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जानवरों से क्रूरता पर 10 से 50 रुपये जुर्माना एक मजाक!

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नई दिल्ली, 9 जून (आईएएनएस)| बेंगलुरू की एक महिला (पोन्नाम्मा) ने आठ पिल्लों की महज इसलिए जान ले ली, क्योंकि इन पिल्लों की मां ने उन्हें इस महिला के दरवाजे पर जन्मा था। कर्नाटक में लोगों ने एक भालू को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया, माधा मेडिकल कॉलेज के एक छात्र ने पिल्ले को छत से फेंक दिया। ऐसे संवेदनशून्य कारनामों के लिए अधिकतम जुर्माना सिर्फ 50 रुपये तय है।

जरा सोचिए, गायों पर एसिड फेंकने और अन्य जानवरों की हत्या की घटनाओं पर न्यूनतम जुर्माना 10 रुपये और अधिकतम 50 रुपये। ऐसी सजा जिसे सुनाई जाएगी, उसे भी लगेगा कि शायद उसके साथ मजाक किया जा रहा है।

जानवरों के साथ क्रूरता पर दोषी पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ जानवरों के साथ क्रूरता रोकथाम अधिनियम 1960 के तहत कार्रवाई की जाती है। अधिनियम के तहत आरोपी पर पहले अपराध के लिए 10 से 50 रुपये जुर्माना लगाया जाता है और अगर वह तीन साल के भीतर अपराध को दोहराता है तो जुर्माने की राशि बढ़कर 25 से 100 रुपये के बीच होती है। साथ ही अधिनियम में तीन महीने तक जेल का भी प्रावधान है।

जानवरों के साथ क्रूरता के इस कमजोर कानून पर संगठन पेटा के इमरजेंसी रिस्पॉन्स कोर्डिनेटर दीपक चौधरी ने आईएएनएस को बताया, जानवरों के साथ क्रूरता रोकथाम अधिनियम 1960 काफी पुरानी, कमजोर और लगभग अर्थहीन जुर्माना हो चुका है। भारत में जानवरों की दुर्व्यवहार से रक्षा करने की तत्काल जरूरत है। जानवरों के साथ क्रूरता के दोषी पाए जाने वाले लोगों को जेल और महत्वपूर्ण जुर्माने के साथ परामर्श व जानवरों के संपर्क पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है, जिससे संविधान के अनुच्छेद 51 ए (जी) के तहत जानवरों के लिए करुणा करने के कर्तव्य बेहतर तरीके से पालन को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

जानवरों से क्रूरता पर 50 रुपये के जुर्माने पर पेटा ने कहा, पहले अपराध के लिए 50 रुपये का अधिकतम जुर्माना एक अपमानजनक जुर्माना है, जो जानवरों से क्रूरता के खिलाफ निवारक के रूप में कार्य नहीं करता। जानवरों से क्रूरता के कई हालिया मामलों ने अधिनियम 1960 के तहत कठोर दंड की जरूरत पर प्रकाश डाला गया है। अगर हम समाज के रूप में जानवरों से क्रूरता के मामलों को हल्के में लेते हैं तो हम इंसानों के खिलाफ भी हिंसा को प्रोत्साहित कर रहे हैं।

जानवरों के प्रति क्रूरता करने वाले लोगों की सोच के बारे में बताते हुए पेटा कार्यकर्ता ने कहा, जानवरों के साथ क्रूरता लोगों में एक गहरी मानसिक अशांति को दिखाता है। अगर अपराधियों को दंडित नहीं किया जाता है, तो कल वही व्यक्ति अपनी पत्नी या बच्चे के साथ इस तरह की घटना कर सकता है।

उन्होंने कहा, जानवरों के साथ क्रूरता करने वाले लोगों को जुर्माना भरकर इससे बचकर नहीं निकलने दिया जाना चाहिए। भारतीय दंड संहिता की धारा 429 के तहत इसका उल्लंघन करने वाले अपराधियों को पांच साल तक जेल की सजा हो सकती है। साथ ही वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत इसके उल्लंघन के लिए सात साल की जेल की सजा भी हो सकती है।

उन्होंने कहा, मनोविज्ञान और अपराध विज्ञान में अनुसंधान से पता चलता है कि जो लोग जानवरों के साथ क्रूरता के कृत्य करते हैं, वे अक्सर यहीं नहीं रुकते। उनमें से कई अन्य जानवरों, बच्चों या अन्य लोगों को चोट पहुंचाते हैं। पीड़ित महिलाओं के एक अध्ययन में लगभग 60 फीसदी ने माना कि उनके सहयोगियों ने अपने कुत्तों व अन्य जानवरों को नुकसान पहुंचाया या फिर मार डाला था।

अभिनेता सिद्धार्थ मलहोत्रा द्वारा हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी को जानवरों से क्रूरता मामले में सख्त प्रावधान की मांग को लेकर लिखे पत्र के बारे में दीपक चौधरी ने आईएएनएस को बताया, सिद्धार्थ मल्होत्रा ने हाल ही में पत्र भेजा था, लेकिन हम अभी भी जवाब का इंतजार कर रहे हैं। सिद्धार्थ ने जानवरों से क्रूरता पर 50 रुपये के जुर्माने को कलाई पर एक चींटी के काटने जैसा करार दिया था।

सिद्धार्थ के अलावा जॉन अब्राहम, जैकलिन फर्नाडीज, अर्जुन कपूर, सोनाक्षी सिन्हा, रविना टंडन, डॉ. किरण बेदी, विराट कोहली, शिखर धवन और अजिंक्य रहाणे जैसी हस्तियां मजबूत संरक्षण कानूनों के लिए अपील कर चुकी हैं।

दीपक चौधरी ने कहा कि अमेरिकी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) जानवरों के साथ क्रूरता का इतिहास नियमित रूप से सीरियल रेपिस्ट और हत्यारों की तरह ही अपनी कंप्यूटर रिकॉर्ड में रखती है, हालांकि इस तरह के रिकॉर्ड भारत में नहीं रखे जाते हैं।

उन्होंने कहा कि जानवरों के साथ क्रूरता करने वाले लोग सभी के लिए खतरा हैं। इससे से पहले कि वे अपना गुस्सा किसी मानव या जानवर पर उतारें, उन्हें फिर से ऐसा करने से रोका जाना चाहिए।

दीपक ने बताया कि पेटा इंडिया जानवरों का प्रयोग खाने, पहनने और मनोरंजन के लिए उपयोग नहीं करने के साधारण सिद्धांत के तहत काम करता है। पेटा नीति निमार्ताओं और लोगों को जानवरों के साथ क्रूरता के बारे में शिक्षित करता है और सभी जानवरों के अधिकार व उनके सम्मान की समझ को बढ़ावा देता है।

उन्होंने कहा, पेटा इंडिया पीड़िता जानवरों के लिए आपातकालीन प्रतिक्रिया सेवाएं देता है। जानवरों से संबंधित मुद्दों पर लोग 24 घंटे सातों दिन पेटा की आपातकालीन सेवा (0) 9820122602 पर कॉल कर पीड़ित जानवरों के बारे में जानकारी दे सकते हैं।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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