बिजनेस
जीएसटी लागू होने से छोटे होटलों और ढाबों में भोजन होगा सस्ता
नई दिल्ली। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के पास होने के बाद अब छोटे होटल और रेस्टोंरेंट में खना पीना सस्ता हो सकता है। शनिवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी कर प्रणाली से जुड़े दो अहम विधेयकों के मसौदे को मंजूरी दी गई है ।
जीएसटी पास होने के बाद से अब किसी होटल या ढाबे में खाने पर आपको मौजूदा सर्विस टैक्स की तुलना में सिर्फ एक तिहाई ही जीएसटी देना होगा। हालांकि अभी सर्विस टैक्स की दर 15 फीसदी है। जो रेस्टोरेंट की बिल राशि के 40 फीसदी पर लगता है।
केंद्र और राज्यों ने किसानों को जीएसटी व्यवस्था के तहत रजिस्ट्रेशन से छूट देने का फैसला किया है। जीएसटी काउंसिल ने 50 लाख रुपये तक सालाना टर्नओवर वाले छोटे होटलों, रेस्टोरेंट और ढाबों के लिए जीएसटी की दर 5 फीसदी तय करने को मंजूरी दी है।
अगर किसी रेस्टोरेंट में 1,000 रुपये का बिल बनता है तो सर्विस टैक्स 60 रुपये बनता है। यदि इसी फॉर्मूले के मुताबिक 5 फीसदी जीएसटी लगा तो आपको 40 रुपये की बचत होगी। क्योंकि जीएसटी की राशि 20 रुपये ही बनेगी।
नेशनल
ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला
हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला
क्या है पूरा मामला ?
सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।
कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।
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