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बिजनेस

टिकाऊ विकास के लिए महंगाई से लड़ना होगा : राजन

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मुंबई| भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को कहा कि वह विकास के विरुद्ध नहीं हैं, लेकिन टिकाऊ विकास का रास्ता महंगाई में कमी से होकर गुजरता है। पांचवीं दुमाही मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करने के बाद राजन ने संवाददाताओं से कहा, “उद्योग को एक बड़ी गलतफहमी है कि रिजर्व बैंक को विकास की चिंता नहीं है। रिजर्व बैंक को विकास की चिंता है और उसका रास्ता महंगाई दर में कमी से होकर जाता है।”

उन्होंने कहा, “आरबीआई देश के लिए उच्च विकास दर चाहता है और वह संभव है। हम वर्षो तक लगातार विकास की बात कर रहे हैं और उसके लिए अपको महंगाई से लड़ना होगा।”

आरबीआई ने उम्मीद के मुताबिक रेपो दर को आठ फीसदी पर ही रख छोड़ा है। यह वह दर है, जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को छोटी अवधि के लिए ऋण देता है।

राजन ने कहा कि इस वक्त नीति में बदलाव अपरिपक्व कदम होगा।

कटौती का अवसर खोने के बारे में पूछे जाने पर राजन ने कहा कि रिजर्व बैंक यदि अभी दरों में कटौती करता तो आगे महंगाई का जोखिम बढ़ जाता।

उन्होंने कहा, “हमें कोई भी कदम उठाने से पहले विश्वास होना चाहिए, वरना आपको बार-बार वही महंगाई का सामना करना होगा।”

रिजर्व बैंक ने उपभोक्ता महंगाई दर को जनवरी 2015 तक आठ फीसदी रखने और जनवरी 2016 तक छह फीसदी रखने का लक्ष्य रखा है।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में थोक महंगाई दर पांच वर्षो के निचले स्तर 1.77 फीसदी पर आ गई है।

आरबीआई को जिस बात से कटौती के लिए दबाव का सामना करने में सहायता मिली है, वह यह है कि सितंबर में औद्योगिक उत्पादन विकास दर बढ़कर 2.5 फीसदी रही, जिससे पता चलता है कि औद्योगिक सुस्ती उतनी भयावह नहीं है, जिसकी बात की जाती है।

अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी मॉर्गन स्टेनले के अनुमान के मुताबिक नवंबर 2014 में उपभोक्ता महंगाई दर घटकर 4.5 फीसदी रहेगी, लेकिन 2015 की प्रथम तिमाही में यह बढ़कर 6.4 फीसदी हो जाएगी।

विश्लेषकों के मुताबिक गवर्नर नियंत्रण से बाहर के पहलुओं को लेकर संजीदा हैं, जैसे तेल की कीमतों में अस्थिरता।

राजन ने पहले कहा था कि वह जरूरत से अधिक समय तक दरों को ऊंचे स्तर पर नहीं रखेंगे। उन्होंने गवर्नर के रूप में 15 महीने के कार्यकाल में महंगाई का हवाला देते हुए तीन बार दरें बढ़ाई हैं।

बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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