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छग : भोरमदेव अभयारण में ट्रैप कैमरे में कैद हुए बाघ-बाघिन

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 कवर्धा, 20 जनवरी (आईएएनएस/वीएनएस)। काफी अर्से बाद जिले के भोरमदेव अभयारण क्षेत्र में बाघ और बाघिन दिखाई दिए हैं। इनकी तस्वीरें वन विभाग की ओर से जंगल में लगाए गए ट्रैप कैमरे में कैद हुई है।

 जिले में पूर्व में बाघ-बाघिन की हत्या हो चुकी है, जिससे चिंतित वन विभाग सुरक्षा को लेकर अलर्ट तो है, पर अपडाउन की संस्कृति अपना रहे वन कर्मियों के भरोसे कैसे होगी सुरक्षा चिंता का विषय है।

विगत दिनों वन विभाग के भोरमदेव अभयारण्य क्षेत्र के भोरमदेव क्षेत्र की तरफ से बने दुरदूरी झरने की ओर से जाने वाले रास्ते में करिया आमा चेक पोस्ट का निरीक्षण किया गया, तो चेक पोस्ट पर ताला लगा कर चौकीदार गायब था। वहां से रोजाना गुजरने वालों ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि यहां अक्सर ताला लगा रहता है साहब कभी कभार ही वन कर्मी दिखाई देते हैं।

इस संबंध में रेंजर ए.के. नायडू ने बैरियर पर ताले लगने और कर्मचारी के गायब होने पर तो कुछ नहीं कहा, पर नक्सलियों का भय दिखाकर बैरियर पार कर दुरदूरी झरने और जंगल में जाने से मना किया। वन विभाग की लापरवाह कार्यशैली और उनमें छाया नक्सलियों के खौफ से वन्य जीव कब तक सुरक्षित रहेंगे सोचनीय है।

विदित हो कि भोरमदेव अभयारण्य कान्हा नेशनल पार्क और अचानकमार अभयारण्य के बीच से विचरण क्षेत्र भी है और कान्हा से लगे होने के कारण वन्य पशु भोरमदेव अभ्यारण क्षेत्र आते-जाते रहते हंै। बाघ-बाघिन भी अक्सर दिखाई दे जाते हैं।

बाघ-बाघिन की उपस्थिति के चलते वनांचल क्षेत्र के निवासियों की दिनचर्या में भी परिवर्तन देखा जा रहा है। शाम होने से पहले ही अब चरवाहे अपने मवेशियों को लेकर घरों की ओर लौट रहे हैं।

कबीरधाम जिले के वनांचल क्षेत्रों में अनेक प्रकार के वन्यप्राणी विचरण करते नजर आ जाते हैं। सबसे पहले कबीरधाम जिले के क्षेत्र तरेगांव जंगल में वर्ष 2001 में पहला बाघ देखा गया था, वहीं एक बार फिर वनांचल क्षेत्र में बाघ व बाघिन की दहाड़ सुनने को मिल रही है।

वन विभाग की ओर से लगाए गए ट्रैप कैमरे में उनकी तस्वीरें कैद हुई हैं। वन विभाग की ओर से ज्यादातर ऐसे स्थानों का चयन किया जाता है जहां वन्य प्राणियों की आवागमन होने का अंदेशा रहता है, उस स्थान पर ट्रेप कैमरा लगाकर रखा गया था जहां ट्रेप कैमरे में बाघ और बाघिन की तस्वीरें कैद हुई है। जंगल के राजा का शाही अंदाज कुछ अलग ही नजर आ रहा है। इन तस्वीरों को देखकर ऐसा लगता है कि बाघ-बाघिन के लिए वनांचल का यह क्षेत्र अनुकूल है। बताया जाता है कि ज्यादातर इस मौसम में इनका आवागमन बना रहता है।

वातावरण अनुकूल होने के कारण यहां मैटिंग के लिए भी पहुंचते हैं, जो लगभग 1 दिन में लगभग 80 किलोमीटर का सफर आसानी से तय कर लेते हैं। भोरमदेव अभ्यारण क्षेत्र में इनकी उपस्थिति जहां विभाग के लिए सुखद अहसास है, वहीं इनकी सुरक्षा की भी जिम्मेदारी अब विभाग की बढ़ गई है।

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महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात

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महाकुम्भनगर|  महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात किया गया है। हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की क्षमता वाले इस हाई सिक्योरिटी टीथर्ड ड्रोन की नजर से किसी का भी बच पाना नामुमकिन है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए यह अत्याधुनिक उपकरण महाकुम्भनगर में लगाया गया है। महाकुम्भनगर के एसएसपी ने इसकी निगरानी के लिए एक एक्सपर्ट टीम तैनात कर दी है।

हर गतिविधि होगी कैप्चर

महाकुम्भनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने इसे सेकेंडों में अलर्ट मोड में आ जाने वाला नायाब उपकरण बताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि इस बार के महाकुम्भ को अविस्मरणीय बनाया जाए, जिसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को हाईटेक किया जा रहा है। इस टीथर्ड ड्रोन में हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की अद्भुत क्षमता है। डेटा ट्रांसमिशन के लिए यह बेहद सुरक्षित है और ऊंचाई से महाकुम्भनगर की हर छोटी-बड़ी गतिविधियां कैप्चर करने में इसे महारत हासिल है।

महाकुम्भ पुलिस की तीसरी आंख से बच पाना नामुमकिन

महाकुम्भनगर की पुलिस के लिए टीथर्ड ड्रोन तीसरी आंख का काम कर रहा है। इससे बच पाना किसी के लिए भी नामुमकिन है। इसके जरिए संगम तट के अलावा अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले घाटों और प्रमुख स्थलों पर पैनी नजर रखी जा रही है। इसके अलावा मंदिरों और अन्य प्रमुख स्थलों पर नजर रखने के लिए हाई रिजॉल्यूशन कैमरे से लैस इस उपकरण को तैनात कर दिया गया है, जो पलक झपकते ही श्रद्धालुओं से संबंधित अलर्ट अफसरों को जारी कर रहे हैं।

एआई लाइसेंस युक्त कैमरे के साथ पुलिस अफसर मुस्तैद

महाकुम्भ के दौरान पुलिस पूरे मेला क्षेत्र में 2750 से अधिक सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। इसमें आधे से ज्यादा एआई लाइसेंस युक्त कैमरे भी शामिल हैं। एसएसपी महाकुम्भनगर राजेश द्विवेदी के अनुसार, इस बार महाकुम्भनगर में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। ऐसे में सीएम योगी की मंशा के अनुरूप सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद बनाए रखने और किसी तरह की कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए हर अधिकारी मुस्तैदी से कार्य कर रहा है।

ये है टीथर्ड ड्रोन

महाकुम्भनगर की महत्ता को ध्यान में रखते हुए इस बार टीथर्ड ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये एक विशेष प्रकार के कैमरे होते हैं। इन कैमरों को एक बड़े बलून के सहारे रस्सी से बांधकर एक निश्चित ऊंचाई पर तैनात किया जाता है। महाकुम्भनगर में इन्हें ऊंचे टॉवर्स पर इंस्टॉल किया जा रहा है। यहीं से ये पूरे मेला क्षेत्र में नजर रख रहे हैं। इन्हें बार-बार उतारना भी नहीं पड़ेगा और ये पूरे मेला क्षेत्र पर अपनी पैनी नजर से निगरानी कर सकने में सक्षम हैं।

बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम

टीथर्ड ड्रोन की मदद से कंट्रोल रूम को मेला क्षेत्र की हर एक महत्वपूर्ण फुटेज प्राप्त हो सकेगी। इसके माध्यम से अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले स्थानों को चिह्नित कर वहां तत्काल पुलिस का प्रबंध किया जा सकता है। वहीं किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पर भी नजर रखी जा सकती है। हाई रिजॉल्यूशन के कारण ये कैमरे बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम हैं।

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