अन्तर्राष्ट्रीय
ट्रंप की पॉलिसी को चुनौती देने वाली याचिका पर होगी सुनवाई
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आव्रजन संबंधी शासकीय आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सैन फ्रांसिस्को में तीन संघीय न्यायाधीश सुनवाई करेंगे। ट्रंप ने इस आदेश के तहत सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर अस्थाई पाबंदी लगा दी है। इस पाबंदी को अदालत ने फिलहाल हटाया हुआ है।
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, एक घंटे चलने वाली यह सुनवाई नाइन्थ यूएस सर्किट कोर्ट ऑफ अपील के न्यायाधीशों द्वारा मंगलवार शाम छह बजे (अमेरिकी समयानुसार) टेलीफोन पर की जाएगी। यह सुनवाई ट्रंप द्वारा सात मुस्लिम देशों के लोगों की अमेरिका यात्रा पर लगाई गई पाबंदी का भविष्य तय करेगी।
मामले की सुनवाई पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा नियुक्त न्यायाधीश विलियम सी.कैनबी जूनियर, बराक ओबामा द्वारा नियुक्त न्यायाधीश मिशेल टी.फ्रिडलैंड तथा जॉर्ज बुश द्वारा नियुक्त न्यायाधीश रिचर्ड आर. क्लिफ्टन करेंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप के आव्रजन से संबंधित शासकीय आदेश को चुनौती देने वाले वाशिंगटन तथा मिनेसोटा के अटॉर्नी जनरल ने कहा कि आदेश पर अस्थायी रोक को बरकरार रखा जाए, क्योंकि राष्ट्रपति ने प्रतिबंध आदेश पर हस्ताक्षर कर बेवजह ही हडक़ंप मचा दिया है।
ट्रंप के आदेश के बाद देश भर के हवाईअड्डे पर अफरातफरी मची है। वैध वीजा होने के बाद भी लोग फंसे हुए हैं और वैध शरणार्थियों को शरण नहीं मिल पा रहा। यही नहीं, इस नए शासकीय आदेश के खिलाफ फैसला देने वाले सिएटल के न्यायाधीश जेम्स रोबार्ट की भी राष्ट्रपति ने आलोचना की है।
ट्रंप का शासकीय आदेश सात मुस्लिम देशों, इराक, सीरिया, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान तथा यमन के नागरिकों को 90 दिनों तक, सभी शरणार्थियों को 120 दिनों तथा सीरिया के शरणार्थियों को अनिश्चितकाल तक अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाता है।
न्यायाधीश रोबार्ट ने इस शासकीय आदेश के महत्वपूर्ण हिस्सों को निलंबित कर दिया, जिसके बाद ट्रंप ने भडक़कर दो ट्वीट किए। एक ट्वीट में उन्होंने रोबार्ट को ‘तथाकथित’ न्यायाधीश तक करार दिया।
दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा, “इस पर सहसा विश्वास नहीं होता कि एक न्यायाधीश हमारे देश को इस तरह के खतरे में डालेगा। अगर कुछ होता है, तो इसका आरोप उन पर और अदालत प्रणाली पर लगेगा। लोग लगातार अमेरिका में भर रहे हैं। बुरा है!”
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने कहा है कि रोबार्ट ने जो निषेधाज्ञा लगाई है, उसे फिलहाल टाल देना चाहिए और शासकीय आदेश को प्रभाव में आने देना चाहिए। इस दौरान कानूनी प्रक्रियाएं जारी रह सकती हैं।
न्याय विभाग ने सोमवार शाम को कहा, “शासकीय आदेश राष्ट्रपति द्वारा विदेशियों व शरणार्थियों को देश में प्रवेश करने से रोकने के लिए एक वैध कार्रवाई है।”
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाइट हाउस के प्रवक्ता सीन स्पाइसर ने सोमवार को कहा कि सरकार पूरी पाबंदी को फिर से बहाल करने के लिए तैयार बैठी है।
अन्तर्राष्ट्रीय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी से की मुलाकात
ब्राजील। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (स्थानीय समय) को ब्राजील के रियो डी जनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर अपने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक की। बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने सांस्कृतिक और पब्लिक टू पब्लिक रिलेशन को मजबूत करने सहित व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
पीएम मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि, रियो डी जनेरियो जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी से मुलाकात करके खुशी हुई। हमारी बातचीत रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी में संबंधों को गहरा करने पर केंद्रित थी। हमने इस बारे में भी बात की कि संस्कृति, शिक्षा और ऐसे अन्य क्षेत्रों में सहयोग कैसे बढ़ाया जाए। भारत-इटली मित्रता एक बेहतर ग्रह के निर्माण में बहुत योगदान दे सकती है।
Glad to have met Prime Minister Giorgia Meloni on the sidelines of the Rio de Janeiro G20 Summit. Our talks centred around deepening ties in defence, security, trade and technology. We also talked about how to boost cooperation in culture, education and other such areas.… pic.twitter.com/BOUbBMeEov
— Narendra Modi (@narendramodi) November 18, 2024
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