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प्रादेशिक

प्रलय का कारण बनेगी नदियों को जोडऩे की योजना : जलपुरुष राजेंद्र सिंह

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Rajendra_Singhभोपाल। स्टॉकहोम वाटर प्राइज से सम्मानित जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा है कि नदियों को जोडऩे की योजना बनाने वाली सरकारों की नीयत में ही खोट है, क्योंकि यह योजना किसानों और गरीबों को पानी उपलब्ध कराने के लिए नहीं बल्कि पानी पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए है।

उन्होंने कहा कि यह योजना देश की पानी की जरूरत को पूरा तो नहीं ही करेगी, उल्टे भारत की धरती पर प्रलय का कारण जरूर बनेगी। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित प्रशासन अकादमी में आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह में हिस्सा लेने आए जल संरक्षण कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह ने खास मुलाकात में कहा, सरकारें नदी जोड़ो योजना को देश के लिए फायदेमंद बता रही हैं, लालच दे रही हैं। लेकिन, हकीकत कुछ और ही है। अब तक देश में न जाने कितने बड़े बांध बने। जब बांध बनने की बारी आई, तब बताया गया कि बड़ी मात्रा में बिजली का उत्पादन होगा। क्या वाकई में ऐसा हुआ? नहीं हुआ। यही कुछ इस योजना के साथ होने वाला है।

राजेंद्र सिंह ने वर्तमान हालात का जिक्र करते हुए कहा, सामान्य से अधिक बारिश होने पर ही नदियों में बाढ़ आ जाती है, क्योंकि उनके आसपास अतिक्रमण है। देश की कम ही नदियां ऐसी है, जिन्हें इस विभीषिका का सामना न करना पड़ता होगा। जब बाढ़ से जूझने वाली नदियों को जोड़ा जाएगा, तब क्या होगा, इसकी कल्पना करना आसान नहीं है।

उन्होंने कहा, हम उपनिषद, वेद आदि में जल प्रलय की कहानियां पढ़ते हैं। यही कुछ भारत में होगा नदी जोड़ो योजना से। नदियों को जोडक़र बांध बनाकर पानी तो रोक लिया जाएगा, मगर जब बाढ़ की स्थिति बनेगी तो क्या होगा, इसकी अभी कल्पना तक नहीं की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि जिन सरकारों का बड़े जोड़, बड़े बांध पर ध्यान है, वह वास्तव में भ्रष्टाचार व प्रदूषण का बड़ा जोड़ है। वह नदियों का बड़ा जोड़ नहीं है। जब भी बड़ा बांध बना तो बिजली व सिंचाई का लालच दिया गया, मगर किसी भी बांध से वह लाभ नहीं मिला, जो वादा किया गया था।

उन्होंने कहा कि नदी जोड़ो योजना से समाज में पानी को लेकर झगड़े बढ़ जाएंगे। अंतर्राज्यीय, अंतर जिला स्तर पर पानी के बंटवारे को लेकर होने वाले झगड़ों का निपटारा आसान नहीं होगा। कर्नाटक और तामिलनाडु के बीच चल रहे कावेरी विवाद को सरकारों को समझना होगा।
उन्होंने कहा कि इस मामले का निपटारा न्यायालय से नहीं बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं के स्तर पर संभव है। इसके लिए हमारे संविधान में भी व्यवस्था की गई है। जहां तक न्यायपालिका का सवाल है तो उसकी दृष्टि व दर्शन केवल कानून पालन कराना होता है, जबकि कानून के पालन से पानी की कमी दूर नहीं होती।

उन्होंने कहा कि पानी की समस्या के निदान के लिए नदी जोड़ा नहीं बल्कि समाज जोड़ो अभियान की जरूरत है। सिंह ने कहा कि राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों को अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर देशहित में फैसले लेने होंगे। राजस्थान वह राज्य है, जहां औसत से कम बारिश होती है लेकिन यहां तीन फसलें ली जा रही हैं। अकाल के हालात बनने पर भी पानी की कमी नहीं होती। यह सब संभव हुआ है, समाज के मिलकर काम करने से।

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उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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