साइंस
ट्विटर ने 9 वर्ष पूरे किए
न्यूयार्क। इंटरनेट पर सोशल नेटवर्किंग के क्षेत्र की दुनिया की अग्रणी सेवा बन चुके ट्विटर ने शनिवार को अपनी स्थापना के नौ वर्ष पूरे कर लिए। सह-संस्थापक जैक डोरसे ने 21 मार्च, 2006 को पहला ट्वीट कर आज दुनिया भर की जानी-मानी हस्तियों के लिए अपने संदेशों को साझा करने का सबसे लोकप्रिय माध्यम बन चुकी इस साइट की शुरुआत की थी।
तब से आज तक ट्विटर को फॉलो करने वालों की संख्या पूरी दुनिया में 28.40 करोड़ हो चुकी है और इसमें अभी भी बेहद तेजी से विस्तार हो रहा है। न्यूयार्क विश्वविद्यालय में स्नातक के छात्र डोरसे ने किसी व्यक्ति द्वारा अपने एक पूरे समूह से एकसाथ एसएमएस के जरिए जुड़ सकने के विचार के साथ इसकी शुरुआत की थी। डोरसे द्वारा किया गया पहला ट्वीट था, “अपना ट्विटर खाता तैयार कर रहा हूं।” साइट के नामकरण के संबंध में डोरसे का कहना है, “हम किसी तरह इस शब्द तक पहुंचे और हमें यह बिल्कुल फिट लगा। हमने इसकी परिभाषा ‘असंगत सूचनाओं का छोटा विस्फोट’ और ‘चिड़ियों की चहचहाट’ रखी। हमारी सेवा भी बिल्कुल ऐसी ही है।”
ट्विटर आज न सिर्फ समाज में एकदूसरे के संपर्क में रहने का बेहद लोकप्रिय माध्यम बन चुका है, बल्कि इसके जरिए देश-दुनिया के समाचार भी प्राप्त किए जा सकते हैं। इतना ही नहीं कारोबार जगत के लिए अपनी सेवाओं एवं उत्पाद के प्रचार-प्रसार में भी यह बेहद कारगर हो चुका है। यूएस एयरवेज के एक विमान द्वारा 2009 में हडसन नदी में आपात लैंडिंग की खबर सबसे पहले ट्विटर पर प्रसारित हुई। ट्विटर पर हैशटैग के जरिए ट्रेंड करने का प्रचलन भी बेहद लोकप्रिय हो चुका है जो मुद्दों की समाज में प्रासंगिकता और लोकप्रियता का मानक बन चुका है।
साइंस
फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में
नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।
होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।
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