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आध्यात्म

जब ‘राजा’ कानून तोड़े तो सजा कौन देगा?

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भोपाल/ओरछा, 28 दिसंबर (आईएएनएस)| ग्रामीण भारत में एक कहावत बड़ी चर्चित है कि ‘जब राजा (कानून बनाने वाला) ही कानून तोड़ने लगे तो उसे सजा कौन देगा।’ यह कहावत बुधवार को राम की नगरी और बुंदेलखंड की अयोध्या ओरछा में देखने को मिली।

पहले तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आने से पहले श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश से रोक दिया गया और फोटो लेना प्रतिबंधित होने के बावजूद मंदिर में विराजे भगवान की तस्वीरें ली गईं। ऐसा मंदिर के इतिहास में पहली बार हुआ।

इतना ही नहीं, इन तस्वीरों को मुख्यमंत्री के ऑफीसियल ट्विटर हैंडल पर भी शेयर किया गया। सवाल उठ रहा है कि इस अपराध की किसे और कौन सजा देगा?

मान्यता है कि ओरछा के राजा सिर्फ राम हैं। यहां की सत्ता उन्हीं के हवाले होती है, यही कारण है कि उन्हें रामराजा सरकार कहा जाता है और सशस्त्र सुरक्षाकर्मी उन्हें चार बार सलामी देते हैं। ओरछा की सरहद में कोई मंत्री, नेता या अधिकारी अपने वाहन के ऊपर लगी बत्ती को बंद करके ही प्रवेश करता है। यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है। इतना ही नहीं, रामराजा मंदिर के पट (दरवाजे) तय समय पर खुलते और बंद होते हैं। कितना भी विशिष्ट व्यक्ति आए, इसमें बदलाव नहीं होता।

ओरछा निवासी नरेंद्र मिरधा (64) बताते हैं, ओरछा मंदिर के इतिहास में बीते 500 वर्षो में पहली बार ऐसा हुआ होगा, जब एक विशिष्ट व्यक्ति के आगमन पर आम श्रद्धालुओं को प्रवेश से रोका गया। बुधवार को जो कुछ भी हुआ, वह अच्छा नहीं हुआ, क्योंकि यहां के राजा तो राम हैं।

ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री चौहान बुधवार को मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचने वाले थे, इस कारण आम श्रद्धालुओं को लगभग आधा घंटे के लिए मंदिर जाने से रोक दिया गया था। संवाददाताओं ने मुख्यमंत्री से श्रद्धालुओं को मंदिर जाने से रोके जाने का जिक्र किया, तो उनका जवाब था कि वे उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, जिन्होंने ऐसा किया है।

बुंदेलखंड के वरिष्ठ पत्रकार और ओरछा निवासी जगदीश तिवारी ने आईएएनएस से कहा, बुधवार को मंदिर में जो कुछ हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। मई 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी मंदिर में प्रभु के दर्शन करने आई थीं, उस वक्त प्रसाद लग रहा था (उस वक्त प्रभु के दर्शन नहीं होते)। इसलिए वह आधा घंटे तक मंदिर परिसर में ही खड़ी रहीं थीं, बाद में दर्शन किए थे, ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हो।

तिवारी बताते हैं, मंदिर के भीतर की तस्वीर लेने पर पूरी तरह पाबंदी है। एक दफा चोरी छिपे श्वेत-श्याम तस्वीर ली गई थी, मगर वह स्पष्ट नहीं आई थी। इस बार मुख्यमंत्री ने नियम तोड़कर जो तस्वीरें ट्वीट की हैं, उनमें भी तस्वीरें साफ नहीं दिख रही हैं। सवाल उठता है कि क्या प्रशासन तस्वीर खींचने पर निर्धारित सजा शिवराज को देने का साहस दिखा पाएगा?

इस मंदिर का विशेष महत्व है। मान्यता है कि राम यहां के राजा हैं। यही कारण है कि ओरछा में कई जगह पढ़ने को मिल जाएगा- ‘जग निवास श्रीराम के दो निवास हैं खास/दिवस ओरछा रहत हैं रैन (रात) अयोध्या वास।’ अर्थात राम दिन में ओरछा तो रात में अयोध्या में रहते हैं।

टीकमगढ़ के जिलाधिकारी अभिजीत अग्रवाल से आईएएनएस ने श्रद्धालुओं को रोके जाने और शिवराज के ट्विटर हैंडल पर मंदिर के भीतर की तस्वीरों को लेकर सवाल किया गया, तो उनका कहना था, मुख्यमंत्री के आगमन के दौरान श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं हुई। जहां तक फोटो की बात है, मैंने मुख्यमंत्री का ट्विटर हैंडल नहीं देखा है, इसलिए इस मसले पर कुछ नहीं कह सकता। मंदिर की तस्वीर खींचने पर कोई दंड का प्रावधान है, इसकी भी जानकारी नहीं है।

आपको बता दें कि मंदिर प्रबंध समिति के प्रबंधक जिलाधिकारी होते हैं, मंदिर परिसर मे कई जगह बोर्ड लगे हैं, जिनमें साफ लिखा है- ‘तस्वीर न लें और मोबाइल लेकर भीतर न जाएं।’ मंदिर के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मी भी यह हिदायत देते हैं।

स्थानीय लोगों की मानें तो मंदिर के बाहर पूर्व में एक सूचना पटल लगा था, जिसमें तस्वीर लेने पर मोबाइल, कैमरा जब्त करने के साथ अर्थदंड का भी प्रावधान होने का जिक्र था। यहां हुए निर्माण कार्य के चलते यह सूचना पटल हटाया गया था। यही आदेश अब भी लागू होगा तो क्या मुख्यमंत्री को भी सजा मिलेगी? सवाल उठता है कि राम जहां के राजा हैं, वहां अब राम नहीं, किसी और का राज चलेगा?

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आध्यात्म

पारंपरिक गीतों के बिना अधूरा है सूर्य उपासना का महापर्व छठ

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पटना| सूर्योपासना और लोकआस्था के महापर्व छठ की कल्पना कर्णप्रिय और सुमधुर गीत के बिना नहीं की जा सकती। इन पारंपरिक गीतों के जरिए न केवल भगवान की अराधना की जाती है, बल्कि इन गीतों के जरिए कई संदेश भी देने की कोशिश की जाती है।

चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को लेकर ऐसे तो कई गायक और गायिकाओं ने गीत गाए और लिखे हैं, परंतु चर्चित गायिका शारदा सिन्हा और अनुराधा पौडवाल के गीत आज भी घरों से लेकर छठ घाठों तक लोगों द्वारा सुने और गाए जाते हैं।

भगवान भास्कर की अराधना के छठ पर्व पर ‘पद्मश्री’ और ‘बिहार कोकिला’ के नाम से प्रसिद्घ शारदा सिन्हा द्वारा गाया गीत ‘हो दीनानाथ’ आज भी काफी चर्चित गीत है। इस गीत के जरिए इस व्यस्त शहरी जिंदगी से समय निकालकर लोगों को भी छठ को अपनाने की बात कही गई है।

इसके अलावा गायिका अनुराधा पौडवाल की आवाज में ‘मारबै रे सुगवा’ भी काफी चर्चित गीत है। इस गीत के जरिए सुग्गा (तोते) को चेतावनी दी गई है कि वह भगवान के प्रसाद चढ़ाने के पहले फल को चोंच न मारे, वरना उसे मारा जा सकता है। इस गीत में भगवान को सर्वश्रेष्ठ मानकर उनकी अराधना की गई है।

इसी तर्ज पर शरादा सिन्हा द्वारा गाया गीत, ‘केलवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेंडराय’ भी काफी चर्चित रहा है। इस गीत के जरिए भी तोते को हिदायत दी जाती है कि अगर पवित्रता भंग की तो इसका बुरा फल मिलेगा।

वैसे, छठ के गीतों में संदेश भी छिपा हुआ है। छठ पर्व के गीतों में बेटियों को विशेष महत्व दिया गया है। छठ पूजा के गीतों में बेटियों का स्वागत करते हुए ईश्वर से उनके मंगल की गुहार लगाई गई है। ‘रूनकी धुनकी बेटी मांगी ला, पढ़ल पंडितवा दामाद हे छठी मईया’ के जरिए छठी मईया से सुंदर, सुशील बेटी और विद्वान दामाद की कामना की जाती है।

इसी तरह ‘पांच पुतुर अन्न, धन, लक्ष्मी धियवा मांगबो जरूर’ में छठी मईया से यह प्रार्थना की गई है कि पांच पुत्र, अन्न, धन, लक्ष्मी और वैभव के साथ एक धियवा (बेटी) जरूर दें।

इसी तरह कर्णप्रिय गीत ‘हे छठी मईया’ न केवल व्रतियों (परबैतिनों) में ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि ये भी बताता है कि इस पर्व में जात पात का फर्क मिट जाता है। इस गीत में यह भी बताया गया है कि कैसे छोटी मोटी गलतियों को छठी मईया नजरअंदाज कर देती हैं।

लोक गायिका देवी के गाए छठ गीतों के अलबम ‘कोसी के दीवाना’, बहंगी छूट जाई’ की काफी मांग है। गायक पवन सिंह, कल्लू, आकांक्षा राय के गाने भी लोग पसंद कर रहे हैं।

 

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