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बिजनेस

जीएसटी से देश में कंप्यूटर व सॉफ्टवेयर की मांग में इजाफा

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नई दिल्ली, 6 जुलाई (आईएएनएस)| देश में 1 जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद कंप्यूटर और एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की मांग में तेज वृद्धि हुई है। पिछले महीने (जून) महीने के मुकाबले गत पांच दिनों में देश भर में कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर की मांग में बेहद बढ़ोतरी हुई है। यहां तक कि जो व्यापारी अभी तक अपने यहां कंप्यूटर नहीं लगा पाए थे, वे भी अब कंप्यूटर लगाने पर तेजी से काम कर रहे हैं और यदि इसी प्रकार यह ट्रेंड चलता रहा, तो देश के व्यापार का एक बड़ा हिस्सा आर्थिक व्यवस्था के दायरे में आ जाएगा। कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने गुरुवार को यह बातें कही हैं। कैट ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि फिलहाल कुछ निश्चित अवधि तक एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर को या तो कर मुक्त रखा जाए या फिर 5 प्रतिशत के कर स्लैब में रखें। जीएसटी में सॉफ्टवेयर को 18 प्रतिशत के कर ढांचे में रखा गया है।

कैट ने देशभर से मिले फीडबैक के बाद कहा है कि देश में कंप्यूटर हार्डवेयर की मांग में लगभग 20 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की मांग में लगभग 50 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसमें से लगभग 40 प्रतिशत मांग मेट्रो शहरों से और लगभग 60 प्रतिशत मांग छोटे शहरों में दिखाई दी है। मेट्रो शहरों में जहां पहले से लिए हुए कंप्यूटर एवं सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करने पर ज्यादा जोर रहा है वहां छोटे शहरों में नए कंप्यूटर तथा सॉफ्टवेयर की मांग तेजी से बढ़ी है और आने वाले दिनों में इस मांग में और तेजी आने की संभावना है।

कैट ने कहा है कि छोटे शहरों में लगभग 60 प्रतिशत व्यापारियों के पास अभी कंप्यूटर नहीं है, जबकि जीएसटी कर प्रणाली में सभी काम चाहे वो कर की अदायगी हो, रिटर्न दाखिल करना हो, ऑडिट या फिर अस्सेस्मेंट हो, सभी डिजिटल टेक्नोलॉजी के माध्यम से होगा और इसी कारण से देशभर के बाजारों में कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर की मांग बढ़ रही है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. सी. भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा की तेजी से बढ़ती मांग के बावजूद कंप्यूटर के विभिन्न पार्ट पर अलग अलग कर दर होने से डिजिटल टेक्नोलॉजी का सुविधापूर्वक अपनाना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि जहां कंप्यूटर का सीपीयू 18 प्रतिशत की कर दर में है, वहां कंप्यूटर मॉनिटर 28 प्रतिशत की कर दर में जिसके कारण से जटिलता उत्पन्न हो रही है और कहीं न कहीं व्यापारी हतोत्साहित भी हो रहा है।

उन्होंने कहा कि देश में डिजिटल टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने की सरकार की प्राथमिकता को देखते हुए सरकार को कंप्यूटर एवं इससे संबंधित सभी उत्पादों को 18 प्रतिशत की कर दर में रखना चाहिए।

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बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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