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बिजनेस

टैली का जीएसटी रेडी सॉफ्टवेयर 10 लाख बार डाउनलोड किया गया

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बेंगलुरू, 6 जुलाई (आईएएनएस)| भारत की अग्रणी सॉफ्टवेर कंपनी-टैली सॉल्यूशंस ने गुरुवार को कहा कि इसके जीएसटी रेडी सॉफ्टवेयर-टैली.ईआरपी 9 रिलीज 6 को 10 लाख से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है। इस सॉफ्टवेयर को 26 जून को लांच किया गया था। टैली के लिए खुशी मनाने का एक और कारण है। कंपनी ने टैली.ईआरपी. वर्जन के 10 लाख ऐक्टीवेशन पूरे कर लिए हैं। उल्लेखनीय है कि इसे वर्ष 2009 में लांच किया गया था। टैली के पास 11 लाख से अधिक पंजीकृत ग्राहक हैं और अन्य 40 लाख अनलाइसेंस्ड उपयोक्ता हैं।

इस अवसर पर टैली सॉल्यूशंस के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर तेजस गोएनका ने कहा, हमारे जीएसटी रेडी सॉफ्टवेयर को लेकर मिले प्रतिसाद को देखकर हम वाकई में रोमांचित हैं। हमारी 3 दशक की यात्रा में डाउनलोड्स को मिला आकर्षण बेमिसाल है। हम अगले कुछ महीनों में इसी अनुपात में डाउनलोड जारी रहने की आशा करते हैं और सभी स्तरों पर हम इसका दायरा बढ़ा रहे हैं, ताकि उपयोक्ताओं को पर्याप्त रूप से सेवायें दी जा सकें।

कंपनी ने अपने 28,000 से अधिक पार्टनरों के सुढ़ अखिल भारतीय नेटवर्क के सहयोग से पूरे देश में जीएसटी पर 5000 से अधिक सत्र आयोजित किये हैं। इस दिशा में टैली ने सीएआइटी, एफएआइडीए, एसोचैम, सीआइआइ, जैसे संघों एवं प्रधान कंपनियों के साथ गठबंधन भी किया है और अभी तक 2 लाख से अधिक व्यवसायों से संपर्क कर चुका है।

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बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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