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ऑफ़बीट

छेड़छाड़ का शिकार होने पर बनीं दबंग गर्ल, नाम सुन कांप उठते हैं शोहदे

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नई दिल्ली। किसी ने ठीक ही कहा है कि, अगर मन में लगन हो और दिल में कुछ कर गुजरने के जज्बात, तो दुनिया की कोई भी तकलीफ आपके सामने टिक नहीं सकती।’ कुछ ऐसी ही कहावत का एक जीता जागता सुबूत आज हम आपके सामने लाएं है।

जी हां। इंसान जिंदगी में तभी संभलता है। जब वह खुद ठोकर खाता है। कुछ ऐसा ही हुआ मशहूर पीपीएस अधिकारी श्रेष्ठा ठाकुर के साथ। आज श्रेष्ठा ठाकुर को कोई लेडी सिंघम बुलाता है, तो कोई दबंग गर्ल लेकिन श्रेष्ठा को इन सब बातों की कोई ख़ासा ख़ुशी नहीं है। उन्हें चाहिए तो बस एक चीज, और वो है लड़कियों के मन में आत्मविश्वास।

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श्रेष्ठा का कहना है कि, उन्हें नहीं पसंद की कोई लड़की सड़क पर असहज और असुरक्षित महसूस करे। वह चाहती हैं कि लड़कियों के मन में हमेशा पुलिस की मौजूदगी रहे।

ऐसे जागा मन में पुलिस अफसर बनने का अरमान-

बता दें कि, श्रेष्ठा खुद पढ़ाई के दौरान मनचलों का शिकार हो चुकी है कानपुर में पढ़ाई करते समय उनसे दो बार मनचलों ने छेड़छाड़ की। इसके बाद उन्हें लगा कि इस प्रकरण में पुलिस को जिस तरह कार्रवाई करनी चाहिए थी, पुलिस ने नहीं की। बस तभी से एक पुलिस अफसर बनने की चाह ने उनमें जन्म लिया और कड़ी मेहनत के साथ उन्होंने अपनी चाहत पूरी की।

भाइयों ने दिया खूब साथ-

श्रेष्ठा के सपनों को परवान चढ़ाने में उनके बड़े भाई मनीष प्रताप का बड़ा योगदान है। पीपीएस जैसी कठिन परीक्षा में कभी भी जब श्रेष्ठा ठाकुर का मन ऊबने लगता था तो मनीष प्रताप ही उनका मनोबल बढ़ाते थे। दोनो भाई अपनी छोटी इकलौती बहन श्रेष्ठा ठाकुर को काफी स्नेह करते हैं, लेकिन पढ़ाई में सहयोग के मामले में मनीष प्रताप सदैव अव्वल रहे।

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कुत्तों से है बेहद प्यार-

यूं तो अक्सर जहां पुलिस अफसरों को कठोर दिल माना जाता है। वहीं श्रेष्ठा के कोमल हृदय का अंदाजा उनके किए गए कार्यों से जाना जा सकता है। वह बुलंदशहर में रहें, कानपुर रहें या फिर बहराइच में रहें, लेकिन लावारिश कुत्तों को खाना खिलाना नहीं भूलती हैं।

सबके दिलों पर करती हैं राज-

Image result for shrestha thakurमहिलाओं के मामले में सचेत रहने वाली श्रेष्ठा ठाकुर न सिर्फ लड़कियों को कानूनी तौर पर मजबूत करना चाहती हैं, बल्कि शारीरिक तौर पर भी मजबूत करने के लिए वो उन्हें ताइक्वांडो की ट्रेनिंग भी देती हैं। समय-समय पर महिला कॉलेजों में जाकर लड़कियों को जागरूक करने का अभियान चलाती है। इसी क्रम में उन्होंने बहराइच महिला डिग्री कॉलेज, तारा महिला स्कूल, आर्य कन्या पाठशाला में जा-जाकर लड़कियों को आत्मबल मजबूत करने की ट्रेनिंग दी है।

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अन्य राज्य

सोशल मीडिया पर हवाबाजी करने के लिए युवकों ने रेलवे ट्रैक पर उतारी थार, सामने से आ गई मालगाड़ी

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राजस्थान। सोशल मीडिया पर अपना वीडियो या रील बनाने वालों ने इन दोनों कानून और नियम कायदों को धता बताना अपना शग़ल बना लिया है। रील के लिए कोई पहाड़ से कूद जाता है तो कोई पानी के तेज बहाव की परवाह तक नहीं करता। जयपुर में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां कुछ नौजवानों ने स्टंट की खातिर थार जीप को रेलवे ट्रेक पर उतार दिया। फिर जब थार पटरियों पर फँस गई तो उनके हाथ पांव फूल गए। पटरी पर इसी दौरान मालगाड़ी भी आ गई लेकिन लोको पायलट की सूझबूझ से दुर्घटना टल गई।

नशे में धुत्त तीन चार नौजवानों ने सोमवार को जयपुर के सिवांर इलाके में अपनी करतूत से लोगों को परेशानी में डाल दिया। इन युवकों ने पहले एक थार जीप किराए पर ली और उसे लेकर रेलवे ट्रेक पर पहुंच गए। इरादा था ट्रेक पर जीप दौड़ाने का। लेकिन अचानक थार फँस गई पटरियों के बीच। इसी दौरान कनकपुरा रेलवे स्टेशन की तरफ़ से एक मालगाड़ी को आता देख थार में सवार कुछ युवक तो उतरकर भाग गए लेकिन ड्राइवर बैठा रहा। इस बीच मालगाड़ी के लोको पायलट ने थार को ट्रैक पर देखकर ब्रेक लगा दिए जिससे जान माल का नुकसान होने से बच गया। इस दौरान वहाँ आरपीएफ के जवान और स्थानीय लोग भी पहुँच गए और सबने मिलकर ट्रैक से थार जीप को हटाया। लेकिन ये क्या जैसे ही थार ट्रैक से बाहर आई ड्राइवर उसे मौके से भगाकर ले गया । रास्ते में कई वाहनों और दुपहिया को टक्कर मारी लेकिन रुका नहीं। एक जगह बजरी के ढेर पर थार चढ़ गई लेकिन ड्राइवर ने रफ़्तार कम नहीं की और फ़रार हो गया।

 

इसके बाद पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो घटनास्थल से चार किलोमीटर दूर थार जीप लावारिस खड़ी मिली। पुलिस में जीप को जब्त कर उसके मालिक की तलाश शुरू की तो पता चला कि थार को पारीक पथ सिंवार मोड़ निवासी कुशाल चौधरी चला रहा था।वो इस जीप को बेगस से किराए पर लेकर आया था। कुशल चौधरी अभी भी फ़रार है इस संबंध में आरपीएफ की तरफ से मुकदमा दर्ज किया गया है। रेलवे प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 153 के अलावा धारा 147 और 174 में मामला दर्ज करके आरोपियों की तलाश जारी है। ये सभी ग़ैर जमानती धारा है इनके तीन साल तक की क़ैद का प्रावधान है।

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