बिजनेस
‘जीएसटी के लिए धक्का है बिहार का चुनाव नतीजा’
नई दिल्ली। बिहार चुनाव के नतीजों से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को संसद में पारित कराने की मोदी सरकार की कोशिशों को झटका लगा है। आर्थिक मामलों के एक विशेषज्ञ ने यह बात कही। जवाहलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने कहा, “बिहार चुनाव के नतीजे से विपक्ष को नया हौसला मिलेगा। यह नरेंद्र मोदी सरकार के लिए जीएसटी पारित कराने की राह को और मुश्किल बनाएगी।”
जीएसटी में देश के राज्यों में मौजूद अलग-अलग अप्रत्यक्ष करों को समाप्त कर वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान कर लगाने का प्रावधान है। सरकार अगले साल अप्रैल से इसे लागू करना चाहती है। अभी यह विधेयक संसद में अटका हुआ है। अरुण कुमार ने कहा, “बिहार चुनाव भाजपा के असंतुष्टों को भी अपनी बात उठाने का मौका देगा। सरकार को अब जीएसटी और अन्य विवादास्पद विधेयकों पर अधिक समझौते करने पड़ेंगे।”
उन्होंने कहा कि जीएसटी पर दलों के बीच कोई खास बुनियादी मतभेद नहीं है। यह मामला एक दूसरे पर राजनैतिक बाजी मारने जैसा हो चला है। जीएसटी में यह प्रावधान है कि राज्यों को कई करों को बंद करने से होने वाले नुकसान की भरपाई केंद्र करेगा। इसके लिए एक फीसदी अतिरिक्त कर लगाने का प्रावधान किया गया है। इसका मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के साथ साथ कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने भी विरोध किया है। सीएआईटी के अध्यक्ष बी.सी.भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने एक संयुक्त बयान में कहा कि अंतर्राज्यीय व्यापार पर एक फीसदी अतिरिक्त कर लगाने से जीएसटी का स्वरूप बिगड़ेगा और इसका उल्टा असर होगा।
बिजनेस
जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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