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जयललिता की किस्मत ईवीएम में बंद

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चेन्नई,तमिलनाडु की राधाकृष्णन,नगर विधानसभा सीट,उप-चुनाव संपन्न,मुख्यमंत्री जे. जयललिता,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी,मार्क्‍सवादी कम्युस्टि पार्टी,पट्टाली मक्कल काची

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चेन्नई | तमिलनाडु की राधाकृष्णन नगर विधानसभा सीट पर शनिवार को उप-चुनाव संपन्न हो गया, जिसमें राज्य की मौजूदा मुख्यमंत्री जे. जयललिता को पद पर बने रहने के लिए जीत हासिल करना जरूरी है। उप-चुनाव में 65 फीसदी के करीब मतदान हुआ। मतदान शाम पांच बजे के करीब संपन्न हुआ।

अधिकारियों ने बताया कि सभी 230 मतदान केंद्रों से आंकड़े मिलने के बाद ही सही-सही मत प्रतिशत का पता चलेगा। चुनावी मैदान में वैसे तो कुल 28 प्रत्याशी हैं, लेकिन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के प्रत्याशी सी. महेंद्रन को ही जयललिता के सामने मुख्य चुनौती माना जा रहा है। हालांकि जयललिता की जीत की पूरी संभावना जताई जा रही है। महेंद्रन भाकपा और मार्क्‍सवादी कम्युस्टि पार्टी (माकपा) के संयुक्त उम्मीदवार हैं। अन्य 26 प्रत्याशियों में ‘ट्रैफिक रामास्वामी’ के उपनाम से मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता के. आर. रामास्वामी भी शामिल हैं।

मतदान में पूरे दिन तेजी देखी गई और मतदान पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा। बड़ी संख्या में मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने घरों से बाहर निकले। मतगणना 30 जून को होगी। उप-चुनाव में राज्य के मुख्य विपक्षी दल द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक), पट्टाली मक्कल काची (पीएमके), देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कड़गम (डीएमडीके), कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मारुमलराची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) ने उप-चुनाव में हिस्सा नहीं लिया। जयललिता को विधानसभा की सदस्यता दिलाने के लिए एआईएडीएमके विधायक पी. वेतरीवाल ने इस्तीफा दिया था, जिसके बाद राधाकृष्णन नगर सीट रिक्त हुई थी।

जयललिता वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में श्रीरंगम विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुई थीं। लेकिन बेंगलुरू की एक अदालत द्वारा उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद इस विधानसभा क्षेत्र से उनकी सदस्यता समाप्त हो गई थी। इस मामले में गिरफ्तारी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से भी इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया, जिसके बाद वह दोबारा तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन इस पद पर बने रहने की एक अनिवार्य आवश्यकता के तहत उन्हें छह माह के भीतर विधानसभा की सदस्यता प्राप्त करनी है।

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IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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