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जिंदल विश्वविद्यालय दुष्कर्म के आरोपियों को पासवर्ड साझा करने का निर्देश

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नई दिल्ली, 7 फरवरी (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में सामुहिक दुष्कर्म की पीड़िता को दोषी छात्रों द्वारा ‘लगातार ब्लैकमेल’ करने की संभावना बर्दाश्त नहीं की जाएगी और इसके साथ ही न्यायालय ने आदेश दिया कि आरोपी उस लैपटॉप के पासवर्ड साझा करें, जिसमें पीड़िता की फोटो रखी गई है।

न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे और न्यायमूर्ति एल.एन. राव की खंडपीठ ने आरोपियों से पीड़िता के साथ आईक्लाउड अकाउंट को साझा करने के लिए कहा।

आरोपियों की ओर से न्यायालय में पेश वकील को न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, हम दोषियों के बारे में चिंतित नहीं है। हम मौजूदा स्थिति के बारे में चितित हैं। इन लोगों में से किसी के पास लड़की की तस्वीर मौजूद है। लगातार ब्लैकमेल को स्वीकार करना और सहना हमारे लिए काफी मुश्किल है।

उन्होंने कहा, आप हर हाल में वे सभी फोटोग्राफ सुलभ कराइए। अगर आपने उसे हटा दिया है, तो यह सुनिश्चित करें कि वह जारी न हो सके। अगर नहीं हटाया है तो, आपको पीड़िता को पासवर्ड देना होगा।

आरोपियों की ओर से उपस्थित वरिष्ठ वकील शांति भूषण और मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा कि अगर किसी भी प्रकार का पासवर्ड इनलोगों के पास होगा, तो उसे साझा किया जाएगा।

एक निचली अदालत ने इस मामले के तीनों आरोपियों हार्दिन सीकरी, करण छाबड़ा और विकास गर्ग को अपने विश्वविद्याय में पढ़ने वाली छात्रा के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में जेल की सजा सुनाई थी, लेकिन पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पिछले साल तीनों की सजा को महिला की ‘कामुक प्रवृत्ति और ‘स्वच्छंद रूप से सेक्स की आदत’ होने को आधार बनाकर निलंबित कर दिया था।

पीड़िता ने दोषियों की सजा निलंबित किए जाने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया। उसने आरोप लगाया कि आरोपी उसे ब्लैकमेल कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें हैं और उसने इन तस्वीरों के जारी किए जाने का भय जताया।

पीड़िता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कोलिन गोसाल्वेस ने पीड़िता को दी गई धमकी को समझने के लिए व्हाट्स एप चैट देखने में मदद करने की अदालत से मांग की।

शीर्ष न्यायालय ने इससे पहले उच्च न्यायालय की ओर से आरोपियों को दी गई जमानत पर रोक लगा दी थी।

पीड़िता ने 11 अप्रैल, 2015 को विश्वविद्यालय प्रशासन के पास यह शिकायत दर्ज कराई थी कि विश्वविद्यालय में कानून विभाग के अंतिम वर्ष के तीन छात्र अगस्त 2013 से उसके साथ दुष्कर्म कर रहे हैं और उसे ब्लैकमेल कर रहे हैं।

उसने यह भी आरोप लगाया कि आरोपियों के पास उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें हैं और वे लोग इस फोटो को वायरल करने की धमकी देकर शारीरिक संबंध के लिए दबाव बनाते हैं।

पिछले वर्ष मार्च में, सोनीपत की एक निचली अदालत ने तीनों आरोपियों को ब्लैकमेल और दुष्कर्म करने के मामले में दोषी पाया था और हार्दिक व करण को 20-20 वर्ष कारावास की सजा और विकास को सात वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी।

उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष सितंबर में उनकी सजा निलंबित कर दी थी और जमानत दे दी थी, जिसके विरोध में पीड़िता ने शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

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नेशनल

लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर श्रद्धा वॉकर का हत्यारा आफताब पूनावाला

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नई दिल्ली । लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है. सूत्रों के मुताबिक, मीडिया में चल रही खबरों का संज्ञान लेते हुए तिहाड़ जेल प्रशासन, आफताब पूनावाला की सुरक्षा को लेकर अलर्ट हो गया है क्योंकि उसे लॉरेंश बिश्नोई गैंग से खतरे की बात सामने आई है. तिहाड़ जेल के अंदर जेल नंबर 4 में आफताब पूनावाला को रखा गया है. आफताब, श्रद्धा वॉल्कर हत्याकांड का आरोपी है. दिल्ली के छतरपुर इलाके में आफताब ने श्रद्धा की हत्या करके उसके शरीर को कई टुकड़ों में बांट दिया था.

तिहाड़ जेल से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, मुंबई पुलिस से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है लेकिन प्रशासन ने मीडिया में आई खबरों का संज्ञान लिया है. मुंबई पुलिस के मुताबिक, आफताब पूनावाला लारेंस बिश्नोई गैंग के शूटरों के निशाने पर है.

क्या है मामला ?

पुलिस की जांच में सामने आया था कि 18 मई 2022 की शाम करीब 6:30 से 7:00 बजे के बीच श्रद्धा विकास वॉल्कर की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में आरोपी आफताब और पीड़िता के बीच रिलेशनशिप की टाइम लाइन अहम रही. मई 2019 से मार्च 2022 के दौरान मुंबई में आरोपी और पीड़िता की मुलाकात हुई और प्रेम संबंध बन गए थे. दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में रहने लगे थे और खुद को शादीशुदा जोड़े के तौर पर दिखाते थे. उन्होंने 3 जगहों पर एक के बाद एक किराए का मकान लिया था, जहां वे रहते थे. दोनों 2 जगहों पर साथ काम कर चुके थे.

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