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हेल्थ

डायलिसिस ओलंपियाड में 800 लोगों ने हिस्सा लिया

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नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| दिल्ली में डायलिसिस ओलंपियाड में देश के अलग-अलग शहरों से आए 800 लोगों ने हिस्सा लिया।

इसमें विशेषकर डायलिसिस पर चल रहे लोगों ने हिस्सा लेकर अपनी जीजीविषा का परिचय दिया। भारत के सबसे बड़े डायलिसिस डिलिवरी नेटवर्क नेफ्रोप्लस ने रविवार को त्यागराज स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में विश्व के एकमात्र डायलिसिस ओलंपियाड का आयोजन किया, जिसमें क्रिकेट, दौड़, साइकिलिंग, बास्केटबॉल, टेबल टेनिस, सुडोकू और कैरम जैसे आयोजनों के माध्यम से उनके भीतर आशा और प्रसन्नता के साथ जीवन जीने का आत्मविश्वास भरा गया।

डायलिसिस ओलंपियाड में इन अलग-अलग आयोजनों के विजेताओं को स्वर्ण, रजत और कांस्य पदकों से पुरस्कृत किया गया।

डायलिसिस ओलंपियाड का प्रथम संस्करण 2015 में हैदराबाद में हुआ था, जिसमें पूरे देश से 600 चैम्पियनों ने भाग लेकर अपनी बीमारी से लड़ते हुए अपनी अदम्य इच्छाशक्ति का परिचय दिया। इस आयोजन से डायलिसिस पर चल रहे समुदाय को बड़ा सोचने की शक्ति और भरपूर जीवन जीने का आत्मविश्वास हासिल करने में मदद मिलती है।

नेफ्रोप्लस के संस्थापक एवं सीईओ विक्रम वुप्पला ने कहा, दो साल पहले, हमने जब डायलिसिस ओलंपियाड का प्रथम संस्करण आयोजित किया था, तब इसे चिकित्सा इतिहास में एक क्रांतिकारी कदम माना गया था। डायलिसिस समुदाय को शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण गतिविधियों के लिए राजी करना एक कठिन काम था। लेकिन हमारी विशेषज्ञता, सेवाओं में नवाचार और आत्मविश्वास की वजह से सहभागियों की संख्या बढ़ाने में हम सफल रहे हैं।

नेफ्रोप्लस के उपाध्यक्ष(स्ट्रैटजी) सोहिल भगत ने कहा, हम डायलिसिस समुदाय की मानसिकता और जीवन की गुणवत्ता उन्नत करने के प्रति संकल्पित हैं। हम एक-एक सहभागी के प्रति अपना हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अपनी विजेता इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया है, हम पर भरोसा जताया है और हमारे साथ मिलकर इतिहास दोहराने में सहयोग किया है।

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लाइफ स्टाइल

साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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