 65 फीसदी महिलाओं के पास बैंक खाते हैं, इस तरह लैिंगक भेद 7 फीसदी का है, जबकि विकासशील देशों में बैंक खाते रखने के मामलों में लैंगिक भेद 9 फीसदी का है। वहीं, भारत में पुरुषों की तुलना में बैंकिंग सेवाओं से वंचित महिलाओं की संख्या करीब 56 फीसदी हैं।
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की सह-अध्यक्ष मेलिंडा गेट्स का कहना है, हमें महिलाओं तक वित्तीय सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि उनके जीवन में बदलाव आ सके। जब सरकार समाज कल्याण योजनाओं का भुगतान या अन्य सब्सिडी का भुगतान सीधे महिलाओं के बैंक खातों में करती है, तो इससे उन्हें अपने घरों में निर्णय लेने की हैसियत प्राप्त होती है। विभिन्न वित्तीय टूल्स की मदद से, वे अपने परिवार की समृद्धि के लिए निवेश करती हैं, जिससे व्यापक आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
विश्व बैंक के आंकड़ों में हालांकि कहा गया है कि भारत सरकार की ‘जन धन योजना’ नीति से देश में खाताधारकों की संख्या नाटकीय रूप से बढ़ी है।
भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, जन धन खाताधारकों की संख्या साल 2017 के मार्च में 28.17 करोड़ थी, जो 2018 के मार्च में बढ़कर 31.44 करोड़ हो गई। देश में 2015 के मार्च में कुल चालू और बचत खातों की संख्या 122.3 करोड़ थी, जो 2017 के मार्च में बढ़कर 157.1 करोड़ हो गई। साथ ही 2017 की तुलना में 2017 में बैंक खातों के मामले में लैंगिक भेद कम हुआ है और अब 83 फीसदी पुरुषों व 77 फीसदी महिलाओं के पास बैंक खाते हैं।
विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष जिम योंग किम का कहना है, पिछले कुछ सालों में हमने लोगों को औपचारिक वित्तीय सेवाओं से जोड़ने में बड़ी प्रगति देखी है। वित्तीय समावेशन से लोगों को पारिवारिक जरूरतों के लिए या व्यापार में मदद के लिए ऋण हासिल होता है, साथ ही यह किसी आपातस्थिति में भी संबल का काम करता है।
उन्होंने कहा, वित्तीय सेवाओं तक लोगों की पहुंच मुहैया कराना गरीबी और असमानता को मिटाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। नए आंकड़ों से पता चलता है लोगों कि मोबाइल फोन और इंटरनेट तक पहुंच बढ़ी है। इसलिए, वित्तीय समावेशन को प्राप्त करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का अभूतपूर्व अवसर सामने खड़ा है।
साल 2014 से 2017 के बीच दुनियाभर में 51.4 करोड़ बैंक खाते खोले गए हैं।
IANS News
टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया
दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।
वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।
यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।
फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।
-
वीडियो1 day ago
बीच रोड पर हो गई स्कूली लड़कियों की भयंकर लड़ाई, देखें वीडियो
-
अन्तर्राष्ट्रीय2 days ago
नाइजीरिया में पीएम मोदी का भव्य स्वागत, लोगों ने लगाए ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे
-
नेशनल2 days ago
दिल्ली के आसमान में छाई धुंध, AQI 400 के पार, लोगों को सांस लेने में हो रही मुश्किल
-
अन्तर्राष्ट्रीय2 days ago
हिजबुल्लाह ने इजरायल के पीएम नेतन्याहू के घर पर किया रॉकेट से हमला, वीडियो आया सामने
-
नेशनल1 day ago
राहुल गांधी का पीएम मोदी पर निशाना, कहा- देश के प्रधानमंत्री मंच से झूठ बोलते हैं
-
नेशनल2 days ago
DRDO ने हाइपरसोनिक मिसाइल का किया सफल परीक्षण, 1500 किमी से अधिक दूरी तक ले जा सकती है पेलोड
-
उत्तर प्रदेश2 days ago
आमजन को शीतलहर से बचाने में जुटी योगी सरकार, जनपदों को आवंटित किए 20 करोड़
-
नेशनल1 day ago
कैलाश गहलोत ने थामा बीजेपी का हाथ, बोले- किसी के दबाव में नहीं करेंगे काम