Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

करियर

छत्तीसगढ़ : आईआईएम से परस्नातक करना हुआ महंगा

Published

on

Loading

रायपुर| छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) से परस्नातक पाठ्यक्रम (पीजीपी) करने वाले छात्रों को अब अधिक फीस चुकानी होगी। आईआईएम रायपुर की पीजीपी की ट्यूशन फीस में 10 फीसदी की वृद्धि की गई है। पीजीपी के लिए छात्रों को अब शिक्षण शुल्क के रूप में 7 लाख 26 हजार रुपये चुकाने होंगे। पहले फीस की राशि 6 लाख 60 हजार रुपये थी। इस लिहाज से अब एक छात्र को 66 हजार रुपये अधिक शिक्षण शुल्क चुकाना होगा। बढ़ी हुई फीस के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2015-17 के लिए छात्रों को कुल पीजीपी शुल्क के रूप में 10 लाख 51 हजार रुपये चुकाना होगा। आईआईएम रायपुर प्रशासन ने इस बढ़ी हुई फीस के लिए पिछले तीन साल के मूल्य सूचकांक में हुई वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया है।

आईआईएम रायपुर के निदेशक आईआईएम प्रो. बी. एस. सहाय ने बताया कि रायपुर में पीजीपी की सीट में इजाफा किया गया है। इसके अलावा शिक्षण शुल्क में भी 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है। चूंकि पिछले तीन साल से शुल्क में किसी भी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं हुई थी, ऐसे में यह फैसला बोर्ड ने लिया है।

ज्ञात हो कि आईआईएम रायपुर में शैक्षणिक सत्र 2015-17 के लिए पीजीपी के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। कैट के स्कोर के आधार पर आईआईएम रायपुर में पीजीपी पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया जाएगा।

आईआईएम रायपुर में इस साल से पीजीपी की सीटें भी बढ़ जाएंगी। आईआईएम रायपुर में अब पीजीपी की 140 सीटें होंगी। साल 2010 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने रायपुर में भारतीय प्रबंधन संस्थान शुरू किया था।

आईआईएम रायपुर की शुरुआत 120 सीटों से हुई थी। इसके बाद आईआईएम रायपुर में पीजीपी के अलावा साल दर साल अलग-अलग प्रबंधन पाठ्यक्रम की शुरुआत हुई। फिलहाल आईआईएम रायपुर में पीजीपी प्रोग्राम के अलावा, फेलो प्रोग्राम इन मैनेजमेंट, एग्जिक्यूटिव फेलो प्रोग्राम इन मैनेजमेंट, पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम इन वर्किं ग एग्जीक्यूटिव संचालित है।

 

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

अखिलेश यादव का योगी सरकार पर निशाना, कहा- नौकरी भाजपा के एजेंडे का हिस्सा नहीं

Published

on

Loading

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पीसीएस-प्री और आरओ-एआरओ परीक्षा को लेकर बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने सोमवार को प्रयागराज में जमकर प्रदर्शन किया। लोकसेवा आयोग के दफ्तर के सामने हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच धक्कामुक्की भी हुई। जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए अभ्यर्थियों को खदेड़ दिया था। इस घटना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। अखिलेश ने कहा कि नौकरी भाजपा के एजेंडे में का हिस्सा नहीं है।

उन्होंने कहा कि माहौल ‘योगी बनाम प्रतियोगी’ छात्र हो चुका है। आज उप्र के प्रतियोगी परीक्षाओं के हर अभ्यर्थी, हर छात्र, हर युवक-युवती की ज़ुबान पर यही है कि नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं। अखिलेश ने कहा कि उन्होंने चलवाया लाठी-डंडा, नौकरी नहीं जिनका एजेंडा। नहीं चाहिए अनुपयोगी सरकार। भाजपा सरकार नहीं धिक्कार है। अयोग्य लोगों का अयोग्य आयोग’ नहीं चाहिए।

सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा के लोग, जनता को रोज़ी-रोटी के संघर्ष में उलझाए रखने की राजनीति करते हैं, जिससे भाजपाई साम्प्रदायिक राजनीति की आड़ में भ्रष्टाचार करते रहें। सालों-साल वैकेंसी या तो निकलती नहीं है या फिर परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है। भाजपा ने छात्रों को पढ़ाई की मेज से उठाकर सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है।

उन्होंने कहा कि यही आक्रोशित अभ्यर्थी और उनके हताश-निराश परिवार वाले अब भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रहे हैं। नौकरीपेशा, पढ़ा-लिखा मध्यवर्ग अब भावना में बहकर भाजपा के बहलावे-फुसलावे में आनेवाला नहीं। अब तो व्हाट्सएप ग्रुप के झूठे भाजपाई प्रचार के शिकार अभिभावकों को भी समझ आ गया है कि अपनी सत्ता पाने और बचाने के लिए भाजपा ने कैसे उनका भावनात्मक शोषण किया है। अब ये लोग भी भाजपा की नकारात्मक राजनीति के झांसे में आने वाले नहीं और बांटने वाली साम्प्रदायिक राजनीति को नकारकर ‘जोड़नेवाली सकारात्मक राजनीति’ को गले लगा रहे हैं। अब कोई भाजपाइयों का मानसिक गुलाम बनने को तैयार नहीं हैं।

अखिलेश ने कहा कि अब सब समझ गये हैं, भाजपा सरकार के रहते कुछ भी नहीं होनेवाला। भाजपा के पतन में ही छात्रों का उत्थान है। भाजपा और नौकरी में विरोधाभासी संबंध है। जब भाजपा जाएगी, तभी नौकरी आएगी।

उन्होंने कहा कि अब क्या भाजपा सरकार छात्रों के हॉस्टल या लॉज पर बुलडोज़र चलाएगी। भाजपाई जिस शिद्दत से नाइंसाफ़ी का बुलडोजर चला रहे हैं, अगर उसी शिद्दत से सरकार चलाई होती तो आज भाजपाइयों को छात्र आक्रोश से डरकर, अपने घरों में छुपकर नहीं बैठना पड़ता। आंदोलनकारियों के ग़ुस्से से घबराकर भाजपाइयों के घरों, दुकानों, प्रतिष्ठानों और गाड़ियों से भाजपा के झंडे उतर गये हैं। आंदोलनकारी युवा ऊँची आवाज़ में पूछ रहे हैं ‘अब कहाँ गायब हैं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वाली भाजपा के नेता और कार्यकर्ता?’ क्या ये सिर्फ़ समाज को बाँटने के लिए बाहर निकलते हैं। जिस समय छात्रों की आवाज में आवाज मिलाने का समय है, उस समय ये भाजपाई, कहीं दबे-छिपे काट रहे हैं सत्ता की मलाई। सपा प्रमुख ने कहा कि नकारात्मक भाजपा और उसकी नकारात्मक झूठी राजनीति का समय पूरा हो गया है। जन-जन कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा।

 

Continue Reading

Trending