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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल : सिक्का जमाने पहुंचेंगी मशहूर हस्तियां

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 जयपुर, 22 जनवरी (आईएएनएस)| राजस्थान के गुलाबी शहर में ‘धरती का सबसे बड़ा साहित्यिक शो’ कहा जाने वाला लिटरेचर फेस्टिवल इस बार 24 से 28 जनवरी तक चलेगा, जिसमें दुनियाभर के बड़े लेखक, चिंतक, मानवतावादी, राजनेता, व्यवसाय जगत, खेल और मनोरंजन जगत की मशहूर हस्तियां विभिन्न विषयों पर अपनी बेबाक राय देने के लिए जुटेंगी।

 इस फेस्टिवल में हमेशा की तरह खूबसूरत विचारों का संयोजन दिखेगा। प्रमुख वक्ता अभिव्यक्ति की आजादी के साथ विविध विषयों पर तर्कपूर्ण संवाद करेंगे। प्राचीन सभ्यता से लेकर उस युद्ध तक पर चर्चा होगी, जिसने इतिहास के प्रवाह को बदल, रहस्य और मिथक को नया आयाम दिया।

विज्ञप्ति के अनुसार, भारतीय लेखिका इरा मुकौटी पौराणिक आख्यानों के प्रतिष्ठित ज्ञाता और कहानीकार देवदत्त पटनायक का ‘श्याम : रिटेलिंग द भागवत’ सत्र में परिचय करवाएंगी। महाभारत और रामायण के बाद भागवत उनका तीसरा महाआख्यान है।

जाने-माने भारतीय-अमेरिकी पुराण विशेषज्ञ, लेखक और न्यूक्लियर रेडियोलोजिस्ट अमित मजूमदार की पुस्तक ‘गॉडसॉन्ग’ भगवद् गीता का छंद प्रति छंद अनुवाद है। इसमें बहुत सी बारीकियों को लयबद्ध रूप में दर्ज किया गया है।

‘द पुराण’ नामक सत्र में अर्थशास्त्री और लेखक विवेक देवरॉय भागवत पुराण के अपने अनुवाद पर इतिहासकार पुष्पेश पंत से चर्चा करेंगे। पुराणों के कुछ छोटे और बड़े रूप पाए जाते हैं, बड़े रूपों को महापुराण कहा जाता है। इस प्राचीन पाठ की गणना विश्वकोश में की जाती है, जिसके रचयिता कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास को माना गया है।

इसी तरह फाइंडिंग राधा, ग्वालिन राधा पर एक दिलचस्प सत्र होगा। प्रसिद्ध लेखक, विद्वान और पुराणविद्- अलका पांडे, बुलबुल शर्मा, पवन के. वर्मा, देवदत्त पटनायक और यूडिट कोर्नबर्ग ग्रीनबर्ग के साथ नमिता गोखले और मालाश्री लाल सत्र में राधा की धार्मिक, ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों में व्याख्या करेंगे। नमिता गोखले और मालाश्री लाल ने संग्रह ‘फाइंडिंग राधा : द क्वेस्ट फॉर लव’ का सह-संपादन भी किया है।

इसके अलवा हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक नरेंद्र कोहली का यतींद्र मिश्र के संग संवाद का सत्र होगा। कोहली ‘महासमर : राइटिंग द एपिक’ में बताएंगे कि उन्हें भारतीय आख्यान, मान्यताओं और प्रचलित कथाओं के पुनर्लेखन की प्रेरणा कहां से मिली। वह अपनी महासमर श्रृंखला के नौ खंडों के बारे में और रामायण, महाभारत व पुराण की समकालीन समझ के बारे में बात करेंगे।

फेस्टिवल के एक दिलचस्प सत्र में कामयाब लेखक और सॉफ्टवेयर डेवलपर विक्रम चंद्रा संस्कृत भाषा के प्रति अपने जुनून पर बात करेंगे। सत्र परिचय संस्कृत भाषा के विद्वान जेम्स मेलिंसन देंगे।

जलियांवाला बाग सत्र 13 अप्रैल, 1919 के उस बदकिस्मत दिन की घटना पर आधारित होगा, जब जनरल डायेर ने अमृतसर के पार्क में आयोजित एक शांतिपूर्ण सम्मलेन पर गोली-बारी के आदेश दे दिए थे। लंदन यूनिवर्सिटी में इतिहास की प्रोफेसर किम ए. वेगनर और प्रतिष्ठित राजनयिक और नामी लेखक नवतेज सरना ‘जलियांवाला बाग, 1919, द रियल स्टोरी’ की लेखिका किश्वर देसाई से इस पर चर्चा करेंगे।

यह पांच दिवसीय फेस्टिवल एक दशक से ज्यादा समय से तकरीबन 2000 वक्ताओं की मेजबानी और देश और दुनियाभर के लाखों पुस्तक-प्रेमियों का स्वागत कर चुका है। एक बार फिर से साहित्य का यह मजमा, राजस्थान की पृष्ठभूमि में, सांस्कृतिक विरासत को सहेजे, डिग्गी पैलेस में सजने को तैयार है।

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महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात

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महाकुम्भनगर|  महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात किया गया है। हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की क्षमता वाले इस हाई सिक्योरिटी टीथर्ड ड्रोन की नजर से किसी का भी बच पाना नामुमकिन है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए यह अत्याधुनिक उपकरण महाकुम्भनगर में लगाया गया है। महाकुम्भनगर के एसएसपी ने इसकी निगरानी के लिए एक एक्सपर्ट टीम तैनात कर दी है।

हर गतिविधि होगी कैप्चर

महाकुम्भनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने इसे सेकेंडों में अलर्ट मोड में आ जाने वाला नायाब उपकरण बताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि इस बार के महाकुम्भ को अविस्मरणीय बनाया जाए, जिसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को हाईटेक किया जा रहा है। इस टीथर्ड ड्रोन में हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की अद्भुत क्षमता है। डेटा ट्रांसमिशन के लिए यह बेहद सुरक्षित है और ऊंचाई से महाकुम्भनगर की हर छोटी-बड़ी गतिविधियां कैप्चर करने में इसे महारत हासिल है।

महाकुम्भ पुलिस की तीसरी आंख से बच पाना नामुमकिन

महाकुम्भनगर की पुलिस के लिए टीथर्ड ड्रोन तीसरी आंख का काम कर रहा है। इससे बच पाना किसी के लिए भी नामुमकिन है। इसके जरिए संगम तट के अलावा अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले घाटों और प्रमुख स्थलों पर पैनी नजर रखी जा रही है। इसके अलावा मंदिरों और अन्य प्रमुख स्थलों पर नजर रखने के लिए हाई रिजॉल्यूशन कैमरे से लैस इस उपकरण को तैनात कर दिया गया है, जो पलक झपकते ही श्रद्धालुओं से संबंधित अलर्ट अफसरों को जारी कर रहे हैं।

एआई लाइसेंस युक्त कैमरे के साथ पुलिस अफसर मुस्तैद

महाकुम्भ के दौरान पुलिस पूरे मेला क्षेत्र में 2750 से अधिक सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। इसमें आधे से ज्यादा एआई लाइसेंस युक्त कैमरे भी शामिल हैं। एसएसपी महाकुम्भनगर राजेश द्विवेदी के अनुसार, इस बार महाकुम्भनगर में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। ऐसे में सीएम योगी की मंशा के अनुरूप सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद बनाए रखने और किसी तरह की कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए हर अधिकारी मुस्तैदी से कार्य कर रहा है।

ये है टीथर्ड ड्रोन

महाकुम्भनगर की महत्ता को ध्यान में रखते हुए इस बार टीथर्ड ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये एक विशेष प्रकार के कैमरे होते हैं। इन कैमरों को एक बड़े बलून के सहारे रस्सी से बांधकर एक निश्चित ऊंचाई पर तैनात किया जाता है। महाकुम्भनगर में इन्हें ऊंचे टॉवर्स पर इंस्टॉल किया जा रहा है। यहीं से ये पूरे मेला क्षेत्र में नजर रख रहे हैं। इन्हें बार-बार उतारना भी नहीं पड़ेगा और ये पूरे मेला क्षेत्र पर अपनी पैनी नजर से निगरानी कर सकने में सक्षम हैं।

बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम

टीथर्ड ड्रोन की मदद से कंट्रोल रूम को मेला क्षेत्र की हर एक महत्वपूर्ण फुटेज प्राप्त हो सकेगी। इसके माध्यम से अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले स्थानों को चिह्नित कर वहां तत्काल पुलिस का प्रबंध किया जा सकता है। वहीं किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पर भी नजर रखी जा सकती है। हाई रिजॉल्यूशन के कारण ये कैमरे बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम हैं।

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