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‘जीएसटी के कारण लाखों बुनकर असहाय’
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी ) ने देश के लाखों गरीब शिल्पकारों और कारीगरों को तगड़ा झटका दिया है। इसके कारण उन्हें जीवनयापन और पारंपरिक शिल्प को जिंदा रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
जीएसटी ने उन्हें मशीन से बने उत्पाद के खिलाफ एक असमान जंग में धकेल दिया है। ऐसा कहना है शिल्पकारों के लिए काम करने वाली लैला तैयबजी का।
तैयबजी ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया,जीएसटी के कारण आज बुनकरों की हालत बद से बदतर हो चुकी है। हाथ से बने उत्पाद पिछले कई सालों से कर मुक्त थे और भारतीय नीतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे।
तैयबजी का संगठन ‘दस्तकार’ शिल्पकारों के साथ मिलकर पारंपरिक शिल्प को बढ़ावा देने और उसे पुनर्जीवित करने के लिए काम करता है और हाल ही में उनके संगठन ने देश भर से पारंपरिक साड़ियों की विशेषता वाला ‘ग्रैंड साड़ी मेला’ आयोजित किया था।
उन्होंने कहा कि उनमें से ज्यादातर हाशिए पर मौजूद समुदायों से आते हैं और उन्हें मदद की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, उन्हें लगातार पिछली सरकारों से प्रोत्साहन मिला। महात्मा गांधी अक्सर कहते थे कि कुटीर उद्योग और बुनकरों का शिल्प भारत की संस्कृति, समाज और अर्थशास्त्र का हिस्सा हैं।
तैयबजी ने कहा, अब वे कर लगाए जा रहे हैं, जो हमारे लिए पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं। जीएसटी एक जटिल संरचना है, जो इसकी (शिल्प वस्तु) सामग्री और जिन साधनों से इसे बनाया गया है, उसे नहीं देख रहा है। जबकि पहले.. हैंडलूम और हाथ से बनाई गई वस्तु पर कोई कर नहीं होता था।
उन्होंने कहा, अब, लोग इसे एक उत्पाद के रूप में देख रहे हैं। मशीन-निर्मित परिधान हस्तनिर्मित परिधान के साथ समान दर पर प्रतिस्पर्धा करेंगे, भले ही मशीन-निर्मित चीजों में कंपनी और विज्ञापन के सभी समर्थन हों। जबकि छोटे शिल्पकार कुछ गांव में काम करते हैं, जिनके पास निश्चित रूप से उस तरह का बुनियादी ढांचा नहीं है।
तैयबजी ने कहा, यह एक बहुत ही मुश्किल समय है।
दस्तकार हर महीने विषयगत प्रदर्शनियों का आयोजन करता है। अगली प्रदर्शनी ‘फेस्टिवल ऑफ लाइट्स’ है, जो दिवाली से संबंधित हस्त निर्मित वस्तुओं की प्रदर्शनी है। यह पांच अक्टूबर को शुरू हुई और 16 अक्टूबर को समाप्त होगी।
तैयबजी ने कहा कि भारत में कई कौशल हैं, न कि सिर्फ शिल्प, लेकिन देश इनका प्रचार करने के बजाए, पश्चिम की औद्योगिक क्रांति को दोहराने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने कहा, हर क्षेत्र में कुछ करने की अपनी विशिष्ट शैली है। ऐसा कुछ, जो दुनिया के किसी दूसरे देश में नहीं है।
तैयबजी ने कहा, अंतर्राष्ट्रीय डिजाइनर, निर्यात घर या ब्रांड के खरीदार भारत में नहीं आ रहे हैं, क्योंकि हम नाइक्स बना रहे हैं.. वे कौशल के लिए आ रहे हैं। वे आ रहे हैं, क्योंकि वे अपने देश में शिल्प खो चुके हैं। हमारे पास सौ से ज्यादा अलग-अलग कौशल हैं, लेकिन उनके पास नहीं हैं।
उन्होंने बताया, चीन हमारे शिल्पकारों को अपने लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए लेता है। उन्हें लगता है कि यहां हमारे पास कुछ असाधारण है।
उन्होंने कहा कि हम कई देशों की तुलना में भाग्यशाली हैं, क्योंकि हमारे पास कपड़े का एक अलग मंत्रालय है। लेकिन सरकार एक नौकरशाही और जटिल तरीके से काम कर रही है।
तैयबजी ने कहा, हालांकि कारीगरों के लिए बहुत सारी योजनाएं हैं, जिनका मार्गदर्शन करना आसान नहीं हैं। बहुत कुछ करने की जरूरत है। हमें शिल्प क्षेत्र में निवेश करना होगा जैसा हम आर्थिक गतिविधियों के किसी अन्य क्षेत्र में करते हैं।
तैयबजी, शिल्प क्षेत्र में अपने लंबे और प्रेरक योगदान के लिए जानी जाती हैं, जो दस्तकार की सह-संस्थापक और अब अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा, हम समुद्र में सिर्फ एक बूंद हैं। दस्तकार लगभग 100,000 लोगों के साथ काम करती है, लेकिन यहां लगभग 1.5 करोड़ से भी ज्यादा कारीगर हैं। हम केवल एक मॉडल हो सकते हैं और क्या कर सकते हैं। अगर सरकार, डिजाइनर, उद्यमी भी इस तरह काम करें तो हम इन कारीगरों के जीवन को बदल सकते हैं।
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मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस
नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।
गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।
शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।
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