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मनोरंजन

जोखिम के दौर में कला की महत्वपूर्ण भूमिका : भजन सोपोरी

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ग्वालियर, 4 जनवरी (आईएएनएस)| संतूर वादक व शिक्षक भजन सोपोरी का परिवार छह पीढ़ियों से संगीत से जुड़ा हुआ है। सोपोरी का मानना है कि अगर कला और व्यक्ति एक दूसरे से जुड़ जाते हैं, तो फिर सोचने की प्रक्रिया रचनात्मक बन जाती है और उज्जवल भविष्य के पथ पर अग्रसर करती है।

सोपोरी ‘सामापा’ (सोपोरी एकेडमी ऑफ म्यूजिक एंड परफार्मिग आर्ट्स) संगीत अकादमी चलाते हैं। अकादमी देश भर से आने वाले छात्रों के अलावा जेल के कैदियों के लिए भी पाठ्यक्रम संचालित करता है। साल 2011 में इसे ‘जम्मू एवं कश्मीर डोगरी अवार्ड’ प्रदान किया गया। वहीं, सोपोरी पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं।

तानसेन संगीत महोत्सव में यहां प्रस्तुति देने आए सोपोरी ने आईएएनएस को बताया जब संवदेनशीलता बढ़ती है तो आप कोई भी जोखिम उठाने से पहले दो बार सोचते हैं। अगर, संवेदनशीलता नहीं है तो फिर कोई बात नहीं। यहां संगीत, कला और साहित्य बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं।

उन्होंने कहा कि जब कला और लोग साथ आ जाते हैं तो लोगों की रचनात्मक क्षमता बढ़ जाती है। सोचने की प्रक्रिया रचनात्मक हो जाती है।

सोपोरी ने कहा, अगर सोचने की प्रक्रिया रचनात्मक हो जाती है, तो फिर भविष्य उज्जवल हो जाता है, इसलिए हम संगीत और युवाओं के बीच संबंध स्थापित करने पर जोर देते हैं। जमीनी स्तर पर बच्चे के तौर पर जितनी जल्दी उनके लिए इसकी शुरुआत होगी, उतना ही अच्छा होगा।

अकादमी अपने छात्रों से एक पाई भी नहीं लेती है, इस बारे में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित सोपोरी ने कहा कि उनके पिता संगीत के प्रोफेसर थे और कश्मीर में उनके 20,000 छात्र थे तो जब वह विभिन्न जगहों से आए बच्चों को पढ़ाते थे तो उनका यह उसूल था, मेरे पास जो विरासत है, उसे मुझे आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कभी किसी से संगीत सिखाने का पैसा नहीं लिया।

सोपोरी (69) ने कहा कि वह अपने पिता के उसूलों का ही अनुसरण करते हैं।

भारतीय शास्त्रीय संगीत के सूफियाना घराने से ताल्लुक रखने वाले ‘गुरु-शिष्य परंपरा’ की विचारधारा को एक कलाकार के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी दुनिया में घराने से लोगों की अपेक्षाएं जुड़ी होती हैं, आप किस घराने से हैं यह मायने रखता है ऐसे में यह एक शख्स के लिए बड़ी जिम्मेदारी होती है।

67वें गणतंत्र दिवस पर 2016 में ‘जम्मू एवं कश्मीर स्टेट लाइफटाइम अचीवमेंट’ से सम्मानित सोपोरी का कहना है कि घराने का प्रस्तुतीकरण व अंदाज अलग होता है।

उन्होंने कहा, जिस तरह से आप किसी राग को सुरों से सजाकर पेश करते हैं या अभिव्यक्त करते हैं, वह सबके लिए अलग होता है, सबका उद्देश्य एक है लेकिन माध्यम अलग हो सकता है।

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मशहूर प्लेबैक सिंगर बी प्राक की जिंदगी का जानें सबसे बड़ा दुख

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मुंबई। मशहूर प्लेबैक सिंगर बी प्राक का नाम जब भी सुनाई देता है तो बैकग्राउंड में उदासी भरे गाने खुद ही सुनाई देने लगते हैं। बी प्राक ने ‘मन भरेया’ और ‘किस्मत’ जैसे आइकोनिक गाने दिए हैं जिनकी जगह कोई नहीं ले सकता। बी प्राक हमेशा राइटर जानी के लिए गाना गाते नजर आते हैं और दोनों की जोड़ी भी अटूट है। इतनी सफलता के बाद भी बी प्राक जमीन से जुड़े इंसान हैं। उन्हें अक्सर वृंदावन में कृष्ण की भक्ति में लीन देखा जाता है।

हाल ही में शुभांकर मिश्रा के साथ हुए पॉडकास्ट में बी प्राक ने खोला वो किस्सा जो शायद ही आज तक बी प्राक ने किसी इंटरव्यू में बताया हो। बी प्राक ने बताया कि कैसे आध्यात्म की ओर उनका झुकाव बढ़ा। साल 2021 का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि उनके चाचा का निधन हो गया और उसी के कुछ महीनों बाद ही उनके पिता का भी निधन हो गया। इस सबसे वो जैसे-तैसे ही उबरे थे लेकिन उनकी लाइफ में सबसे बड़ी समस्या तब आई जब साल 2022 में उन्होंने अपने छोटे बेटे को जन्म के तीन दिन बाद ही खो दिया था। बी प्राक ने इस बारे में बात करते हुए अपना दिल खोलकर रख दिया। उन्होंने इस घटना के बाद अपनी पत्नी को किस तरह संभाला इसका भी इस इंटरव्यू में जिक्र किया है और बताया कि पत्नी को बेटे की मौत के बारे में बताना सबसे मुश्किल था।

बेटे के निधन से सिंगर हुए भावुक

उन्होंने बताया कि कैसे पहले उनके चाचा का निधन हुआ और इस घटना को एक महीना भी नहीं बीता था कि उनके पिता भी उन्हें छोड़कर चले गए। फिर साल 2022 में उनका दूसरा बेटा भगवान को प्यारा हो गया। इस दौरान उनके घर का जो माहौल हो गया था वो शब्दों में बयां नहीं हो सकता। वो चाहते हैं कि ऐसा वक्त कभी किसी की जिंदगी में न आए। बी प्राक ने कहा कि जून में जब उनके बच्चे का निधन हुआ तो उसके बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह पलट गई। उन्हें समझ नहीं आता था कि वो अपनी पत्नी को कैसे समझाएं? डॉक्टर्स ने जब सिंगर को पूरा मामला बताया था तो उन्हें कुछ समझ ही नहीं आया कि उन्हें क्या करना है।

बीवी ने नहीं देखी बच्चे की शक्ल

सिंगर तो बस पत्नी को तसल्ली देते रहे क्योंकि उन्हें पता था कि मीरा बच्चे की मौत का गम झेल नहीं पातीं। बी प्राक ने इमोशनल होते हुए बताया है कि अगर जिंदगी में उन्हें कुछ भारी लगा है तो वो अपने बच्चे की लाश। बी प्राक बोले कि उससे भारी चीज उन्होंने अपनी जिंदगी में नहीं उठाई। इसके बाद जब सिंगर हॉस्पिटल पहुंचे तो मीरा ने उन्हें देखकर बोला कि ‘दफना आया न? मुझे दिखा तो देते।’ सिंगर बोले उस पल हमने सब कुछ गंवा दिया था और मेरी पत्नी आज तक इस बात के लिए नाराज है कि उन्हें उस बच्चे की शक्ल नहीं दिखाई गई थी। लेकिन सिंगर अपनी पत्नी को नहीं खो सकते थे और अगर वो उस बच्चे को देख लेतीं तो वो नहीं बच पातीं।

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